मुंगेर : जिलाधिकारी अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने गुरुवार को सदर अस्पताल का औचक निरीक्षण किया. इस दौरान अस्पताल में कई स्तर पर अनियमितता पायी गयी. उन्होंने सिविल सर्जन डॉ श्रीनाथ को कड़ी फटकार लगाते हुए दो दिनों के अंदर व्यवस्था में सुधार लाने के निर्देश दिये. जिलाधिकारी ने कहा कि हर वार्ड में थर्मामीटर, आला व बीपी मशीन उपलब्ध करायी जाय.
साथ ही चिकित्सकों के ड्यूटी का रोस्टर चार्ट एवं दवा की उपलब्धता की सूची प्रतिदिन उन्हें उपलब्ध करायी जाय. मौके पर सदर अनुमंडल पदाधिकारी कुंदन कुमार, जनसंपर्क उपनिदेशक केके उपाध्याय एवं वरीय उप समाहर्ता आशीष बरियार मुख्य रूप से मौजूद थे.हर वार्ड में रहे आला व बीपी मशीनजिलाधिकारी ने निरीक्षण के दौरान विभिन्न वार्डों में कई खामियां पायी.
जिससे यह प्रतीत हो रहा था कि अस्पताल में मरीजों के इलाज के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही हो. इमरजेंसी वार्ड में न ही बीपी मशीन उपलब्ध थे और न ही थर्मामीटर. हास्यास्पद स्थिति को देखते हुए जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि अविलंब हर वार्ड में थर्मामीटर, आला व बीपी मशीन उपलब्ध करायी जाय. ड्यूटी रोस्टर को वार्ड में करें प्रदर्शित निरीक्षण के दौरान इमरजेंसी वार्ड एवं प्रसव केंद्र में चिकित्सक के मौजूद नहीं रहने पर जिलाधिकारी ने अस्पताल उपाधीक्षक से ड्यूटी रोस्टर की मांग की.
तो उन्हें एक कॉपी थमा दिया गया. जिसमें चिकित्सकों के ड्यूटी को अंकित किया गया था. इस बात को लकर जिलाधिकारी बिफर पड़े. उन्होंने कहा कि चिकित्सकों का ड्यूटी रोस्टर प्रतिदिन कंप्यूटर से निकाला जाय तथा उसे हर वार्ड में प्रदर्शित किया जाय. साथ ही उसकी एक कॉपी प्रतिदिन उनके गोपनीय कार्यालय को भी उपलब्ध करायी जाय.
ड्यूटी रोस्टर में चिकित्सक के नाम के साथ-साथ उनका मोबाइल नंबर भी रहना अनिवार्य है. जिलाधिकारी ने इमरजेंसी ड्यूटी से गायब चिकित्सक डॉ आसीम कुमार से स्पष्टीकरण पूछने का निर्देश दिया. दवा वितरण में भी मिला घालमेल जिलाधिकारी ने जब अस्पताल में उपलब्ध दवाओं के बारे में पूछा तो ओपीडी के 32 दवाओं में मात्र 25 दवा ही उपलब्ध बताया गया.
किंतु जब केंद्रीय दवा भंडार से जानकारी मांगी गयी तो, वहां 32 में से 30 दवा उपलब्ध थी. जिस पर डीएम काफी नाराज हुए और उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था अत्यंत ही दुखद है. एक ही परिसर में पांच दवाओं का गैप चल रहा है. बावजूद यहां के पदाधिकारी इस बात से अनभिज्ञ हैं. उन्होंने निर्देश दिया कि प्रतिदिन दवा की उपलब्धता की सूची भी उन्हें उपलब्ध करायी जाय.
बाहर के दवा देख बिफरे डीएमजिलाधिकारी जब महिला मेडिकल वार्ड पहुंचे तो वहां पर भरती कटघर निवासी मरीज धर्मा देवी से अस्पताल की व्यवस्थाओं के बारे में पूछा. जिस पर धर्मा देवी ने बताया कि क्या बताये बाबू यहां तो दवा भी बाहर से खरीदनी पड़ती है. जिलाधिकारी ने उसके पास मौजूद दवा कॉम्बोमेक्स- 500 टेबलेट के बारे में सिविल सर्जन से पूछा.
सिविल सर्जन ने बताया कि यह दवा टीवी वार्ड में उपलब्ध है. इतना सुनते ही जिलाधिकारी ने फटकार लगाते हुए कहा कि जब यह दवा अस्पताल के किसी भी वार्ड में उपलब्ध है तो फिर इसे बाहर से क्यों मंगवाया गया. यह पूरी तरह गैर जवाबदेही है. -बॉक्स-11:48 बजे ही बंद हो गयी परची काउंटरमुंगेर : एक ओर जहां अस्पताल में जिलाधिकारी का निरीक्षण चल रहा था. वहीं दूसरी ओर परची काउंटर के कर्मी इस बात से शायद बेखबर थे.
जिसके कारण 11:48 बजे ही परची काउंटर को बंद कर दिया. नयागांव निवासी रंजू देवी ने तत्क्षण जिलाधिकारी को इस बात की सूचना देते हुए कहा कि ओपीडी का समय सुबह 8 बजे से 12 बजे तक चलती है. किंतु वे जब 11:48 बजे काउंटर पर पहुंची तो काउंटर को बंद कर दिया गया था. इस पर जिलाधिकारी ने अस्पताल उपाधीक्षक को निर्देश दिया कि प्रात: के ओपीडी में 12 बजे तक एवं संध्या के ओपीडी में 6 बजे तक परची काउंटर खुला रहना चाहिए. जिससे मरीजों को समय रहते लौटना न पड़े.———–बॉक्स–नहीं थे मरीज
, चादर से सजे थे बेड मुंगेर : जिलाधिकारी के अस्पताल निरीक्षण की खबर अस्पताल के पदाधिकारियों को शायद पहले से मिल चुकी थी. जिसके कारण वार्डों में हर बेड पर साफ-सुथरे चादर बिछा दिये गये थे. जिलाधिकारी जब शिशु वार्ड पहुंचे तो वे खुद भी अचरज में पड़ गये. वार्ड में एक भी मरीज भरती नहीं था. किंतु वार्ड में जितने भी बेड लगे हुए थे, उन सब पर साफ- सुथरे चादर बिछा दिये गये थे. इतना ही नहीं वहां ड्यूटी में तैनात नर्स भी पूरी तरह ड्रेस में मौजूद थी.
बॉक्स—आइसीयू व एसएनसीयू चालू कराने का निर्देशमुंगेर : जिलाधिकारी ने सिविल सर्जन को निर्देश देते हुए कहा कि नवनिर्मित आइसीयू व एसएनसीयू को अविलंब चालू किया जाय.
जिससे जिले मरीजों को गंभीर स्थिति में बाहर न जाना पड़े. इस पर सिविल सर्जन ने बताया कि आइसीयू में लगे मशीन खराब रहने के कारण इसे चालू नहीं किया जा सका है. रात्रि में सुरक्षा की व्यवस्था उपलब्ध करा दिया जाय तो एसएनसीयू की सेवा आरंभ की जा सकती है.–बॉक्स-कुव्यवस्था का शिकार है सदर अस्पतालमुंगेर :
इन दिनों सदर अस्पताल में कुव्यवस्थाओं का अंबार लग हुआ है. बात चाहे साफ-सफाई की हो या फिर चिकित्सा की. हर क्षेत्र में यहां उदासीनता ही नजर आती है. पूर्व में साफ-सफाई की बात पर अस्पताल के पदाधिकारी यह कह कर अपना पल्ला झाड़ लेते थे कि यहां सफाई कर्मी का अभाव है. किंतु सफाई की जिम्मेवारी एनजीओ के हाथों में दे देने के बाद भी अस्पताल की तस्वीर नहीं बदली है. हर जगह गंदगी ही गंदगी व्याप्त है.
वहीं यदि चिकित्सा की बात की जाय तो यहां के चिकित्सक रजिस्टर पर तो ड्यूटी करते हैं. किंतु अक्सर वे ड्यूटी के दौरान अपने वार्ड में अनुपस्थित रहते हैं. अस्पताल में दवा उपलब्ध रहने के बावजूद भी मरीजों को बाहर की दवा लिख दिया जाता है तथा अस्पताल के पदाधिकारी सब कुछ देखते हुए भी मौन रहते हैं. जिसके कारण साफ तौर पर कहा जा सकता है कि सदर अस्पताल इन दिनों कुव्यवस्था का शिकार हो चुका है.