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मुंगेर : मुंगेर में कछुए की चाल से चल रही आयुष्मान भारत योजना

मुंगेर : प्रधानमंत्री जन आरोग्य आयुष्मान भारत योजना मुंगेर जिले में कछुए की गति से चल रही है. इसके कारण बड़ी संख्या में लोग इस लाभकारी योजना से महरूम हैं और अपने इलाज पर लाखों रुपये खर्च करने को विवश हैं. आयुष्मान भारत देश की पहली ऐसी योजना है, जिसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर […]

मुंगेर : प्रधानमंत्री जन आरोग्य आयुष्मान भारत योजना मुंगेर जिले में कछुए की गति से चल रही है. इसके कारण बड़ी संख्या में लोग इस लाभकारी योजना से महरूम हैं और अपने इलाज पर लाखों रुपये खर्च करने को विवश हैं. आयुष्मान भारत देश की पहली ऐसी योजना है, जिसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के लोग गंभीर बीमारी में पांच लाख रुपये तक का इलाज करवा सकेंगे.

इसके तहत मुंगेर जिले के कुल 1 लाख 59 हजार 87 परिवार को चिह्नित किया गया है. इसमें पिछले चार महीने के दौरान सिर्फ 9656 लोगों का गोल्ड कार्ड बन पाया है और अब तक सिर्फ 179 लोगों का ही इस योजना के तहत इलाज हुआ है. हाल यह है कि जिले में अब तक एक भी निजी अस्पताल का इस योजना के तहत सेवा देने के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया है.

मात्र 179 मरीजों को ही मिल पाया है लाभ: 23 सितंबर को पूरे तामझाम के साथ आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का शुभारंभ किया गया. शुभारंभ के मौके पर 24 लागों के बीच गोल्ड कार्ड का भी वितरण किया गया था. किंतु योजना के शुभारंभ के बाद चार महीना बीत जाने के बाद भी अब तक सिर्फ 9656 लोगों का ही गोल्ड कार्ड बन पाया है.
वहीं यदि इस योजना के तहत मरीजों के इलाज की बात की जाये तो मात्र 179 मरीजों का इलाज सरकारी अस्पतालों में हो पाया है. योजना की यही रफ्तार रही तो जिले भर के लगभग पांच लाख चिह्नित लोगों तक इस योजना को पहुंचते-पहुंचते काफी देर हो जायेगी.
कहते हैं सिविल सर्जन: सिविल सर्जन डॉ योगेंद्र प्रसाद रजक ने बताया कि शहर के तीन निजी क्लिनिकों द्वारा इस योजना के तहत पंजीकृत किये जाने के लिए आवेदन दिया गया है, जो प्रक्रियाधीन है. जिले में बांकी हेल्थ वेलनेस सेंटर को भी जल्द ही तैयारी कर लिया जायेगा. इसके बाद अधिक से अधिक मरीजों को इसका लाभ मिलने लगेगा.
जानकारी के अभाव में गरीबों को नहीं मिल रहा लाभ
आयुष्मान भारत योजना के तहत कुल 1300 प्रकार की बीमारियों का इलाज किया जाना है. योजना के तहत गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करने वाले परिवारों के वैसे सदस्य जिनका वर्ष 2011 के जनगनणा में नाम दर्ज है, वे गंभीर से गंभीर बीमारियों में पांच लाख रुपये तक का अपना इलाज करवा सकते हैं, पर अधिकांश लोगों को योजना की जानकारी ही नहीं है. इसके कारण आज भी लोग गंभीर बीमारी होने पर भी शहर के निजी अस्पतालों में हजारों रुपये खर्च कर अपना इलाज करवा रहे हैं.
कई गरीब परिवारों का सूची में नहीं है नाम: योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले बीपीएल परिवारों का इलाज किया जाना है. किंतु जिले भर में सैकड़ों ऐसे परिवार हैं, जो गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करते तो हैं और उनके पास लाल कार्ड व खाद्य सुरक्षा योजना कार्ड भी है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी की गयी सूची में उनका नाम ही नहीं है. इसके कारण वे इस लाभकारी स्वास्थ्य योजना से वंचित हो रहे.
मुंगेर शहर के महद्दीपुर निवासी विजय शंकर ने बताया कि वे गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करते हैं, उनके पास खाद्य सुरक्षा योजना का कार्ड भी है, पर जब वे अपनी मां का इलाज कराने के लिए सदर अस्पताल पहुंचे तो वहां पर बताया गया कि उनके परिवार के किसी भी सदस्य का नाम योजना की सूची में नहीं है. उसी प्रकार बागेश्वरी निवासी शंकर चौधरी ने बताया कि उनका परिवार भी बीपीएल सूची में आता है, किंतु जब वे गोल्ड कार्ड बनवाने पहुंचे तो बताया गया कि सूची में उनका नाम ही नहीं है. ऐसे में इस लाभकारी योजना का जरूरतमंद गरीब परिवारों को लाभ कैसे मिल पायेगा.

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