मधुबनी : निगरानी विभाग पटना की टीम द्वारा शनिवार को बेनीपट्टी के सर्किल इंस्पेक्टर विनोद कुमार को 11 हजार घूस लेते गिरफ्तार करने की घटना से जिले में पुलिस एवं प्रशासनिक महकमें में हड़कंप मचा हुआ है. बीते सात आठ साल में अब तक जिले के करीब डेढ़ दर्जन से अधिक अधिकारी व कर्मी निगरानी के हाथों धरा चुके हैं.
पर इसके बाद भी काम करने के लिये नाजायज रकम लिये जाने से अधिकारी परहेज नहीं कर रहे हैं. डेढ़ माह के अंदर पुलिस व प्रशासनिक विभाग के तीन बड़े अधिकारियों को निगरानी विभाग द्वारा दबोचने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हैं. पर इतने होने के बावजूद सरकारी कार्यालयों एवं पुलिस विभाग में होने वाले कथित घूसखोरी में कमी दिखने को नहीं मिल रहा है. जिले में वर्ष 2008 से घूस लेने के आरोप में अधिकारी व कर्मियों के गिरफ्तार होने का सिलसिला देखने को मिलता है. इनमें राजस्व कर्मचारी, थानाध्यक्ष, डेयरी फिल्ड ऑफिसर, एएसआई, कनीय अभियंता,
सदर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी एवं अनुमंडल पदाधिकारी जैसे उच्च पदों पर बैठे प्रशासनिक अधिकारी शामिल रहे हैं. ऐसे में अब सवाल उठने लगा है कि आखिर यह दौर थमेगा कब. इस तरह की कार्रवाई से ना सिर्फ आरोपी अधिकारी की बदनामी होती है, बल्कि उस विभाग एवं जिले की भी बदनामी होती है. जिले में साल 2008 में मधेपुर थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष सोहेल अहमद को पकड़ने के साथ ही इस जिले में निगरानी की कार्रवाई का खाता खुला था.