मुंगेर:भाजपा नेता पंकज वर्मा की सोमवार को हुई हत्या के बाद उत्पन्न स्थिति को लेकर पवन मंडल की गिरफ्तारी मुंगेर पुलिस के लिए चुनौती बन गयी थी. गिरफ्तारी के लिए जहां लगातार पुलिस उस पर दबाव बनाये हुए थी वहीं गिरफ्तारी नहीं होने की स्थिति में उसकी संपत्ति को कुर्क करने की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गयी थी.
शुक्रवार को उसके घर की कुर्की जब्ती की कार्रवाई होनी थी. लेकिन उससे पूर्व ही गुरुवार को पुलिस ने उसे दबोच लिया. वैसे पवन मंडल अपने काले कारनामों से कमाये गये संपत्ति को बचाने के लिए अपने भाई सुधीर मंडल व एक अन्य सहयोगी घोल्टा मंडल को न्यायालय में आत्मसर्मपण करा दिया था. साथ ही वह भी इस फिराक में था कि पुलिस के हत्थे चढ़ने के बजाय न्यायालय में आत्मसर्मपण कर दें. लेकिन पुलिस चौकसी के कारण ऐसा संभव नहीं हो पाया और उसे दबोच लिया गया.
हत्याकांड के खुलेंगे राज : पवन मंडल से गहन पूछताछ के लिए मुंगेर पुलिस ने पूरी तैयारी की है. क्योंकि भाजपा नेता पंकज वर्मा हत्याकांड में वह मुख्य अभियुक्त तो बना है किंतु हत्या के पीछे का मूल कारण क्या है, इसका खुलासा अबतक नहीं हो पाया है. सामान्य रूप से दो बातें सामने आयी है. पहला यह कि मकससपुर के एलआइसी अभिकर्ता सतीश कुमार शर्मा के हत्याकांड के बाद पंकज वर्मा ने पुलिस के विरुद्ध आवाज बुलंद की थी और फिर भाजपा नेता संजीव कुशवाहा से रंगदारी को लेकर उस पर हमले के मामले में भी उसने नेतृत्व प्रदान किया था. चूंकि पवन मंडल एवं कासिम बाजार थाना पुलिस के मधुर रिश्ते का पंकज ने विरोध किया था इसलिए उसकी हत्या की संभावना व्यक्त की जा रही है. लेकिन इस हत्याकांड में और कोई राज है या नहीं. इसका खुलासा पवन मंडल से ही हो पायेगा. चूंकि पुलिस हत्या के कारणों के संदर्भ में वर्तमान पक्ष से संतुष्ट नहीं है.
बड़ा हथियार तस्कर है पवन : पवन मंडल मुंगेर का एक बड़ा हथियार तस्कर है. वर्ष 2006 में आठ पुलिस राइफल व 2600 कारतूस के साथ हेमजापुर पुलिस ने एक एंबेसडर कार को पकड़ा था जो हथियार पवन मंडल का बताया गया था. इस मामले में उसकी गिरफ्तारी भी हुई थी. इसके बाद भी वह अवैध हथियार तस्करी के मामले में लिप्त रहा और इससे अकूत संपत्ति भी बनायी. लेकिन बाद के वर्षो में वह पुलिस व एसटीएफ से सट कर दूसरे हथियार तस्करों की सूचना एसटीएफ को देने लगा और उसके सूचना के आधार पर कई हथियार के खेप भी पकड़े गये. इसी दौरान पुलिस से उसके संबंध भी मधुर हो गये और कासिम बाजार थाने के एक थानाध्यक्ष से तो उसकी दोस्ती ही हो गयी.