मुजफ्फरपुर : उत्तर बिहार के 12 जिलों में बच्चों में होनेवाली अज्ञात इंसेफेलाइटिस व जापानी इंसेफेलाइटिस के वायरस का पता लगाने के लिए एपिडेमिक इंटेलिजेंस सर्विस व नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज प्रोग्राम की टीम अगले महीने शहर आयेगी. यह टीम प्रभावित गांवों का दौरा कर बीमार बच्चों के परिजनों व आसपास के लोगों से बीमारी की जानकारी लेगी. जापानी इंसेफेलाइटिस के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखकर स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गयी है. इसको लेकर विभाग अब इन इलाकों में बीमारी की रोकथाम के लिए नये सिरे से शोध का काम शुरू करेगा.
राज्य स्वास्थ्य समिति व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वेक्टर वार्न डिजीज विभाग ने इसकी समीक्षा करना शुरू कर दी है.
पुणे भेजा जायेगा सिरम : जिले में फैल रहे जेइ व अज्ञात इंसेफेलाइटिस को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने प्रभावित 12 जिलों के पशुपालन अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्र में 10-10 सुअरों व पक्षियों के सिरम का सैंपल लेकर जांच के लिए पूना भेजने का निर्देश दिया है. इसको लेकर जिला पशुपालन विभाग सुअर पालन वाले स्थानों की सूची बनाने में जुट गये हैं.
पहले भी आयी थी जेइ के वायरस का पता लगाने टीम : 26 जून 2016 को भी केंद्रीय टीम मुशहरी प्रखंड के गंगापुर गांव में जेइ के वायरस का पता लगाने आयी थी. गांव के महादलित बस्ती में विनोद राम के जेइ पीड़ित 8 वर्षीय पुत्र सूरज का सैंपल भी लिया था. वहीं, सूरज की मां सिया देवी से उसके बीमार होने के संबंध में जानकारी ली थी. नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल के संयुक्त सचिव डॉ आरके दास के नेतृत्व में टीम ने आसपास के तालाबों, सुअर पालन, मुर्गीपालन व लीची की फसल के बारे में जानकारी ली.
केजरीवाल अस्पताल में चार बच्चों की मौत का मामला उलझा
इधर, स्वास्थ्य विभाग के दबाव के बाद केजरीवाल अस्पताल प्रशासक ने चार बच्चों की मौत अज्ञात एइएस से नहीं हुई है, इसकी विज्ञप्ति जारी की है. अस्पताल प्रशासक ने विज्ञप्ति में कहा है कि एइएस से चार बच्चों की मरने की सूचना अस्पताल प्रशासक ने नहीं दी है. उनका कहना है कि उनके यहां से किसी भी अधिकारी ने चार बच्चों की मौत एइएस से हुई है, इसकी जानकारी किसी भी एजेंसी को नहीं दी थी. अस्पताल प्रबंधक ने कहा है कि पूरी जांच के बाद ही किसी रोग से पीड़ित होने की सूचना दी जाती है. उन्होंने कहा कि बच्चों की मौत की खबर छपने के दिन तक कोई रिपोर्ट नहीं आयी थी.
जेइ के वायरस की रोकथाम के लिए पशुपालन विभाग को सुअर व जलीय पक्षियों के सिरम का सैंपल लेकर जांच के लिए पूणे भेजने का निर्देश दिया गया है. जेइ के बढ़ते प्रभाव को राेकने के लिए स्वास्थ्य विभाग नये तरीके से शोध करेगा.
संजय कुमार
स्टेट नोडल अधिकारी
जेइ-एइएस, पटना