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यहां केवल जांच की सुविधा, नहीं होता ऑपरेशन

मधुबनी : मधुबनी के सदर अस्पताल में इएनटी विभाग में रोजाना औसतन 100 मरीज अपनी आंख दिखाने आते हैं. लेकिन जब आपरेशन की नौबत आती है तो उन्हें डीएमसीएच रेफर किया जाता है. ऐसे में मरीज के पास दो ही विकल्प है या तो वे डीएमसीएच जायें या फिर अन्यत्र अपना आंख का आपरेशन करवायें. […]

मधुबनी : मधुबनी के सदर अस्पताल में इएनटी विभाग में रोजाना औसतन 100 मरीज अपनी आंख दिखाने आते हैं. लेकिन जब आपरेशन की नौबत आती है तो उन्हें डीएमसीएच रेफर किया जाता है. ऐसे में मरीज के पास दो ही विकल्प है या तो वे डीएमसीएच जायें या फिर अन्यत्र अपना आंख का आपरेशन करवायें. सदर अस्पताल के इएनटी में फिलहाल आंख की जांच की जाती है.

सरकार द्वारा राष्ट्रीय अंधापन नियंत्रण कार्यक्रम के तहत गरीब मरीजों के मोतियाबिंद का नि:शुल्क ऑपरेशन एनजीओ के माध्यम से समय-समय पर शिविर लगाकर जरूर की जाती है. पर यह कभी -कभी होता है. 2016 में जनवरी व फरवरी माह में की गई थी. ऐसे में यहां आनेवाले मरीज खुद को ठगा महसूस करते हैं.

ऑपरेशन थियेटर का है खस्ता हाल . सदर अस्पताल के इएनटी ओपीडी में वर्तमान में दो चिकित्सक पदस्थापित है जबकि एक एएनटी विशेषज्ञ व आंख के चिकित्सक की नियुक्ति गत दिनों की गयी है. हालांकि कर्मियों का अभाव जस का तस है. इएनटी ओपीडी स्थित ओटी की स्थिति जर्जर हो चुका है.
गत जुलाई माह में राष्ट्रीय अंधापन नियंत्रण कार्यक्रम के डीजीएमओ डाॅ पामेला गुप्ता व सफदर जंग अस्पताल के आंख विशेषज्ञ चिकित्सक ने अपने निरीक्षण के दौरान कहा था कि बिना जीर्णोद्धार के ऑपरेशन थियेटर में किसी भी प्रकार का ऑपरेशन नहीं किया जाय. डा. गुप्ता ने तत्कालीन सीएस डाॅ नरेंद्र भूषण को इएनटी ओपीडी व ओटी के जीर्णोद्धार अविलंब करने का निर्देश दिया. निरीक्षण के पांच माह पश्चात भी इसके ओटी का जीर्णोद्धार नहीं किया जा सका है.
प्रतिदिन 100 मरीज का होता है रजिस्ट्रेशन. सदर अस्पताल के इएनटी ओपीडी में प्रतिदिन लगभग 100 मरीज दूर दराज के क्षेत्रों से उपचार कराने आते है. जिन्हें चिकित्सक द्वारा देखने के बाद केवल दवा लिखा जाता है. ऑपरेशन व अन्य गंभीर उपचार के लिए चिकित्सक उन्हें डीएमसीएच रेफर कर देते है. ऐसे में जिला अस्पताल इएनटी ओपीडी में केवल दवा देकर ही रोगियों की छुट्टी कर दी जाती है.
एनजीओ द्वारा कमरे में ही होता है ऑपरेशन. सरकार द्वारा नि:शुल्क मोतियाबिंद ऑपरेशन का शिविर एनजीओ के माध्यम से समय -समय पर करवाया जाता है. लेकिन ओटी की स्थिति जर्जर होने के कारण एनजीओ द्वारा मोतियाबिंद का ऑपरेशन इएनटी ओपीडी के किसी कमरे का ओटी तब्दील कर किया जाता है. जो सुरक्षा की दृष्टि कोण से भी उपयुक्त नहीं है. इएनटी विशेषज्ञ डाॅ आरटी चौधरी ने बताया कि वर्ष 200 तक मैनुअल ऑपरेशन किया गया है. इधर 16 वर्षों में ओटी में एक भी ऑपरेशन नहीं हुआ है. ऐसे में ओटी में प्रयुक्त होने वाले उपकरणों की दशा का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है.
कर्मियों का है अभाव. इएनटी ओपीडी में मानक के अनुरूप चार चिकित्सक, एक नेत्र सहायक, कंपाउंडर, ड्रेसर व अनुसेवक का पद सृजित है. जिसमें वर्तमान में दो चिकित्सक डा. आरडी चौधरी व डा. विजय कुमार झा पदस्थापित है. वहीं इएनटी विशेषज्ञ व आंख के एक चिकित्सक की नियुक्ति की गयी है. एक नेत्र सहायक भी प्रतिनियुक्त की गयी है. इसके अलावे ए ग्रेड की
भी नियुक्ति की गयी है. जबकि कंपाउंडर ड्रेसर व चतुर्थ कर्मियों का अभाव है.
सदर अस्पताल के इएनटी विभाग का हाल
चिकित्सक सिर्फ लिखते दवा
ओटी में मोतियाबिंद का नहीं होता ऑपरेशन

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