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जालान औषधालय में अटल जी ने कराया था इलाज
धरोहर : आयुर्वेदिक इलाज के लिए देश में प्रसिद्ध था सरैयागंज स्थित जालान दातव्य औषधालय प्रभात कुमार मुजफ्फरपुर : ऐतिहासिक सरैयागंज टावर से चंद कदमों की दूरी पर स्थित जालान दातव्य आयुर्वेदिक औषधालय को भले ही अब लोग भूलते जा रहे हैं, लेकिन एक जमाने में यह औषधालय आयुर्वेद व आंख इलाज के लिए देश […]
धरोहर : आयुर्वेदिक इलाज के लिए देश में प्रसिद्ध था सरैयागंज स्थित जालान दातव्य औषधालय
प्रभात कुमार
मुजफ्फरपुर : ऐतिहासिक सरैयागंज टावर से चंद कदमों की दूरी पर स्थित जालान दातव्य आयुर्वेदिक औषधालय को भले ही अब लोग भूलते जा रहे हैं, लेकिन एक जमाने में यह औषधालय आयुर्वेद व आंख इलाज के लिए देश में प्रसिद्ध था. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी जालान चैरिटेबल आइ अस्पताल में इलाज कराया था.
यही नहीं, इलाज व व्यवस्था से प्रभावित होकर विजिटर रजिस्टर में अटल जी ने लिखा कि औषधालय का इलाज व प्रबंध बेहतर है. देश के धन कुबेरों को अपने धन का उपयोग इसी तरह का संस्था स्थापित कर करना चाहिए. देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद भी औषधालय में पधारे थे. जालान औषधालय के हॉल में वैध के साथ मीटिंग करते हुए दीवार पर लगी राष्ट्रपति की तस्वीर इसकी गवाह है. औषधालय के विजिटर बुक में कई मंत्री, सांसद, उद्योगपति ने अपने मंतव्य में व्यवस्था व इलाज की तारीफ की है.
खस्ताहाल में शहर का धरोहर . बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद के नियंत्रण में संचालित यह धरोहर औषधालय खस्ताहाल में है.
औषधालय के कमरा के किराया से मरीजों को मुफ्त दवा व इलाज तो हो रहा है, लेकिन रखरखाव के अभाव में खंडहर बनता जा रहा है. व्यवस्थापक रवि पोद्दार व वैद्य डॉ गोपाल कुमार ठाकुर बताते हैं कि प्रतिदिन 50 – 60 मरीज आते हैं, जिनका
दवा व इलाज किया जाता है, लेकिन स्थिति ठीक नहीं है. औषधालय में तीन वैध व अन्य कार्य के लिए छह लोग हैं. इसी से काम चल रहा है. सरकार से सहयोग नहीं मिलने से काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.
वे बताते हैं कि यहां लवण भास्कर चूर्ण व च्यवनप्राश भी बनता था, लेकिन राशिके अभाव में बंद करना पड़ा. फिलहाल, स्त्री रोग, पेट व त्वचा संबंधी इलाज के लिए दवा तैयार होता है.
कोलकाता के सेठ ने 1942 में कराया था निर्माण
जालान दातव्य औषधालय की स्थापना अंग्रेजी शासन के समय हुआ है. कोलकाता के जाने माने सेठ राम कुमार जालान ने अपने सहयोगियों के साथ भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 1942 में औषधालय को 40 हजार राशि से स्थापित किया है जाे 1949 में सेवा संघ ट्रष्ट के रूप में अस्तित्व में आ गया. करीब एक बीघा में बने इस अस्पताल में छोटे-बड़े 115 कमरे हैं.
काफी दिन पहले इसमें मरीज के रहने की व्यवस्था भी हुआ करता था. औषधालय के फाउंडर वैद्य गोपाल जी जोशी, कन्हैयालाल शास्त्री, सीताराम शास्त्री एवं रामाकांत ठाकुर थे. सभी वैद्य बहुत प्रचलित थे. प्रतिदिन 300 – 400 मरीजों का मुफ्त इलाज व दवा दी जाती थी.
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