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आइसीयू व एसएनसीयू सेवा बना हाथी का दांत
मुंगेर: सदर अस्पताल में आइसीयू एवं एसएनसीयू के उद्घाटन से जिले वासियों में खुशी की लहर दौड़ गयी. किंतु यह खुशी क्षणिक रह गयी. उद्घाटन के दिन से अबतक इसका लाभ जिले के एक भी मरीजों को नहीं मिल पाया है. जिसके कारण यह दोनों ही हाथी का दांत साबित हो रहा है. आइसीयू में […]
मुंगेर: सदर अस्पताल में आइसीयू एवं एसएनसीयू के उद्घाटन से जिले वासियों में खुशी की लहर दौड़ गयी. किंतु यह खुशी क्षणिक रह गयी. उद्घाटन के दिन से अबतक इसका लाभ जिले के एक भी मरीजों को नहीं मिल पाया है. जिसके कारण यह दोनों ही हाथी का दांत साबित हो रहा है. आइसीयू में रखने लायक रोगी को भी मुंगेर से भागलपुर व पटना रेफर किया जा रहा.
गंभीर रोगी हो रहे रेफर
आइसीयू के उद्घाटन से पूर्व इसे व्यवस्थित करने को लेकर लगातार रात-दिन काम कर सभी खराब संयंत्रों को ठीक करवाया गया. लेकिन वह सारी की सारी तैयारी सिर्फ उद्घाटन के लिए की गयी. उद्घाटन के बाद से यहां का ताला भी अबतक नहीं खोला गया है. सोमवार को बासुदेवपुर निवासी मनीष कुमार सिंह की पत्नी की हालत अत्यंत ही गंभीर थी. परिजनों ने उसे इलाज के लिए सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में लाया. मरीज को आइसीयू में भरती करना तो दूर की बात उसका बिना इलाज किये ही उसे रेफर कर दिया गया.
नवजात को एसएनसीयू नसीब नहीं
एसएनसीयू का उद्घाटन इस उद्देश्य से किया गया कि वैसे नवजात जो समय से पूर्व जन्म लिया हो, कुपोषित हो या फिर बीमारी से ग्रसित हो. उसे एसएनसीयू में रख कर तब तक इलाज किया जाना है जब तक नवजात का स्वास्थ्य सामान्य न हो जाय. उद्घाटन के बाद से कई ऐसे नवजात ने सदर अस्पताल सहित अन्य स्वास्थ्य केंद्रों पर जन्म लिया. किंतु अब तक एक भी नवजात को एसएनसीयू नसीब नहीं हो पाया है.
निवर्तमान सिविल सजर्न के सेवानिवृत्ति के कारण आनन-फानन में आइसीयू व एसएनसीयू का उद्घाटन तो कर दिया गया. किंतु उसे सुचारु रूप से चलाने के लिये पर्याप्त चिकित्सकों एवं स्टाफ की व्यवस्था नहीं की गयी है. इसी कारण से उसे चालू नहीं किया जा सका है.
डॉ रामेश्वर महतो, सिविल सजर्न
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