मुंगेर : बिहार राज्य पथ परिवहन निगम द्वारा संचालित मुंगेर प्रतिष्ठान कभी यहां का शान हुआ करता था. लेकिन आज यह किसी कबाड़ीखाना से कम नहीं है.
इतना ही नहीं डिपो के जमीन पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है. जबकि जर्जर बसे नीलाम हो रही है.
1956 में हुई स्थापना : वर्ष 1956 में बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की स्थापना हुई थी. जिसके तहत मुंगेर प्रतिष्ठान भी स्थापित हुई. उस समय दर्जन भर बसें इस प्रतिष्ठान को दी गयी और शास्त्रीनगर में एक बड़े भू-भाग पर डिपो खोला गया. जहां वाहनों के रखरखाव के लिए कर्मशाला भी खोला गया.
इतना ही नहीं यहां नियंत्रण कक्ष भी स्थापित की गयी और डीजल भरने के लिए अपना पंप भी स्थापित किया गया.
कबाड़खाना बना डिपो : मुंगेर प्रतिष्ठान का डिपो आज पुरी तरह कबाड़खाना बन कर रह गया है.
जर्जर व जंग खायी हुई बसे यहां की शान है. झाड़-जंगलों के बीच स्थित यह डिपो घुसने में भी लोगों को भय लगता है. डिपो की इमारत और बड़ा भू-भाग यह बताता है कि कभी यह यहां की शान हुआ करता था.
यहां 18 ऐसे वाहन है जो झारखंड बंटवारे के बाद जर्जर होने के कारण आज भी यहां खड़ी है. जिस पर झाड़-जंगल उग आये हैं. 12 वाहन मुंगेर प्रतिष्ठान की अपनी है जो डिपो में सड़ रही है.
शान से खड़ा है पेट्रोल पंप :डिपो के अंदर एक पेट्रोल पंप खुला था. जहां मुंगेर प्रतिष्ठान की बसों में डीजल भरा जाता था. एक बड़ी टंकी भी बनी हुई है. जहां तेल रखा जाता था. आज वह मशीन जर्जर हालत में है.
जर्जर हो गया भवन :डिपो के समीप ही प्रतिष्ठान अधीक्षक कार्यालय स्थापित है. साथ ही कर्मचारियों के रहने के लिए क्वार्टर की व्यवस्था है जो आज पुरी तरह जर्जर है. अधीक्षक कार्यालय के कमरे की स्थिति यह बयां कर रही है कि दशकों से न तो यहां की मरम्मती हुई और न ही रंगरोगन ही किया गया.
डिपो के अंदर नियंत्रण कक्ष भी बना है. जिस भवन में न तो किबाड़ है और न ही खिड़की बची है. डिपो की जमीन पर ही कर्मचारियों के रहने के लिए क्वार्टर बना हुआ है. लेकिन क्वार्टर का हाल यह है कि किबाड़ -खिड़की तो गायब है. अब ईंट भी गायब हो रही है.
बस के कल-पुर्जे की हो रही चोरी : डिपो में रखे बस पुरी तरह जर्जर हो गया है. जिसके कल पुर्जे की चोरी हो रही है. पिछले दिनों भी 6 बस का रेडीवाटर चोरी कर ली गयी थी. इस संबंध में संबंधित थाने में शिकायत भी दर्ज कराया गया.