मुजफ्फरपुर : दिल्ली की तरह अपने शहर की आबोहवा भी तेजी से बदल रही है. हवा में धूलकण की मात्रा काफी बढ़ गयी है. प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार शहरी क्षेत्र में धूलकण की मात्रा मानक से पांच गुना अधिक हो गयी है.
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दिल्ली की तरह खराब हो रही शहर की आबोहवा, धूलकण की मात्रा बढ़ी
मुजफ्फरपुर : दिल्ली की तरह अपने शहर की आबोहवा भी तेजी से बदल रही है. हवा में धूलकण की मात्रा काफी बढ़ गयी है. प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार शहरी क्षेत्र में धूलकण की मात्रा मानक से पांच गुना अधिक हो गयी है. कोहरा बढ़ने के साथ धूलकण की मात्रा और बढ़ जाती […]
कोहरा बढ़ने के साथ धूलकण की मात्रा और बढ़ जाती है. हवा में बढ़ रहे प्रदूषण का अंदाजा से इसी से लगाया जा सकता है कि धूलकण की मात्रा का मानक 60 होना चाहिए जो अभी 277 है. महानगर की दिल्ली की बात करें, तो वहां धूलकण की मात्रा 762 है. लेकिन जिस तरह से प्रदूषण बढ़ रहा है, शहर देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शािमल हो जाएगा
एक दिसंबर की शाम साढ़े छह बजे
दर्ज प्रदूषित शहरों की रिपोर्ट
तीन तरह के कण
पहुंचा रहे नुकसान
हवाओं में घुलनेवाली विषैली गैसों व धूल के तीन तरह के कण नुकसान पहंचा रहे हैं. सबसे छोटा कण पीएम 1 है, इसका आकार एक माइक्रोमीटर से कम होता है. दूसरा पीएम 2.5 व तीसरा पीएम 10 पार्टिकल है. तीनों कण दिखाई नहीं पड़ते और वातावरण में आसानी से घुल जाते हैं. सामान्य वातावरण में इनकी मानक निर्धारित है. पीएम 2.5 पार्टिकुलेट मैटर 60 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर व पीएम 10 मैटर 100 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर होना चाहिए.
लेकिन इनमें पांच गुना तक वृद्धि देखी जा रही है. इन कणों के कारण सुबह व शाम में धुंध बनता है. इस परिवेश में रहने पर फेफड़े व गले को ज्यादा नुकसान होता है. एलर्जी के अलावा सांस रोग की समस्या होने लगती है.
प्रदूषण बढ़ने के कारण
गाड़ियों से निकलनेवाला सफेद धुआं
खुले रूप में कचरा जलाना
नदी, पोखरों में डाला जा रहा कचरा
डीजल से चलने वाले जेनरेटर
नालों से कचरे की उड़ाही कर रोड पर छोड़ देना
निर्माण के दौरान निकलने वाले धूलकण
जर्जर सड़क पर फैले धूलकण
सड़कों पर अधिकतर जाम लगना
गाड़ियों का रखरखाव ठीक तरह से नहीं होना
ठंड में जमीन पर तापमान कम रहता है और पर्यावरण स्थिर रहता है. ऐसे में गर्म हवा ऊपर नहीं जा पाती है और नीचे ही रह जाती है. जबकि नीचे का वातावरण गर्म रहना चाहिए. इसलिए ठंड के मौसम में तो कचरा बिल्कुल ना जलाये. आम लोग भी कम से कम गाड़ी का उपयोग करे. लंबी दूरी में पब्लिक ट्रांसपोर्ट और कम दूरी के लिए पैदल चले तो बेहतर है. हम सभी के सामने कचरा का सही डिस्पोजल बड़ी चुनौती है, इसमें कमी लाना सरकार से अधिक हमारा दायित्व है.
डॉ सुरेश कुमार, एचओडी सिविल इंजीनियरिंग, एमआइटी
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