मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर-दरभंगा फोरलेन पर फर्राटे से दौड़ती गाड़ियों की रफ्तार मैठी टॉल प्लाजा के पास आते ही धीमी हो जाती है. मुजफ्फरपुर व दरभंगा की ओर से आने व जानेवाली गाड़ियों का टॉल टैक्स बचाने के लिए नायाब तरीका निकाला गया है.
फोरलेन के बगल से बनी मैठी गांव की सड़क से होकर गाड़ियों को पास कराया जाता है, जिससे टॉल टैक्स की चोरी हो रही है. इसे रोकने के लिए अभियान चलाने के बजाय वैकल्पिक रास्ते पर वसूली का खेल चल रहा है, जहां टॉल टैक्स के रूप में एक तरफ के सत्तर रुपये देने होते हैं. वहीं, इस सड़क पर दस से लेकर तीस व पचास रुपये तक की वसूली होती है. वसूली नीली वर्दी पहने लोग करते हैं, जो खुद को टॉल कर्मी बताते हैं. शनिवार को ऐसी वसूली कर रहे एक दो व्यक्तियों को हमने अपने कैमरे में कैद किया, जब इन लोगों से बात की गयी, तो इनमें से एक ने अपना नाम मनीष बताया और कहा, हम टॉल प्लाजा के कर्मचारी हैं. हम तो केवल हाथ देकर वाहन को टॉल रोड की ओर जाने का इशारा कर रहे थे, लेकिन जिस वाहन (पिकअप) के बारे में मनीष ये कह रहा था, वो टॉल रोड पार कर चुका था. मुजफ्फरपुर की ओर जा रहा था.
मनीष अपनी बात कहते-कहते गांव की रोड के किनारे स्थित दवा दुकान में घुस गया. उसके साथ दो और लोग थे. वह भी मनीष के साथ अंदर चले गये. इस दौरान वाहनों के आने-जाने का सिलसिला लगातार जारी था, लेकिन ये लोग उन्हें समझाने के लिए झोपड़ी के अंदर से नहीं निकले. पूछने पर कोई संतोष जनक उत्तर भी नहीं दे सके. दरअसल, मैठी गांव की इस रोड का उपयोग दरभंगा की ओर जाने और वहां से आनेवाले वाहन सालों से कर रहे हैं. इनसे वसूली भी लंबे समय से हो रही है, लेकिन इसकी ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है. कौन से लोग वसूली में संलिप्त हैं, इसके बारे में भी कोई बोलने को तैयार नहीं है.