मधुबनी : विश्व जल संरक्षण दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य जलश्रोत को सहेज कर जल संरक्षण करना है. पर आज इस उद्देश्य समाप्त होता जा रहा है. खासकर शहरों में अक्सर यह देखा जाता है कि लोगों के घरो पर लगे वाटर टैंक से घंटो पानी बेकार में निकलता रहता है. आज जरूरत है कि इस पानी को सहेजने की. जनसंख्या वृद्धि,
शहरीकरण तथा औद्योगिकीकरण के कारण प्रति व्यक्ति के लिए उपलब्ध पेयजल की मात्रा लगातार कम हो रही है. जिससे जल संसाधनों पर दबाव बढ़ता जा रहा है. जहां एक ओर पानी की मांग लगातार बढ़ रही है.
वहीं दूसरी ओर प्रदूषण और मिलावट के कारण उपयोग किये जाने वाले जल संसाधनों की गुणवत्ता तेजी से घट रही है. हम जानते है कि विश्व मे तीन चौथाई भाग जल से घिरा है. जिसमें से पीने योग्य पानी मात्र सिर्फ तीन प्रतिशत है.
ये हैं जलस्त्रोत. बारिश का जल शुद्ध होता है किन्तु सतर्कता ना रखने पर इसमें कई प्रकार की अशुद्धिया घुलने का डर रहता है. दूसरा धरातलीय जल जो नदी, तालाब, झील व झरने से मिलता है. तीसरा अंत धरातलीय जल जो कुएं, बोरिंग व चापाकल से प्राप्त होता है. जल संरक्षण हमारे लिए सर्वोपरि प्राथमिकता में होनी चाहिए. जल संरक्षण हमें घर में, घर के बाहर, खेत खलिहानों आदि में करना चाहिए
लोग चेतें, नहीं तो होगी परेशानी
पर्यावरणविद डॉ प्रेम कुमार प्रसाद कहते हैं कि अगर जल संरक्षण के प्रति सचेत ना रहे तो अगला विश्व युद्ध पानी के लिए होगा. हम जानते है कि जिस तरह भूगर्भ जल घटता जा रहा है. 2040 तक यह समाप्त हो जायेगा इसके कानून के साथ-साथ जागरूकता की जरूरत है.
पानी का दुरुपयोग रोकें
अक्सर ऐसा देखा जाता है कि वाटर सप्लाई का लोग दुरुपयोग करते है. वाटर सप्लाई से लोग पानी लेने के बाद नल को बंद किये छोड़ देते है वही ऐसा भी देखा जाता है कि लोग इसी पानी से अपने पालतू जानवरों को नहलाते है. यह हमारी जवाबदेही बनती है कि हम पानी बर्बाद होने से बचाएं.