इधर, एनएचएआइ ने जिला भू-अर्जन कार्यालय पर प्लान नक्शा के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है. परियोजना निदेशक प्रणय कुमार ने जिला भू-अर्जन पदाधिकारी बच्चानंद सिंह को पत्र भेज कर जल्द-से-जल्द सभी 36 गांवों का प्लान नक्शा उपलब्ध कराने को कहा है. उनका कहना है कि प्लान नक्शा नहीं होने के कारण आगे की कार्रवाई नहीं हो पा रही है.
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सदातपुर से मधौल तक के गांवों का नहीं मिल रहा है प्लान नक्शा
मुजफ्फरपुर: एनएच-77 हाजीपुर-मुजफ्फरपुर खंड में मधौल से सदातपुर के बीच करीब दस गांवों का प्लान नक्शा की मूल कॉपी नहीं मिल रही है. इसके कारण न सिर्फ इन गांवों के छूट रकबा की जांच नहीं हो पा रही है, फाइनल एस्टिमेट की मंजूरी में भी देरी होगी. इसको लेकर प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मचा है. […]
मुजफ्फरपुर: एनएच-77 हाजीपुर-मुजफ्फरपुर खंड में मधौल से सदातपुर के बीच करीब दस गांवों का प्लान नक्शा की मूल कॉपी नहीं मिल रही है. इसके कारण न सिर्फ इन गांवों के छूट रकबा की जांच नहीं हो पा रही है, फाइनल एस्टिमेट की मंजूरी में भी देरी होगी. इसको लेकर प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मचा है. जिला भू-अर्जन विभाग के अमीन इस मामले में दोनों डीसीएलआर व दो अन्य अमीनों से भी संपर्क साध चुके हैं. बावजूद, नक्शा का अता-पता नहीं चल रहा है.
जहां का गायब है नक्शा, वहीं है विवाद : एनएच-77 पर मधौल से सदातपुर के बीच ही बाइपास का निर्माण नहीं हो पा रहा है. यहां के किसान नयी अर्जन नीति व जमीन के वर्तमान किस्म के आधार पर भुगतान की मांग कर रहे हैं. यहां अर्जित जमीन का कुल रकबा 123 हेक्टेयर है. चार साल से विवाद जारी है. इस दौरान विवाद सुलझाने की प्रशासन की तमाम कोशिशें बेकार हो चुकी है.
छूटे रकबा की भी नहीं हो पा रही है जांच
जिला भू-अर्जन कार्यालय ने बीते साल दिसंबर माह के पहले सप्ताह में 36 गांवों में अर्जित जमीन के मुआवजा भुगतान के लिए एक अरब, 77 करोड़ 50 लाख 65 हजार 179 रुपये का फाइनल एस्टिमेट मंजूरी के लिए भेजा था. अभी इसे मंजूरी भी नहीं मिली थी कि बाद में छूट रकबा को भी एस्टिमेट में शामिल करने के लिए करीब डेढ़ दर्जन आवेदन भेज दिये गये. एनएचएआइ ने इस पर आपत्ति जताते हुए सभी 36 गांवों में छूट रकबा का पता लगा कर एक साथ प्रस्ताव भेजने को कहा. इसके बाद डीएम धर्मेंद्र सिंह के आदेश पर जिला भू-अर्जन पदाधिकारी बच्चानंद सिंह ने अलग-अलग अमीनों को 36 गांव के छूट रकबा की जांच के लिए मापी का आदेश दिया था. मधौल से फकुली तक के गांवों का प्लान नक्शा उपलब्ध होने के कारण करीब 26 गांवों की जांच हो चुकी है. मगर, नक्शे के अभाव में दस गांवों के छूट रकबा की जांच नहीं हो पा रही है.
दो टीमों के बीच बंटा था नक्शा
किस्म को लेकर जारी विवाद को सुलझाने के लिए पिछले साल अक्तूबर माह में नये सिरे से 36 गांवों की जमीन की जांच करायी गयी. इसके लिए दो अलग-अलग टीम बनायी गयी. एक टीम ने मधौल से फकुली तक के 26 गांवों की जमीन की किस्म जांची थी. वहीं दूसरी टीम ने मधौल से सदातपुर तक के दस गांवों में जांच की थी. जिला भू-अर्जन कार्यालय के अमीन के अनुसार, मधौल से सदातपुर तक के गांव की जमीन की जांच दोनों डीसीएलआर के नेतृत्व में दो अमीनों से करायी गयी थी. इसके लिए टीम को नक्शा भी उपलब्ध कराया गया. पर, उसे वापस नहीं लौटाया गया. वे इस मामले में दोनों अधिकारियों व दोनों अमीनों से अलग-अलग संपर्क भी साध चुके हैं. पर, वे अपने पास नक्शा होने की बात से इनकार कर रहे हैं.
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