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अब 147.25 करोड़ से बनेगा इंट्रीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर, 31 दिसंबर तक कार्य शुरू करने की तय है डेडलाइन
मुजफ्फरपुर : स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत कमिश्नरी परिसर में एसएसपी ऑफिस के सामने बनने वाले इंट्रीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर के डीपीआर में बदलाव किया गया है. पहले इस प्रोजेक्ट पर 63 करोड़ रुपये खर्च होने थे. लेकिन, पटना में पिछले दिनों हुई स्मार्ट सिटी की मीटिंग के बाद प्रोजेक्ट का डीपीआर तैयार कर […]
मुजफ्फरपुर : स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत कमिश्नरी परिसर में एसएसपी ऑफिस के सामने बनने वाले इंट्रीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर के डीपीआर में बदलाव किया गया है. पहले इस प्रोजेक्ट पर 63 करोड़ रुपये खर्च होने थे. लेकिन, पटना में पिछले दिनों हुई स्मार्ट सिटी की मीटिंग के बाद प्रोजेक्ट का डीपीआर तैयार कर रही कंसल्टेंट (पीडीएमसी) ‘श्रेई’ ने अचानक इसमें बदलाव कर दिया है.
मध्य प्रदेश व बंगलुरु के कई अन्य स्मार्ट सिटी का दौरा करने के बाद कंसल्टेंट की तरफ से 63 से बढ़ाकर 147.25 करोड़ का डीपीआर तैयार कर नगर निगम को सौंपा है. जिसकी तकनीकी जांच के लिए नगर आयुक्त सह स्मार्ट सिटी कंपनी के सीईओ संजय दूबे ने बुधवार को आइआइटी पटना को भेजा है. अब आइआइटी पटना से तकनीकी जांच रिपोर्ट के साथ डीपीआर लौटायी जायेगी. तब नगर विकास एवं आवास विभाग को भेज तकनीकी मंजूरी की औपचारिकता पूरी करने के लिए सीधे टेंडर निकाल दिया जायेगा.
आइसीसीसी के जरिये एकल खिड़की की होगी सुविधा
इंट्रीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर (आइसीसीसी) के जरिये शहर की ट्रैफिक सिग्नल, सुरक्षा और मॉनीटरिंग के लिए लगे सीसीटीवी कैमरों की निगरानी की जायेगी. इस सेंटर में जनता से जुड़े सारे रिकॉर्ड और डाटा मौजूद रहेंगे. बिजली, पानी समेत अन्य सभी बिल यहां से ही तैयार होंगे. बिल अलग-अलग नहीं होंगे.
कंट्रोल एंड कमांड सेंटर पर मौजूद अमला पूरे शहर में सुरक्षा और ट्रैफिक सिस्टम की मॉनीटरिंग कर सकेंगे. ऐसे कहे तो जनता को कंट्रोल एंड कमांड सेंटर के रूप में एकल खिड़की सुविधा मिलेगी. उसे बिलों को जमा करने के लिए अलग-अलग विभागों का चक्कर नहीं काटना पड़ेगा. वहीं, राजस्व रिकॉर्ड भी एक ही जगह से मुहैया हो जायेगा.
नौ डीपीआर की तकनीकी जांच जारी
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर में सड़क से लेकर सिकंदरपुर मन व पार्क के सौंदर्यीकरण से संबंधित नौ डीपीआर को पीडीएमसी ‘श्रेई’ ने तैयार किया था. जिसकी जांच के लिए विभाग के निर्देश पर नगर आयुक्त ने एमआइटी को 15 अक्तूबर को ही सभी डीपीआर को भेज दिया. लेकिन, अब तक एमआइटी से फाइनल रिपोर्ट के साथ डीपीआर को नहीं लौटाया गया है. इस कारण टेंडर प्रक्रिया में विलंब हो रही है. प्रारंभिक जांच में सिर्फ 58.37 करोड़ का जो डीपीआर था. उसे बढ़ाकर 75.37 करोड़ रुपये कर दिया गया है.
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