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बदहाल सिस्टम-बेदम महादलित : बसाने की योजना नहीं, अब उजाड़ने की बारी मुंगेर : सरकार गरीबों के लिए योजना बनाती है. जिसको लाभुकों तक पहुंचाने के लिए जिले में अधिकारियों की फौज खड़ी है. लेकिन सरकार का पूरा सिस्टम बदहाल है और महादलित बेदम है. सुविधा के नाम पर महादलितों को हमेशा से ठगने का […]

बदहाल सिस्टम-बेदम महादलित : बसाने की योजना नहीं, अब उजाड़ने की बारी

मुंगेर : सरकार गरीबों के लिए योजना बनाती है. जिसको लाभुकों तक पहुंचाने के लिए जिले में अधिकारियों की फौज खड़ी है. लेकिन सरकार का पूरा सिस्टम बदहाल है और महादलित बेदम है. सुविधा के नाम पर महादलितों को हमेशा से ठगने का काम किया गया. शहर के तीन नंबर रेलवे गुमटी के समीप रेलवे मैदान में रह रहे महादलितों को जहां मूलभूत सुविधा तक उपलब्ध नहीं है. वहीं अब रेलवे उजाड़ने की योजना बना रही है. क्योंकि वहां रेलवे द्वारा रेलकर्मियों के लिए क्वार्टर का निर्माण किया जायेगा.
बदहाली यह है कि मुंगेर जिला प्रशासन जहां पहली सितंबर से मुंगेर को ओडीएफ बनाने की योजना बना रही है. वहीं जिले में हजारों महादलित परिवार खुले में शौच जाने को विवश है. क्योंकि इन्हें न तो अबतक अपना मकान मिला है और न ही सामुदायिक शौचालय के तहत ही व्यवस्था की गयी है.
तीन डिसमिल जमीन दिया नहीं, अब उजड़ने की बारी : तीन नंबर गुमटी रेलवे मैदान महादलित बस्ती के वांशिदें को सरकारी योजना की जानकारी तक नहीं है. रेलवे मैदान में वर्षों से रह रहे महादलितों को अब उजड़ने की चिंता सताने लगी है. क्योंकि रेलवे ने उस जमीन पर अपना क्वार्टर एवं अन्य भवनों का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है. कुछ महादलितों को हटा कर निर्माण कार्य तो शुरू कर दिया गया है. अब अन्य लोगों को हटाने की जानकारी नहीं है. संतोष कुमार, जवाहर मांझी, सार्जन मांझी, सुखरी मसोमात, सिलिया मसोमात ने कहा कि रेलवे वाला हमलोगों को हटाने के लिए पहले ही नोटिस दिया है. हमलोगों को तो यह भी पता नहीं है कि जिसे बसने के लिए जमीन नहीं है उसे सरकार तीन डिसमिल जमीन देती है. यहां जमीन तो दूर उजड़ने से बचाने वाला कोई
नहीं है.
उनलोगों ने कहां कि सबका घर बनता है. लेकिन आज तक हमलोगों का घर नहीं बना है. हद तो यह है कि किसी ने यह नहीं बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना भी हमलोगों के लिए चलायी जाती है. सरकार अगर जमीन देकर घर बनवा दे तो हमारा घर में रहने का सपना पूरा हो जायेगा.
कई दशकों से रेलवे की जमीन पर झुग्गी बनाकर रह रहे 45 परिवार, सरकारी सुविधा नदारद
नरकीय जीवन जीने को विवश हैं महादलित परिवार
कूड़ा चुनने के दौरान दो बच्चियों की मौत के बाद तीन नंबर गुमटी रेलवे मैदान में बसे महादलित बस्ती चर्चा में आयी. इस बस्ती में लगभग 40 से 45 परिवार है. जहां की आबादी लगभग दो सौ से ढाई के बीच है. जो रेलवे की जमीन पर पीढ़ी दर पीढ़ी झुग्गी-झोपड़ी बना कर रहते आ रहे. टांट, पॉलीथिन एवं फटे-पुराने कपड़े से झुग्गी-झोपड़ी बना कर यहां के लोग रहते है.
इनके बच्चे सूअरों को अपना दोस्त समझ कर खेलते हैं. इन्हें डर नहीं है निपाह रोग का. क्योंकि इस रोग से वे और उनके बच्चे नहीं जानते हैं. स्वच्छता के नाम पर यहां कूड़ा-कचरा बिखरा पड़ा है. चारों ओर गंदगी एवं नालों से निकले वाले दुर्गंध के बीच ये परिवार रहने को विवश हैं. हाल यह है कि खुली जमीन पर बच्चों के साथ पूरा परिवार सोता है. इन्हें न तो सांप-बिच्छू का डर है और न ही किसी बीमारी का डर सताता है. इनका कहना है कि यह तो आदत में शुमार हो चुका है. कौन बदलेगा मेरी बदहाली को. वोट के समय तो कुछ लोग यहां आते हैं. लेकिन उसके बाद कभी लौट कर वे लोग यहां नहीं आते हैं.
महादलित बस्ती बनेगा मुंगेर के ओडीएफ जिला बनने में बाधक
मुंगेर जिला प्रशासन जिला को ओडीएफ बनाने के लिए जीतोड़ लगा हुआ है. जिसके लिए पहली सितंबर की तिथि निर्धारित किया गया. लेकिन नगर निगम के वार्ड संख्या 15 के तीन नंबर रेलवे मैदान स्थित महादलित बस्ती है. राज्य का पहला ओडीएफ जिला बनने में सबसे बड़ा बाधक है. क्योंकि 45 परिवार में एक भी परिवार को अपना शौचालय नहीं है और न ही निगम प्रशासन द्वारा इनके लिए सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया है. यहां के लोग आज भी खुले में शौच करने को विवश है. बस्ती के दो तरफ बड़ा नाला बहता है. जिसमें लोग शौच करते है. ऐसे में यह बस्ती ओडीएफ जिला बनने में बाधक बन सकता है.

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