पटना/मुजफ्फरपुरः मुजफ्फरपुर में निगरानी कोर्ट के जज रहे अरुण कुमार सिंह के न्यायिक कार्यो पर रोक लगा दी गयी है. ये फैसला पटना हाईकोर्ट की पीठ ने मुजफ्फरपुर व सहरसा के मामलों में सुनवाई करते हुए दिया. हालांकि अभी फैसले को लेकर अधिसूचना नहीं जारी की गयी है. अरुण कुमार सिंह अभी सुपौल में निगरानी जज के रूप में तैनात हैं.
मुजफ्फरपुर में कार्यकाल के दौरान अरुण कुमार सिंह के खिलाफ उन्हीं की कोर्ट में वकील पंकज कुमार ने 30 जून 2012 को मामला दर्ज कराया था. इसमें निगरानी जज अरुण कुमार सिंह पर पैसे लेकर जमानत देने का आरोप लगाया था. मामले में कहा गया था, एक जैसे मामलों में जज अरुण को जिसमें रिश्वत मिलती है, उसी में जमानत दी जाती है, जबकि जिस मामले में रिश्वत नहीं मिलती, उसमें जमानत नहीं दी जाती है. मामले को अरुण कुमार सिंह ने अपनी कोर्ट में मंजूर कर लिया था. इसकी सुनवाई की तारीख 20 जुलाई 2012 तय की थी.
सुनवाई के दिन जज अरुण कुमार सिंह ने वकील पंकज कुमार को गिरफ्तार करवा लिया था.उस समय जज ने पंकज पर बड़े लोगों पर केस करके पैसे वसूलने का आरोप लगाया था. इसके बाद वकीलों ने आंदोलन किया था. उस समय निगरानी जज की कोर्ट का बहिष्कार भी हुआ था. तब जिला जज के हस्तक्षेप के वकील पंकज को छोड़ा गया था. इसके बाद पंकज ने 21 जुलाई 2012 को सीजेएम कोर्ट में निगरानी जज के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. इसमें पंकज ने अपने साथ हुई घटना का जिक्र किया था.
वकील पंकज कुमार ने सीजेएम कोर्ट में मामला दर्ज कराने के बाद हाईकोर्ट में भी जज अरुण कुमार के खिलाफ अपील की थी. इसमें उनकी संपत्ति की जांच की मांग की थी. अपील में पंकज कुमार ने कई दस्तावेज भी पेश किये थे, जिनमें जज ने मुजफ्फरपुर व हाजीपुर में अपनी पत्नी के नाम पर जमीन की खरीदारी की थी, लेकिन दस्तावेज में जज की पत्नी ने पति की जगह पिता नाम लिखा था.
जज अरुण कुमार सिंह के खिलाफ सरहसा में भी मामला दर्ज हुआ था. इसमें भी उन पर एक तरह के मामले में पैसा लेकर आरोपितों को छोड़ने का आरोप लगा था. ये मामला भी हाईकोर्ट के सामने था. इन दोनों मामलों की सुनवाई के लिए हाईकोर्ट की पीठ बनी थी. इसने मुजफ्फरपुर के जिला जज से भी रिपोर्ट तलब की गई थी. बताया जाता है, रिपोर्ट के आधार पर ही निगरानी जज अरुण कुमार सिंह के खिलाफ हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है.