मुजफ्फरपुर: बिहार शताब्दी टय़ूबवेल योजना में साढ़े नौ करोड़ रुपये का वारा-न्यारा कर दिया गया. अधिकारियों ने बिना काम कराये ही भुगतान कर दिया. विभाग ने कुछ खास लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए सारा खेल किया है. 6638 लाभुकों के नाम पर फर्जी तरीके से आरसीसी काम कराये बिना ही पैसा निकाल लिया गया. इनके नाम पर 3.44 करोड़ रुपये का वारा-न्यारा कर दिया गया.
टय़ूब वेल पाइप खरीद व गाड़ने के नाम पर 5.41 करोड़ का गोलमाल कर दिया गया. यह खेल समस्तीपुर व नालंदा जिले में किया गया है. इसका खुलासा महालेखाकार (एजी) की 2013 की ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है.
रिपोर्ट में दो जिलों के अलावा छह अन्य जिलों में भी भुगतान को लेकर आपत्ति जतायी गयी है. नालंदा में 2510 व समस्तीपुर में 4128 लाभुकों के नाम पर भुगतान कर सरकारी खजाना खाली किया गया. रिपोर्ट की सच्चई पर लोग परदा डालने में लगे हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत नालंदा व समस्तीपुर को वर्ष 2011 में पायलट प्रोजेक्ट अंतर्गत लिया गया था. नवंबर 2012 में सूबे के 21 जिलों में इस योजना का विस्तार किया गया. इस कार्य के लिए कमेटी बनी. इसमें लघु सिंचाई के कार्यपालक अभियंता व सहायक अभियंता के साथ कृषि विभाग के अभियंता को शामिल किया गया था. कमेटी ने टय़ूब वेल लगाने के दौरान ड्रीलिंग चाजर्, पाइप की कीमत, अन्य सामग्री, 6.5 मीटर आरसीसी गड्ढा निर्माण पर उचित भुगतान के लिए शर्ते तय की. लेकिन कमेटी के फैसले को भुगतान के वक्त दरकिनार कर
दिया गया.
पाइप खरीद व गाड़ने के नाम पर 5.41 करोड़ का खेल : विभाग ने पाइप खरीदने व गाड़ने के नाम पर भी खेल खेला है. समस्तीपुर में अधिकारियों ने 70 रुपये प्रति फिट व 66 रुपये प्रति फिट पाइप की दर से 4128 टय़ूब वेल के लिए भुगतान कर दिया. यानी पाइप ड्रीलिंग चार्ज पर 39 रुपये प्रति फिट व पाइप खरीद में 35 रुपये प्रति फिट की दर से अधिक भुगतान कर दिया. यहां 2.43 करोड़ रुपये का वारा न्यारा हुआ.
सेलो ट्यूबवेल में 2.98 करोड़ का खेल
नालंदा में और गजब का खेल हुआ. यहां 2510 सेलो टय़ूब बेल पर हाथ सफाई की गई है. यहां ड्रीलिंग चार्ज पर सौ रुपये से 120 रुपये व पाइप खरीद के लिए 60 से 140 रुपये के हिसाब से भुगतान किया गया. यहां 2.98 करोड़ रुपये को ठिकाने लगा दिया गया. भोजपुर, गोपालगंज, मधुबनी, मोतिहारी, रोहतास व सीतामढ़ी में भी बिना काम कराये लाभुकों के बीच भुगतान का मामला जांच में पाया गया है. ऑडिट टीम ने इन जिलों में और गंभीरता से जांच की बात बतायी है.
काम किये बिना 3.44 करोड़ का भुगतान
विभाग ने नालंदा में 2510 व समस्तीपुर में 4128 टय़ूब वेल लगाया. टीम ने योजनाओं की जांच की. किसानों के आवेदन, बीएओ के आदेश व भौतिक सत्यापन रिपोर्ट का अध्ययन किया. साक्ष्य के तौर पर योजना के फोटोग्राफ लगाये गये थे. टीम ने जांच की तो भौतिक सत्यापन के दौरान में आरसीसी पिट नहीं बनायी गया थी. पिट का निर्माण कराये बिना ही 6638 लाभुकों के नाम पर 3.44 करोड़ रुपये खजाने से निकाल
लिया गया.