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जयनगर-बर्दीवास परियोजना दिसंबर तक पूरी होने की उम्मीद

मधुबनी : भारत नेपाल के बीच मैत्री संबंध रहा है. यहीं कारण है कि दोनों देश की सीमा ना सिर्फ खुली हुई है बल्कि दोनों देशों के बीच बेटी रोटी का सदियों से संबंध रहा है. यह संबंध आने वाले दिनों में और प्रगाढ़ होगा और विकास की ऐतिहासिक रेखा खिंचने वाली है. भारत नेपाल […]

मधुबनी : भारत नेपाल के बीच मैत्री संबंध रहा है. यहीं कारण है कि दोनों देश की सीमा ना सिर्फ खुली हुई है बल्कि दोनों देशों के बीच बेटी रोटी का सदियों से संबंध रहा है. यह संबंध आने वाले दिनों में और प्रगाढ़ होगा और विकास की ऐतिहासिक रेखा खिंचने वाली है. भारत नेपाल सरकार के ऐतिहासिक प्रोजेक्ट जयनगर – बर्दीवास रेलखंड का निर्माण हो जाने से दोनों देशों के बीच मित्रता का नवीकरण किये जाने के दिशा में जोर शोर से पहल की जा रही है.

व्यापारिक व सामरिक दृष्टि से भी संबंध मधुर करने वाली इस प्रोजेक्ट की लंबाई 68.9 किलोमीटर लंबी है. जिसके साल 2017 में पूरा हो जाने की संभावना जतायी जा रही है. नेपाल में जमीन अधिग्रहण को लेकर कुछ दिनों से काम बाधित था. पर अब वह भी धीरे धीरे दूर होता जा रहा है. जमीन अधिग्रहण बढ़ने के साथ ही काम की गति भी तेज होती जा रही है. प्राप्त जानकारी के अनुसार जनकपुर से बर्दीवास तक के रेलखंड के लिये जमीन अधिग्रहण का काम नेपाल सरकार के द्वारा जोर शोर से किया जा रहा है. इस परियोजना पर कुल 548 करोड़ रुपये खर्च होने हैं.

भारत का मात्र तीन किलोमीटर ही है प्रोजेक्ट में शामिल . जयनगर -बर्दीवास रेलखंड में भारतीय क्षेत्र महज तीन किलोमीटर ही पड़ता है. जयनगर से इनरबा तक का क्षेत्र. इसके बाद से 65 किलोमीटर की दूरी पूरी तरह नेपाल सरकार की जमीन है. इस महत्वाकांक्षी परियोजना की निगरानी भारत सरकार का विदेश मंत्रालय कर रहा है. जिस प्रकार की यह परियोजना है. उससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक और सामरिक दृष्टिकोण से संबंध के और अधिक प्रगाढ़ होने और विकास की नयी दिशा तय होने उम्मीद दोनों देशों मे है. मालूम हो कि इस रेलखंड के निर्माण काम शुरू होने के कारण जयनगर से जनकपुर तक की नेपाली रेल सेवा पिछले चार सालों से बंद है. जिस कारण दोनों देशों को हर माह लाखों का आर्थिक रूप से घाटा भी हो रहा है. जनकपुर के सीमावर्ती नेपाली क्षेत्र खास कर जनकपुर के क्षेत्र के लोग हर दिन ट्रेन के जरिये जयनगर से आकर बाजार में खरीदारी करते थे. जयनगर से जनकपुर तक रेलपटरी बिछाने और पुल बनाने का काम जोर शोर से किया जा रहा है.
लाखों लोगों को होगी सहूलियत
जयनगर- बर्दीवास रेलखंड के निर्माण हो जाने से दोनों देशों के लाखों लोगों को सहूलियत होगी. इससे पूर्व भी नेपाल – भारत के लोगों के आने जाने का मुख्य यातायात का साधन रेल रही रहा है. जयनगर से जनकपुर तक की रेल सेवा से लोग आते रहते थे. पर जयनगर बर्दीबास रेलखंड के निर्माण की स्वीकृति मिल जाने के बाद पूर्व के रेलपरिचालन को बंद कर आमान परिवर्तन का काम शुरू कर दिया गया. जो अब तक जारी है.
महत्वाकांक्षी परियोजना का युद्धस्तर पर चल रहा काम
548 करोड़ की लागत से 68.9 किलोमीटर लंबा बन रहा रेलखंड
पहले चरण में जयनगर से जनकपुर तक दौड़ेगी ट्रेन
नेपाल सरकार कर रही जमीन का अधिग्रहण
दो चरणों में होगा निर्माण
जयनगर – बर्दीवास रेलखंड की कुल लंबाई 68.9 किलोमीटर है. जिसका निर्माण दो चरणों में होना है. पहले चरण में जयनगर से जनकपुर तक 27 किलोमीटर में रेलखंड का निर्माण कार्य होना है. इसके बाद दूसरे चरण में जनकपुर से बर्दीवास तक. हालांकि यह योजना निर्धारित समय से तीन से चार साल पीछे चल रहा है. इसको 2013 -14 में ही पूरा कर देना था. पर कुछ प्राकृतिक परेशानी, कुछ नेपाल सरकार की उदासीनता तो कुछ निर्माण कंपनी इरकॉन इंटरनेशनल की लापरवाही ने ऐतिहासिक प्रोजेक्ट को चार साल पीछे कर दिया है. 2010 में ही भारत नेपाल संधि के तहत परियोजना के उपर काम शुरू किया गया. इस रेलखंड में कुल 9 स्टेशन का निर्माण हॉल्ट के अतिरिक्त होगा

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