प्रतिनिधि , मुंगेरसृजन साहित्य के तत्वावधान में सोमवार को बेलन बाजार में काव्य संध्या का आयोजन किया गया. उसकी अध्यक्षता यदुनंदन झा द्विज ने की. मुख्य अतिथि के रूप में सूचना एवं जन संपर्क विभाग के उपनिदेशक कमलाकांत उपाध्याय एवं विशिष्ट अतिथि के रुप में गजलकार अनिरुद्ध सिन्हा मौजूद थे. संचालक युवा कवि कुमार विजय गुप्त ने गजल पाठ के लिए अशोक आलोक को आमंत्रित किया. उन्होंने अपनी दो गजलों का पाठ किया. पहली गजल का मतला था ‘जख्म अपना कहीं छुपाये है, और खुद को भी अजमाए है ‘. इस गंभीर गजल के बाद हास्य कविता के लिए उपनिदेशक केके उपाध्याय को बुलाया गया. जिनकी पंक्तियां थी ‘बरसाती मौसम के दौरान चली हड़ताल में, व्यवहार न्यायालय में गधे की अदालत लगी ‘ . अनिरुद्ध सिन्हा ने एक गजल व एक गीत का पाठ किया. उनकी गजल की पंक्ति थी ‘ खुद से रूठे तो मौसम बदल जायेंगे, दास्तां बनके अश्कों में ढल जाइये ‘. युवा कवि शहंशाह आलम ने अंगूठा शीर्षक कविता सुनाते हुए कहा ‘उसका प्रेम शंख की तरह गूंजता है जैसे, जैसे सच गूंजता है एकाग्र, चाक पर आकार ले-लेकर ‘. कवि कुमार कर्ण ने सुनाया ‘ क्यों खेलते हो तुम बार-बार खेल ऐसा, बेटियां होती है सबकी एक जैसी ‘. डॉ मृदुला झा ने सुनाया ‘ जिंदगी ने खुद संवारा है मुझे, हर बशर बेहद ही प्यारा है मुझे ‘. मौके पर विकास, कुमार विजय गुप्त, नारायण जालान ने भी अपनी-अपनी कविता का पाठ किया.
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बरसाती मौसम में दौरान चली हड़ताल में …
प्रतिनिधि , मुंगेरसृजन साहित्य के तत्वावधान में सोमवार को बेलन बाजार में काव्य संध्या का आयोजन किया गया. उसकी अध्यक्षता यदुनंदन झा द्विज ने की. मुख्य अतिथि के रूप में सूचना एवं जन संपर्क विभाग के उपनिदेशक कमलाकांत उपाध्याय एवं विशिष्ट अतिथि के रुप में गजलकार अनिरुद्ध सिन्हा मौजूद थे. संचालक युवा कवि कुमार विजय […]
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