सदर अस्पताल : इमरजेंसी के नाम पर पूरा किया जाता है कोरम बिना बेसिक कार्डियक लाइफ सपोर्ट व एडवांस ट्रामा लाइफ सपोर्ट की ट्रेनिंग के ही हो रही ड्यूटीफोटो संख्या : 14फोटो कैप्सन : इमरजेंसी वार्ड प्रतिनिधि, मुंगेरजी हां! सदर अस्पताल में पिछले कई वर्षों इमरजेंसी के नाम पर महज कोरम पूरा किया जा रहा है. यहां बिना बेसिक कार्डियक लाइफ सपोर्ट व एडवांस ट्रामा लाइफ सपोर्ट की ट्रेनिंग के ही चिकित्सक, पारा मेडिकल कर्मी व ए ग्रेड नर्सों से ड्यूटी ली जा रही है. इतना ही नहीं इमरजेंसी के लिए उपलब्ध रहने वाली सुविधाएं भी यहां नदारद है. जिसके कारण इलाज के लिए यहां आने वाले रोगियों को पटना या भागलपुर रेफर कर दिया जाता है.बिना ट्रेनिंग के चल रहा इमरजेंसी सेवासदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में बिना ट्रेनिंग के ही चिकित्सक, पारा मेडिकल कर्मी व ए ग्रेड नर्सों से ड्यूटी ली जा रही है. वहीं जरूरी सुविधाओं का भी यहां घोर अभाव है. यह अलग बात है कि अनुमंडलीय अस्पताल व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से मरीजों को बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल भेज दिया जाता है. किंतु यहां पहुंचने के बाद फस्ट एड कर गंभीर मरीजों को इमरजेंसी सेवा के लिए पटना या भागलपुर रेफर कर दिया जाता है. जिसके कारण मरीजों के इलाज में और भी देरी हो जाती है.नहीं मिलती आइसीयू का लाभसदर अस्पताल में इसी साल 27 फरवरी को आइसीयू का उद्घाटन किया गया. जिसमें लगभग 22 लाख के उपकरण भी लगाये गये. पिछले आठ महीने में यहां एक भी मरीज का इलाज नहीं हुआ. किंतु इंट्यूबेशन व डिफीब्रिलेटर जैसे लाखों रुपये के संयंत्र खराब भी हो गये. हाल यह है कि यहां का आइसीयू अब सिर्फ शोभा की वस्तु बन कर रह गयी है. इसके चालू होने की संभावना दूर- दूर तक नजर नहीं आ रही.इमरजेंसी में उपकरणों का है अभावकहने को तो सदर अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड की व्यवस्था है किंतु यहां सक्शन मशीन व अंबु बैग जैसे उपकरण की व्यवस्था तो दूर की बात, यहां तो एक बीपी मशीन तक उपलब्ध नहीं है. इमरजेंसी सेवा तभी सफल माना जा सकता है जब यहां ब्लड सूगर, हीमोग्लोबीन, ब्लड ग्रुप, यूरिन व टीसी जांच के लिए 24 घंटे पैथलॉजिकल जांच की सुविधा उपलब्ध रहे. लेकिन यहां तो सिर्फ ओपीडी सेवा के दौरान ही पैथलॉजिकल जांच की सुविधा उपलब्ध रहती है.विशेषज्ञ चिकित्सकों की व्यवस्थाविशेषज्ञ संख्यासर्जन 2फिजीशियन 3शिशु रोग 3हड्डी रोग 1नेत्र रोग 2दंत रोग 1एनेस्थेटिक 3कहते हैं सिविल सर्जनसिविल सर्जन डॉ श्रीनाथ ने बताया कि इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को सेवा उपलब्ध करायी जाती है. किंतु गंभीर मामले में चिकित्सक रिस्क नहीं उठाना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि आइसीयू सेवा चालू करने के पहले लगे हुए संयंत्रों को ठीक करवाना पड़ेगा. साथ ही चिकित्सकों को ट्रेनिंग भी देनी पड़ेगी.
सदर अस्पताल : इमरजेंसी के नाम पर पूरा किया जाता है कोरम
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