मुजफ्फरपुर : बच्चों, तुम्हारा बचपन ईश्वर की दी हुई अनमोल धरोहर है. यह दोबारा नहीं मिलेगा. अभी तुम जितना हंस सकते हो हंसो. जितनी मस्ती करनी है करो. खेलो-कूदो और इस बचपन को जी लो. बचपन ही वह समय है, जब खुशियां हमारे पास रहती है. बस, एक बात ध्यान रखना, आत्मबल कम मत करना, पढ़ाई से जी मत चुराना.
माता-पिता खेलने नहीं देते तो उन्हें प्यार से कहो, पापा कुछ देर के लिए खेलने दें. उक्त बातें प्रभात खबर की ओर से शनिवार को आयोजित बचपन बचाओ अभियान में अतिथियों ने कही. आयोजन की दूसरी कड़ी में वे अखाड़ाघाट रोड स्थित जीडी मदर इंटरनेशनल स्कूल में बच्चों के साथ संवाद कर रहे थे. माइंड पावर थेरापिस्ट डॉ अजय कुमार सिंह व मनोचिकित्सक डॉ एकेझा ने बच्चों को व्यस्तम समय में खेलकूद व मस्ती के लिए समय निकालने के कई टिप्स भी दिये. इससे पूर्व प्रभात खबर के यूनिट हेड निर्भय कुमार सिन्हा ने कहा कि बच्चों के बचपन पर सेंध लग रही है, हमलोग इसे बचाने के लिए प्रयासरत हैं.
मोबाइल से नहीं, प्रकृति के साथ खेलें : माइंड पावर थेरापिस्ट डॉ अजय कुमार सिंह ने बच्चों से कहा कि आप सचमुच बचपन को जीना चाहते हैं तो मोबाइल से नहीं, प्रकृति के साथ खेले. प्रकृति आपको मजबूत बनायेगी.
बचपन के आनंद के साथ बीमारियों से भी बचे रहेंगे. आप खुद को कमजोर नहीं समझे. ईश्वर ने पूरी धरती पर आपके जैसा दूसरे बच्चे को नहीं बनाया है. यदि आपको परीक्षा में कम अंक आता है तो आप निराश नहीं हों. खुद से कहे कि मैं अच्छा कर सकता हूं. इसका नतीजा आपको मिलेगा.
माता-पिता से बात करने में संकोच नहीं करें : मनोचिकित्सक डॉ एके झा ने कहा कि आप सभी माता-पिता से बात करने में संकोच नहीं करें. खुल कर अपनी बात कहे. आप बात करेंगे तो उन्हें भी समझ में आयेगा कि आपकी क्या इच्छा है. आप जितना फ्रेंडली रहेंगे उतना बचपन को इंज्वाय करेंगे. अधिकतर बच्चे घर में बात करने से डरते हैं. इससे उनके मन में अकारण डर बैठने लगता है. यह उनके आत्मबल का कमजोर करता है. ऐसे बच्चे बचपन का आनंद नहीं उठा पाते. डिजिटल गैजेट्स का उपयोग जरूरत के लिए करें. इसे खेल का माध्यम नहीं बनाएं.