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जीएसटी: नया टैक्स सिस्टम लागू होने के बाद प्रभावित है कारोबार, अभी झटके से नहीं उबरा बाजार

मुजफ्फरपुर : जीएसटी लागू हुए एक महीने पूरे हो गए, लेकिन बाजार अपनी रफ्तार नहीं पकड़ सका है. कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स, दवा व गल्ला मार्केट अभी भी प्रभावित है. हालांकि बाजार में सामान की कमी नहीं है, फिर भी रौनक नहीं लौट सकी है. पिछले साल नोटबंदी के बाद से पूरी तरह से मंदी छा गयी […]

मुजफ्फरपुर : जीएसटी लागू हुए एक महीने पूरे हो गए, लेकिन बाजार अपनी रफ्तार नहीं पकड़ सका है. कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स, दवा व गल्ला मार्केट अभी भी प्रभावित है. हालांकि बाजार में सामान की कमी नहीं है, फिर भी रौनक नहीं लौट सकी है. पिछले साल नोटबंदी के बाद से पूरी तरह से मंदी छा गयी थी. अप्रैल तक लगभग यही हाल रहा. मई में लगन का सीजन शुरू होने के बाद कुछ चहल- पहल बढ़ी थी.

जून में लगन का मौसम खत्म हुआ और जुलाई से जीएसटी लागू हो गया. इसको लेकर छोटे- बड़े सभी कारोबारी शुरूआत में पूरी तरह असमंजस में रहे. विभागीय कोशिशों के बाद भी आधी- अधूरी जानकारियों के बीच ही जीएसटी लागू हो सकी. इसको लेकर विरोध- प्रदर्शन भी हुए. हालांकि धीरे- धीरे व्यवसायी जीएसटी का रजिस्ट्रेशन कराने लगे हैं. खासकर बड़े कारोबारियों ने रजिस्ट्रेशन करा लिया है, या फिर प्रक्रिया में है. जबकि छोटे व्यवसायी अभी तक समझने में ही लगे हैं. दवा मार्केट में नया स्टॉक नहीं आ सका है. कुछ कंपनियों ने ही नया स्टॉक भेजा है, जबकि अधिकतर दवाएं जीएसटी से पहले की ही है.

कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स, दवा व गल्ला मार्केट की नहीं लौटी रौनक
कपड़ा मार्केट की स्थिति अभी काफी खराब है. अभी भी लोग असमंजस में है, क्या करें. इसके चलते ही सभी व्यवसाई नंबर नहीं ले सके हैं. बड़े व्यवसायी तो नंबर ले लिए हैं. कुछ लोगों का पेंडिंग है. अभी नंबर नहीं आया है. विभागीय लोग भी कुछ स्पष्ट नहीं कर रहे हैं. लेकिन छोटे व्यवसाई अभी भी समझने में ही लगे हैं. उहापोह के चलते जीएसटी नंबर भी नहीं ले रहे हैं. ई- वे बिल को लेकर भी काफी परेशानी हो रही है. जीएसटी लागू हुए एक महीना हो गया, लेकिन बाजार की स्थिति नहीं सुधरी.
सज्जन शर्मा, प्रवक्ता चैंबर ऑफ कॉमर्स
जुलाई में वैसे भी बाजार की स्थिति ठीक नहीं रहती. अभी समझ में नहीं आ रहा कि जीएसटी के चलते ही बाजार मंदा है, या फिर मौसम के चलते. वैसे भी यह महीना हम लोगों के लिए अच्छा नहीं रहता. हालांकि इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स की कीमतें बढ़ी ही है. पहले से ही नोटबंदी के बाद बाजार में पैसे की कमी थी. इसी बीच जीएसटी लागू हो गया. विक्रेता के लिए कोई खास अंतर नहीं है. हम लोग किसी न किसी रूप में टैक्स देकर ही इलेक्ट्रॉनिक्स सामान लाते थे.
संजय कुमार पप्पू, संजीविका इलेक्ट्रॉनिक्स
जीएसटी लागू होने के बाद धीरे- धीरे स्थिति सामान्य हो रही है. एक महीने पूरा हो गया. शुरूआत में जो डर था, वह दूर हो चुका है. अभी पूरी तरह नया स्टॉक नहीं हुआ है. इसके बाद भी दवा बाजार में अभी दवाओं की कमी नहीं है. हां, इलीगल दवाइयां आनी कम हो गई है. अब केवल सही दवा ही आ रही है. दो दिन पहले पटना में हुई बैठक में भी यह बात उठा था कि किस तरह से मार्केट की स्थिति सामान्य हो रहा है. हालांकि ग्रामीण क्षेत्र के बाजार में काफी दिक्कत हो रही है. अधिकतर ग्राहक अशिक्षित है. वे नई व्यवस्था के बारे में पूरी तरह नहीं जान सके हैं.
दिलीप जालान, दवा विक्रेता
जीएस लागू हुए एक महीना पूरा हो गया. सरकार ने तीन महीने की छूट हम लोगों को दी है. हालांकि अभी तक कुछ भी क्लीयर नहीं हो सका है. गल्ला मार्केट में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. सिस्टम बदलने के चलते कारोबार पर प्रभाव पड़ा है. वैसे गल्ला मार्केट में कई आइटम है, जो टैक्स फ्री है. इसमें किसी तरह का बदलाव भी नहीं हुआ है. धीरे- धीरे अगले एकाध महीने में स्थिति साफ होने की उम्मीद है. वैसे भी जुलाई के महीने में बाजार मंदा ही रहता है.
ब्रजनंदन प्रसाद, गल्ला कारोबारी
कमल नाथानी, स्वर्ण व्यवसायी. सोने-चांदी के व्यापार में मंदी महसूस की गयी है. ग्राहक अभी भी टैक्स नहीं देना चाह रहे हैं. जीएसटी के कारण टैक्स में बढ़ोतरी हुई है. जो पहले एक प्रतिशत थी, अब तीन प्रतिशत हो गयी है. इससे दाम में भी बढ़ोतरी हुई है.
प्रतीक चमड़िया, व्यवसायी. 30% दवाइयों की सप्लाई अभी भी नहीं हो रही है. इस कारण कुछ दिक्कत हो रही है. दवा दुकान के लिए लाइसेंस लोग बनवाना चाह रहे हैं, लेकिन अभी लाइसेंस बन नहीं रहा है. सरकार की बहुत अच्छी पहल है, लेकिन लोगों को अभी भी सही नियम कानून नहीं पता लग पाया है. मार्केट में असमंजस की स्थिति बनी हुई है.
सिद्धार्थ बंका, दाल व्यवसायी. खुदरा महंगाई दर में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. अनाज के दामों में जीएसटी का कोई असर नहीं पड़ा है. खाद्य तेलों की कीमत में एक फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी है. ग्राहकों को जीएसटी से कोई फर्क नहीं पड़ा है.
भरत नाथानी, हल्दीराम सुपर स्टॉकिस्ट. कुछ सामान के टैक्स में गिरावट हुई है और कुछ के टैक्स में बढ़ोतरी. लेकिन इससे बाजार की खपत में कोई असर नहीं पड़ा है. हालांकि अभी भी कुछ लोगों को जीएसटी की पूरी जानकारी नहीं हुई है. इस कारण बहुत से छोटे व्यवसायी जीएसटी नंबर नहीं लेना चाह रहे हैं. जैसे-जैसे जानकारी बढ़ रही है, वैसे-वैसे लोग उसे अपना रहे हैं.

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