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अपराधियों के भय से छोड़ा घर-द्वार

मुंगेर : जमालपुर के केशोपुर नक्कीनगर में राजकमल उर्फ राजू मंडल का हंसता-खेलता छोटा सा परिवार था. राजकमल खुद मोबाइल का कारोबार करता था. पत्नी स्वास्थ्य विभाग में नर्स है. दो बेटे बड़ा आकाश राजकमल और छोटा आदित्य राजकमल को लेकर मां-बांप ने बड़े-बड़े सपने संजोये थे. लेकिन नौ अप्रैल 2012 की घटना ने पूरे […]

मुंगेर : जमालपुर के केशोपुर नक्कीनगर में राजकमल उर्फ राजू मंडल का हंसता-खेलता छोटा सा परिवार था. राजकमल खुद मोबाइल का कारोबार करता था. पत्नी स्वास्थ्य विभाग में नर्स है. दो बेटे बड़ा आकाश राजकमल और छोटा आदित्य राजकमल को लेकर मां-बांप ने बड़े-बड़े सपने संजोये थे. लेकिन नौ अप्रैल 2012 की घटना ने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया.

छोटा बेटा आदित्य राजकमल के अपहरण व हत्या के बाद जो परिस्थिति पैदा हुई उसने राजू मंडल को अपने घर-द्वार को छोड़ने पर मजबूर कर दिया. राजकमल उर्फ राजू मंडल बताता है कि घटना के बाद पुलिस ने मनीष उर्फ नेपाली को तो गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. लेकिन अमित झा व मनोज कुमार बाहर ही रह गया.

कुछ दिनों के लिए पुलिस प्रशासन ने उसे सुरक्षा के लिए बॉडीगार्ड भी दिया था. लेकिन वह कमाने-खाने वाला व्यक्ति बॉडीगार्ड को कितने दिनों तक अपने साथ रख सकता था. अंतत: उसने पूरे परिवार के साथ घर छोड़ने का फैसला लिया और जमालपुर छोड़ कर चला गया.

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