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कैदियों को शुद्ध पेयजल भी नसीब नहीं

13 चापाकल के भरोसे 525 कैदी की बुझती है प्यास शौच व स्नान के दौरान मची रहती है आपाधापी मुंगेर : सरकार मंडलकारा को सुधार गृह के रुप में देख रही है. ताकि कैदी जब यहां से निकले तो समाज के नव निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सके. इसके लिए जेल में उनके […]

13 चापाकल के भरोसे 525 कैदी की बुझती है प्यास

शौच व स्नान के दौरान मची रहती है आपाधापी
मुंगेर : सरकार मंडलकारा को सुधार गृह के रुप में देख रही है. ताकि कैदी जब यहां से निकले तो समाज के नव निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सके. इसके लिए जेल में उनके जीवन को सुधारने की दिशा में कई कार्यक्रम चलाये जाते है. शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता से संयमित जीवन जीने की सीख दी जाती है. लेकिन मुंगेर मंडल कारा में उस समय यह सीख फेल हो जाती है जब सुबह में शौच, स्नान का समय आता है. कैदियों में पहले हम तो पहले हम के लिए आपाधापी मच जाती है. जिसे संयमित करने में जेल प्रशासन के पसीने छूट जाते है. क्योंकि यहां रह रहे 525 कैदियों के लिए मात्र 13 चापाकल लगे हैं.
13 चापाकल पर 525 कैदियों की दिनचर्या
मुंगेर मंडल कारा में लगभग 525 कैदी बंद है. जिसमें लगभग एक दर्जन महिला कैदी भी शामिल है. इन कैदियों के दिनचर्या के उपयोग के लिए मंडल कारा के अंदर 13 चापाकल लगाया गया है. इसी चापाकल के भरोसे कैदियों की प्यास बुझती है. जबकि स्नान और शौच के लिए भी इसी चापाकल के पानी का उपयोग किया जाता है. सुबह में तब आपाधापी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. जब कैदी शौच व स्नान के लिए निकलते है. पहले हम तो पहले हम की स्थिति बनी रहती है. मंडल कारा के बंदी गृह के बाहरी क्षेत्र में एक समरसेबल लगाया गया. जिससे जेल की सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मी व कार्यालय कर्मी उपयोग करते है. पानी की समस्या को देखते हुए जेल प्रशासन ने उस समरसेबल से एक पाइप जेल के अंदर ले गये है और उसी में टोटी लगा दिया गया. जिसके कारण कुछ परेशानी कम हुई है.
पीने योग्य है या नहीं, आज तक नहीं करायी गयी पेयजल की जांच
सरकार के सात निश्चय में शामिल है हर घर नल का जल, ताकि लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा सके. लेकिन मुंगेर मंडल कारा में उनका यह निश्चय फेल हो जाता है. क्योंकि कैदियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए यहां कोई व्यवस्था नहीं है. जेल में आज भी कैदी चापाकल का पानी पीने को विवश है. जेल प्रशासन के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि जेल गंगा किनारे अवस्थित है. जिसके कारण जल का लेयर काफी ऊपर है. जेल में जो चापाकल लगा हुआ है उसका पानी पीने योग्य नहीं है. बाढ़ के कारण कई चापाकल से गंदा पानी गिर रहा है. आज तक चापकल के पानी की जांच तक नहीं करायी गयी है कि वह पीने योग्य है अथवा नहीं. क्योंकि मुंगेर आर्सेंनिक प्रभावित क्षेत्र घोषित है और वह गंगा किनारे अधिक पायी जाती है.

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