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पत्रकार हत्याकांड में खुलासा : पत्नी ने कोर्ट को बताया, …इसलिए हुई पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या

मुजफ्फरपुर : पत्रकार राजदेव हत्याकांड में गुरुवार को गवाही के लिए पहुंची राजदेव रंजन की पत्नी आशा यादव ने कहा कि मेरे पति की हत्या से पहले कोई मंत्री है अब्दुल गफुर, वह सीवान जेल में बंद पूर्व सांसद शाहबुद्दीन से मिलने गये थे. उनकी फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी. इस खबर को […]

मुजफ्फरपुर : पत्रकार राजदेव हत्याकांड में गुरुवार को गवाही के लिए पहुंची राजदेव रंजन की पत्नी आशा यादव ने कहा कि मेरे पति की हत्या से पहले कोई मंत्री है अब्दुल गफुर, वह सीवान जेल में बंद पूर्व सांसद शाहबुद्दीन से मिलने गये थे. उनकी फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी. इस खबर को सबसे पहले हिंदुस्तान कार्यालय मुजफ्फरपुर ने छापा था. खबर छपने के बाद मेरे पति को धमकी दी गयी कि इस तरह की खबर छापते हैं, अंजाम भुगतने को तैयार रहो. यह बात मेरे पति ने बतायी थी.

आशा यादव ने बताया कि मैंने जब पति से पूछा कि धमकी देनेवाले कौन लोग थे, तो मेरे पति ने बताया था कि शाहबुद्दीन के लोग थे. खबर छपने के बाद एक दिन मेरे पति घर पर थे तो उनके मोबाइल पर फोन आया. मैंने पूछा कि किसका फोन है, तो मेरे पति बोले कि शाहबुद्दीन का फोन था. हमको जेल पर बुलाया है. मेरे पति जेल पर नहीं गये. उन्होंने मुझसे कहा था कि मेरी कभी भी कोई हत्या कर देगा. यह शहर रहने लायक नहीं है. यहां डर का माहौल है. उसके बाद मेरी पति की हत्या कर दी गयी. इसके पूर्व पेशी के लिए जेल से आये आरोपित को देखते ही वह कोर्ट में ही फफक-फफक कर रो पड़ी. हालांकि, तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पूर्व सांसद शाहबुद्दीन ,भागलपुर जेल से अजहरूद्दीन बेग की पेशी करायी गयी.

गवाही शुरू होते ही आशा यादव ने कहा कि 13 मई, 2016 की घटना है. उस समय मेरे पति हिंदुस्तान दैनिक अखबार में सीवान कार्यालय के ब्यूरो चीफ थे. घटना के दिन प्रत्येक दिन की तरह मेरे पति ऑफिस गये थे. घर में मै अपने बच्चों के साथ थी. शाम में फोन से किसी ने सूचना दी कि आपके पति का एक्सीडेंट स्टेशन रोड में हो गया है. इस सूचना पर मैं सदर अस्पताल गयी. वहां पर भीड़ थी. मैं अंदर गयी, तो देखा की मेरे पति की डेड बॉडी पड़ी है. मुझे लगा कि इसकी शिकायत पुलिस में करनी चाहिए. मै उसी भीड़ में एक आदमी से कागज-कलम ली. आवेदन लिख कर वहां खड़े थानाध्यक्ष प्रियरंजन को दे दिया. यही वह लिखित आवेदन है, जो मेरी लिखावट में है. जिस पर मेरे हस्ताक्षर हैं. वर्ष 1998 में हिंदुस्तान कार्यालय का कोई अपना कार्यालय नहीं था. उस समय हिंदुस्तान कार्यालय प्रभारी रवींद्र प्रसाद वर्मा के घर पर चलता था. मेरे पति न्यूज लिखते थे.

सितंबर 1998 में मेरे पति शाम को उनके घर में न्यूज लिख रहे थे. उस दौरान भी अपराधियों ने कार्यालय में घुस कर फायरिंग की थी. एक गोली रवींद्र प्रसाद वर्मा के बांयें हाथ में लगी थी और वह घायल हो गये थे. रात्रि में जब मेरे पति उस दिन देर से लौटे थे. जब मैंने देर होने का कारण पूछा, तो उन्होंने सारी घटना बतायी थी. मेरे पति की गाड़ी को भी अपराधियों ने तोड़ दिया था. कई बार मेरे पति को ऑफिस से लौटने के दौरान धमकी मिली थी. 2001 में भी मेरे पति को थाना रोड में बाइक सवार ने धमकी दी कि राजनीतिक लोगों के खिलाफ खबर लिखना छोड़ दो, नहीं तो अंजाम बुरा होगा. यह बात मेरे पति ने घर आकर बतायी थी. वर्ष 2005 अखबार के प्रभारी दुर्गाकांत ठाकुर थे. अपराधियों ने कार्यालय में घुस कर बांस से मेरे पति पर हमला कर दिया था. इससे उनके पैर में काफी चोटें आयी थीं. पैर का ऑपरेशन कराना पड़ा था. लेकिन, डर से मेरे पति ने थाने में शिकायत नहीं की. शहर के कांग्रेसी नेता और स्वर्णकार श्रीकांत भारती की हत्या कर दी गयी थी. इसकी खबर मेरे पति ने राजनीति लोगों एवं पूर्व सांसद शाहबुद्दीन के विरुद्ध छापी थी. इसके बाद पुनः मेरे पति को थाना रोड में धमकी दी गयी कि इस तरह की खबर छापना बंद करो, नहीं तो अंजाम बुरा होगा. पेशी के दौरान मुजफ्फरपुर जेल से आये सोनू कुमार, विजय कुमार, राजेश की उन्होंने पहचान की. वहीं, वीडियो कॉन्फ्रेसिंग से पेशी कराये जये पूर्व सांसद शाहबुद्दीन एवं लड्डन मियां की भी पहचान की.

यह है मामला

पत्रकार राजदेव रंजन की 13 मई, 2016 की रात सीवान के स्टेशन रोड में अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. इसके बाद पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन के बयान पर सीवान नगर पुलिस ने अज्ञात अपराधियों के विरुद्ध मामला दर्ज किया था.

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