आखिर शहीद एसपी सुरेंद्र बाबू के हत्यारे को कब मिलेगी सजा ! शहीद एसपी केसी सुरेंद्र बाबू के शहादत दिवस पर विशेष :- प्रतिनिधि, मुंगेर मुंगेर के शहीद एसपी केसी सुरेंद्र बाबू हत्या के 11 वर्ष पूरे हो गये. लेकिन अबतक हत्यारों को सजा नहीं मिल पायी. कई आरोपी साक्ष्य के अभाव में रिहा हो चुके हैं और जो दो मामले न्यायालय में चल रहे उसमें एक मामले में गवाह उपस्थित नहीं हो रहे. तो दूसरे में आरोपी का उपस्थापन न्यायालय में नहीं होने के कारण आरोप तक गठन नहीं हो पाया है. मुंगेर पुलिस अपराधियों को सजा दिलाने का लाख दावा कर ले लेकिन अपनी कार्य संस्कृति के कारण आजतक अपने शहीद एसपी के हत्यारे को सजा नहीं दिला पायी. अलबत्ता यह कि पुलिस ने जिन लोगों को इस हत्याकांड में आरोपित किया, जेल भेजे और उसके विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र भी समर्पित किया, वह भी साक्ष्य के अभाव में रिहा हो गये. आरोपी के रिहा होने के बाद अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए राज्य पुलिस मुख्यालय ने वर्ष 2011 में केस को अनुसंधान के लिए री-ओपेन भी किया. किंतु वह भी पुलिस फाइल में दम तोड़ रही है. आरोपित हो चुके हैं रिहा एसपी हत्याकांड के मूल केस सत्रवाद संख्या 429/06 एवं सत्रवाद संख्या 329/07 का निष्पादन हो चुका है. इस मामले में पुलिस ने अपने अनुसंधान के दौरान जमुई जिले के सोनो थाना अंतर्गत बिच्छागढ़ निवासी भोपाल ठाकुर एवं मंगल राय के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया था. पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार इन आरोपियों ने हत्याकांड में अपनी संलिप्तता भी स्वीकारी थी. लेकिन जब मामले की सुनवाई हुई तो गवाहों ने न्यायालय में अभियुक्त की पहचान नहीं की. फलत: साक्ष्य के आरोप में ये लोग रिहा हो गये. दूसरे मामले में भी खड़गपुर के प्रसंडो निवासी राजकुमार दास के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया गया था और वह भी न्यायालय द्वारा निष्पादित हो चुका है. न्यायालय में चल रहे दो मामले एसपी हत्याकांड के संदर्भ में मुंगेर न्यायालय में दो मामले चल रहे हैं. एक मामला मुंगेर के जिला सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में सत्रवाद संख्या 584/09 चल रहा है. जबकि दूसरा अपर सत्र न्यायाधीश द्वितीय के न्यायालय में सत्रवाद संख्या 614/12 लंबित है. सत्रवाद संख्या 584/09 में अबतक आरोपियों के विरुद्ध आरोप गठन नहीं हो पाया है. जिसमें दासो यादव व बचनदेव यादव को मुंगेर न्यायालय में उपस्थापित करना है जो खैरा थाना कांड संख्या 140/04 में जमुई जेल में बंद है. इस मामले की अगली सुनवाई 19 जनवरी 2016 को निर्धारित है. जबकि सत्रवाद संख्या 614/12 के अपर सत्र न्यायाधीश पीएन शर्मा 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो चुके हैं और इस कांड की सुनवाई की तिथि 7 जनवरी 2016 को निर्धारित है. यह वाद गवाही के लिए लंबित चला आ रहा. अनुसंधान की गति मंथर विभाग ने इस महत्वपूर्ण कांड के अनुसंधान को पुन: वर्ष 2011 में प्रारंभ भी किया. लेकिन आज भी वह अनुसंधान पुलिस फाइलों में ही दम तोड़ रहा है. या यूं कहें कि अब इस मामले के प्रति विभाग भी उदासीन बनी हुई है. एसपी हत्याकांड को री-ओपेन करते हुए अनुसंधान पदाधिकारी ने न्यायालय से अनुरोध किया था कि तारापुर के तत्कालीन अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सनत कुमार श्रीवास्तव, अवर निरीक्षक रामानंद सिंह, आरक्षी कृष्णानंद यादव, मार्शल टोकनो, भृगु सोरेन का बयान इस कांड में दर्ज होना आवश्यक है. क्योंकि ये लोग घटना के समय मौजूद थे और कांड के संदर्भ में जानकारी रखते हैं. इनमें कई लोगों के बयान न्यायालय में दर्ज हो चुके हैं. लेकिन अब भी अनुसंधान जारी है. 5 जनवरी 2005 को हुई थी घटना5 जनवरी 2005 को मुंगेर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक केसी सुरेंद्र बाबू भीमबांध के अंदर बसे पैसरा गांव में नक्सलियों के विरुद्ध छापामारी करने गये थे. छापेमारी के बाद जब वह लौट रहे थे तो रास्ते में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग विस्फोट कर उनके जिप्सी को उड़ा दिया था. इस घटना में एसपी सहित जिप्सी पर सवार सभी छ: लोगों की मौत हो गयी. मृतकों में जिप्सी चालक मो. इस्लाम, अंगरक्षक ओमप्रकाश गुप्ता, मो. अब्दुल कलाम, शिव कुमार राम एवं धु्रव कुमार ठाकुर शामिल थे.
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आखिर शहीद एसपी सुरेंद्र बाबू के हत्यारे को कब मिलेगी सजा !
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