लापरवाही . पुल चालू होने के बावजूद प्रतिदिन यात्री स्टीमर से कर रहे गंगा पार
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2774 करोड़ के पुल पर मात्र एक ट्रेन
लापरवाही . पुल चालू होने के बावजूद प्रतिदिन यात्री स्टीमर से कर रहे गंगा पार भारतीय रेल के अधिकारियों की लापरवाही कहें या अकर्मण्यता, मुंगेर में गंगा नदी पर 2774 करोड़ की लागत से बने रेल पुल पर उद्घाटन के एक माह बाद भी अबतक मात्र एक सवारी गाड़ी ही दौड़ रही है. वह भी […]
भारतीय रेल के अधिकारियों की लापरवाही कहें या अकर्मण्यता, मुंगेर में गंगा नदी पर 2774 करोड़ की लागत से बने रेल पुल पर उद्घाटन के एक माह बाद भी अबतक मात्र एक सवारी गाड़ी ही दौड़ रही है. वह भी 24 घंटे में महज तीन फेरे. यह पुल न तो आम यात्रियों की आवश्यकताओं को पुरा कर पा रहा और न ही रेल के आय का स्रोत बन पा रहा है. पुल चालू होने के बावजूद बड़ी संख्या में प्रतिदिन यात्रियों को अब भी स्टीमर के रास्ते गंगा पार करना पड़ रहा है.
मुंगेर : दशकों के इंतजार के बाद 12 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंगेर रेल सह सड़क पुल का उद्घाटन किया. बाद में रेलवे संरक्षा आयुक्त की जांच प्रक्रिया पूरी की गयी और 25 मार्च को संरक्षा आयुक्त ने पुल से यात्री ट्रेनों के परिचालन की हरी झंडी दे दी. लेकिन पूर्व मध्य रेलवे व पूर्व रेलवे के अधिकारियों के बीच आपसी समन्वयक के अभाव में पुल के माध्यम से ट्रेनों का परिचालन का मामला उलझा रहा.
11 अप्रैल को रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने बेगूसराय से एक सवारी गाड़ी को हरी झंडी दिखा कर रेल यात्री सेवा प्रारंभ की. किंतु मुंगेर-बेगूसराय-खगडि़या रेलखंड पूर्व मध्य रेलवे के अधिकारियों के उपेक्षा का शिकार होकर रह गया है. फलत: अबतक इस पुल पर मात्र एक सवारी गाड़ी का परिचालन हो रहा है जो दिन में दो बार मुंगेर से बेगूसराय होते हुए तिलरथ तथा एक बार मुंगेर से खगडि़या के बीच अप-डाउन कर रही. रेल अधिकारियों की लापरवाही व मनमानी का जीता जागता उदाहरण यह रहा कि दो दिनों तक मात्र चार बोगी की ट्रेन इस रेलखंड में चलायी गयी.
यात्रियों ने जब हंगामा व तोड़फोड़ किया तो सात बोगी की ट्रेन चलने लगी.
नहीं चल रही एक भी एक्सप्रेस ट्रेन . 2774 करोड़ की लागत से अत्याधुनिक तकनीक से बने मुंगेर रेल पुल से अबतक एक भी एक्सप्रेस ट्रेन का परिचालन नहीं हो रहा है. न ही रेलवे ने किसी ट्रेन को को मार्ग परिवर्तित कर इस रूट पर चलाया है. जबकि पूर्वोत्तर भारत की रेल सेवा के लिए यह पुल अत्यंत ही महत्वपूर्ण व उपयोगी साबित हो सकती है. जिससे जहां एक ओर यात्री सेवा का विस्तार होगा वहीं रेलवे के आय के स्रोत भी बढ़ेंगे.
कई ट्रेनों का हो सकता है मार्ग परिवर्तन . बिना नयी ट्रेन चलाये भी मुंगेर रेल पुल के माध्यम से एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचालन हो सकता है. रेलवे जहां कई ट्रेनों का यात्रा विस्तार कर मुंगेर व जमालपुर कर सकती है तो कई ट्रेनों का मार्ग परिवर्तित कर मुंगेर-जमालपुर के रास्ते भागलपुर-साहेबगंज-हावड़ा तक ट्रेन को चला सकती है. भागलपुर-मुजफ्फरपुर के बीच चलने वाली जनसेवा एक्सप्रेस को जमालपुर से
मुंगेर-बेगूसराय के रास्ते बरौनी-मुजफ्फरपुर चला सकती है तो जयनगर-हावड़ा सवारी गाड़ी को भी बरौनी से बेगूसराय-मुंगेर होते हुए भागलपुर-साहेबगंज-हावड़ा मार्ग पर परिचालन सुनिित कर सकती है. इसके साथ ही बरौनी-नई दिल्ली वैशाली एक्सप्रेस व बरौनी-ग्वालियर एक्सप्रेस ट्रेन का यात्रा विस्तार कर मुंगेर व जमालपुर तक किया जा सकता है. जिसके माध्यम से जहां इस क्षेत्र के लोगों को उत्तर बिहार होते हुए उत्तरप्रदेश की रेल सेवा उपलब्ध होगी. वहीं रेलवे के आय भी बढ़ेंगे.
वाइ लेग के पेंच में फंसा मामला
रेल अधिकारी गंगा पुल के रास्ते एक्सप्रेस ट्रेनों के परिचालन का मामला जमालपुर में बनने वाले वाइ लेग के पेंच में फंसा दिया है. अधिकारियों का कहना है कि ट्रेन परिचालन के लिए वाइ लेग का बनना जरूरी है. क्योंकि भागलपुर से मुंगेर-बेगूसराय रूट पर ट्रेन परिचालन के लिए जमालपुर में इंजन को घुमाना होगा. जबकि जमालपुर में मात्र तीन प्लेटफॉर्म है और ट्रेनों की संख्या अधिक है. लेकिन रेल अधिकारियों के इस तर्क में दम नहीं है. क्योंकि घंटों जमालपुर स्टेशन के सभी प्लेटफॉर्म खाली पड़ी रहती है. जिस समय का उपयोग कर यात्री सेवा का विस्तार किया जा सकता है.
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