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लगान रसीद के लिए अंचल का चक्कर काट रहे किसान
राजस्व कर्मचारी की कमी की वजह से किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. लगान रसीद से लेकर दाखिल खारिज के लिए अंचल कार्यालय का चक्कर काटने को मजबूर हैं. रसीद कटाने के लिए कर्मचारियों को ढूंढने में ही कई दिन लग जाते हैं. इधर, कर्मचारी भी मनमानी कीमत वसूल करते हैं. […]
राजस्व कर्मचारी की कमी की वजह से किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. लगान रसीद से लेकर दाखिल खारिज के लिए अंचल कार्यालय का चक्कर काटने को मजबूर हैं. रसीद कटाने के लिए कर्मचारियों को ढूंढने में ही कई दिन लग जाते हैं. इधर, कर्मचारी भी मनमानी कीमत वसूल करते हैं.
दरअसल, सभी अंचलों में पद के मुताबिक कर्मचारी नहीं हैं. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तीन-तीन पंचायत का प्रभार एक कर्मचारी के उपर है जबकि सरकार ने हर पंचायत में एक राजस्व कर्मचारी की नियुक्ति की घोषणा की है.
औराई : मालगुजारी रसीद के लिए कई दिन इंतजार
अंचल में कुल 26 राजस्व पंचायत हैं, लेकिन सिर्फ सात राजस्वकर्मी हैं. एक राजस्व कर्मचारी पर तीन से चार पंचायतों का भार है. इस कारण किसानों को छोटे छोटे कार्यों के लिए कई-कई दिन का इंतजार करना पड़ता है. स्वामी सहजानंद किसान संगठन के अध्यक्ष लक्ष्मण ठाकुर ने बताया कि प्रत्येक राजस्वकर्मी ने सभी कार्यों के लिए निजी तौर पर अर्दली को बहाल कर रखा है. किसानों को मालगुजारी की रसीद के लिए मोटी रकम भी देनी पड़ती है. अंचलाधिकारी शंकरलाल विश्वास ने बताया कि अंचल कार्यालय में छह कर्मियों के स्थान पर सिर्फ चार कर्मी हैं, जिसमें से तीन कर्मी ऐसे हैं जिन्हें ठीक से लिखना तक नहीं आता. एक कर्मी दिव्यांग हैं.
गायघाट : 12 की जगह सिर्फ दो कर्मचारी
अंचल में 12 राजस्व कर्मचारियों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन दो राजस्व कर्मचारी ही स्थायी रूप से नियुक्त हैं. उसमें भी एक राजस्व कर्मचारी अरुण कुमार सिंह सीआई के प्रभार में हैं. राजस्व कर्मचारी की कमी को देखते हुए एक राजस्व कर्मचारी को दो सप्ताह पूर्व प्रतिनियुक्त किया गया है. कई हल्का के प्रभार में होने के कारण राजस्व कर्मचारी निजी स्तर पर आदमी रखकर राजस्व का काम करवाते हैं. किसान मनोज राय, मुन्ना सिंह आदि ने बताया कि भू लगान की ऑनलाइन शुरुआत नहीं होने के कारण राजस्व कर्मचारी की खोज में काफी भटकना और परेशान होना पड़ता है. सीओ भरत भूषण ने बताया कि राजस्व कर्मचारी की कमी से राजस्व कार्य में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
बंदरा : एक कर्मी पर पांच हलका का जिम्मा
एक-एक राजस्व कर्मचारी पर दो से पांच हलका की जवाबदेही है. अंचल में हलका की कुल संख्या 12 है, जबकि अंचल में राजस्व कर्मचारी की संख्या सिर्फ चार है. गंगालाल बैठा पांच हलका के साथ एक पंचायत सचिव और सीआई (अंचल निरीक्षक) के भी प्रभार में हैं. अखिलेंद्र कुमार सिंह तीन, संतोष कुमार दो और नसीम अहमद दो हलका के प्रभार में हैं. कर्मचारियों की कमी की वजह से लोगों को राजस्व जमा करने और एलपीसी बनवाने के लिए कई-कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता है.
एक कर्मचारी के जिम्मे छह छह हल्का
अंचल क्षेत्र मे 28 हल्का होने के वावजूद महज छह राजस्व कर्मचारी हैं. नतीजतन किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. एक राजस्व कर्मचारी के पास छह-छह पंचायत का प्रभार है. कर्मचारी तो मिलते नही उनके अघोषित कार्यालय पर उनका सारा काम अटॉर्नी (बिचौलिया) देखते हैं. मीनापुर में छह राजस्व कर्मी विरेंद्र कुमार, विजय तिवारी, सुरेंद्र पासवान, मो अयुब, अनिल कुमार सिंह व ब्रजमोहन ओझा कार्यरत हैं.
कैसी-कैसी दिक्कत
रानीखैरा के पैक्स अध्यक्ष सह किसान रमेश यादव बताते हैं कि मालगुजारी रसीद के लिए लोगों को चक्कर लगाना पड़ता है. किसान दिनेश ठाकुर बताते हैं कि मालगुजारी रसीद के लिए एक दिन की जगह 15 दिन दौड़ना पड़ता है. वहीं जमाबंदी प्रमाण पत्र के लिए भी परेशान होना पड़ता है. अटॉर्नी को चढ़ावा देने के बाद भी काम जल्द नहीं हो पाता.
कटरा : 80 गांवों के लिए पांच कर्मचारी
प्रखण्ड में राजस्व गांवों की संख्या 80 है. कुल 22 पंचायतों को नौ हलका में बांटा गया था. सी ओ ललित कुमार झा ने कहा कि नौ हलका के लिए पांच राजस्व कर्मी हैं. उसमें भी एक राजस्व कर्मी सीआई का भी काम देखते हैं. सीओ ने कहा कि वर्तमान में राजस्व कर्मी पंचायत के हिसाब से काम देख रहे हैं. शिवदासपुर निवासी जितेन्द्र सिंह का कहना है कि राजस्व कर्मी की कमी रहने के कारण हम किसानों को राजस्व की राशि जमा करने के लिए भी इंतजार करना पड़ता है.
एक के जिम्मे चार पंचायत
मुरौल क्षेत्र में चार हलका हैं और राजस्व कर्मचारी तीन हैं. प्रखंड में नौ पंचायतें हैं. राजेंद्र प्रसाद भगत को हरसिंघपुर लौतन, इंटहा रसुलनगर, बिशनपुर बखरी एवं बिशनपुर श्रीराम पंचायत सहित सीआइ का भी प्रभार है. रविन्द्र कुमार के जिम्मे मोहम्मदपुर बदल, मीरापुर एवं सादिकपुर मुरौल पंचायत तथा कन्हाई मिश्र के जिम्मे पिलखी गजपति एवं विधाझांप मिला हुआ है.
सरैया : तीन साल से अंचल निरीक्षक नहीं
अंचल निरीक्षक (सीआई) का कार्य राजस्व कर्मचारी से लिया जाता है. प्रत्येक कर्मचारी को दो हलका आवंटित है. ग्रामीण पप्पू भगत ने बताया कि एलपीसी, रसीद कटाने या अन्य कार्यों के लिए हलका कार्यालय से प्रखंड मुख्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है. विगत तीन वर्षों से अंचल निरीक्षक पद पर किसी की पदस्थापना नहीं हुई है.
सकरा : क्षेत्र में नहीं रहते हलका कर्मचारी
अंचल कार्यालय के तहत नौ हलका है, जिसमें आठ हलका कर्मचारी पदस्थापित हैं. एक हलका कर्मचारी को दो हलका का प्रभार है, बाकी सात हलका में कर्मचारी पदस्थापित हैं. किसानों का कहना है कि सिर्फ तीन हलका कर्मचारी ही अपने हलका में स्थायी रूप से रहते हैं. शेष कर्मचारी कभी-कभार हलका मे जाते इस वजह से लोगों को लगान रशीद, एल पी सी, जाति प्रमाण पत्र आदि के लिए विचौलियों का सहारा लेना पड़ता है. दुबहा निवासी आशा ठाकुर एवं अशोक ठाकुर ने हलका कर्मचारी के हलका मे नही रहने की शिकायत सी ओ से की थी.
पारू : हर राजस्व कर्मचारी को चार-चार हलका
विगत चार वर्षों से यहां अंचल निरीक्षक नहीं हैं. अंचल निरीक्षक (सीआई) का कार्य राजस्व कर्मचारी से लिया जाता है. इससे हलका का काम भी पूरी तरह प्रभावित होता है. प्रत्येक राजस्व कर्मचारी को चार-चार हलका आवंटित है. किसान अशोक महंथ ने बताया ने बताया कि एलपीसी, रसीद कटाने या अन्य कार्यों के लिए हलका कार्यालय से प्रखंड मुख्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है, जिससे काफी परेशानी होती है.
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