नोटबंदी. मिठाई दुकान पर भी पड़ा असर, रविवार को नहीं िदखी ग्राहकों की भीड़
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गुलाब जामुन पर नोटबंदी की मार
नोटबंदी. मिठाई दुकान पर भी पड़ा असर, रविवार को नहीं िदखी ग्राहकों की भीड़ मधुबनी : दिन के करीब तीन बज रहे थे. हम जिले के प्रसिद्ध वंशी साह की दुकान पर गये. यह संभावना तो थी कि भीड़ कम होगी. पर जो सामने था उस पर विश्वास करना ही था. आम तौर पर वंशी […]
मधुबनी : दिन के करीब तीन बज रहे थे. हम जिले के प्रसिद्ध वंशी साह की दुकान पर गये. यह संभावना तो थी कि भीड़ कम होगी. पर जो सामने था उस पर विश्वास करना ही था. आम तौर पर वंशी साह के दुकान पर तीन बजे में ग्राहकों की भीड़ लगी रहती थी. इस दुकान के गुलाब जामुन लोग शौक से खरीदते और खाते हैं. इस दुकान के बने गुलाब जामुन के स्वाद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इनके दुकान के बने गुलाब जामुन खाना पसंद करते हैं.
रविवार को यह भीड़ कुछ अधिक ही होता था. अधिकारी से लेकर कर्मी तक बंदी के दौरान वंशी साह के मिठाई का लुत्फ लेने के लिये रविवार को जमा हो जाते थे. पर इस रविवार को नजारा ही बदला बदला था. दुकान पर मात्र दो महिला ग्राहक ही थी. दुकान मालिक गुलाब साह भी खाली खाली बैठे थे. ऐसा आमतौर पर देखने को नहीं मिलता था. कभी वे अपने कर्मियों को ग्राहकों को सामान की आपूर्ति के लिये कहते देखे जाते थे तो कभी नोट की गिनती करते रहते थे.
पर आज ऐसा कुछ भी नहीं था. सभी कर्मी भी ग्राहक के अभाव में बैठे थे. खुद गुलाब साह भी चुपचाप बैठे थे. दरअसल नोटबंदी के बाद से इनके मिठाइ के कारोबार पर भी प्रभाव पड़ा है. बताते हैं कि नोटबंदी के बाद से इनके कारोबार पर 25 से 30 फीसदी तक गिरावट आयी है. अधिकांश ग्राहक पुराने पांच सौ एवं हजार के नोट लेकर आ रहे हैं. खुदरे पैसे हैं नहीं. जिस कारण काम पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक ही है. बताते हैं कि ऐसी मंदी वे अपने व्यवसाय में कभी नहीं देखे हैं.
मजदूरों का खर्च भी अभी उपर नहीं हो रहा है. नोटबंदी से पहले उनके दुकान में गुलाब जामुन सुबह में काउंटर पर आता और दो बजते बजते समाप्त हो जाता था. दुबारा शाम के लिये मिठाई बना कर लाते. पर रविवार को पूरा बर्तन गुलाब जामुन से भरा था. गुलाब साह बताते हैं कि नीतीश कुमार की नोटबंदी की पहल तो कालाधन पर जरूर चोट किया है. कर्फ्यू जैसे हालात कुछ यही हाल शहर के सबसे बड़े व व्यस्त बाजार गिलेशन बाजार का भी था. आम तौर पर सुबह से ही इस बाजार की दुकानें खुल जाती है
और ग्राहकों की भीड़ भी जमा हो जाती है. हर ओर ग्राहकों की भीड़, हो हल्ला. पर रविवार को लगा जैसे गिलेशन बाजार में कर्फ्यू लगा हो. शांत, दुकान बंद, ग्राहकों का पता तक नहीं. ऐसा शायद सालों बाद देखने को मिला था. रविवार को भी इस बाजार में भीड़ रहा करती थी. पर इस रविवार लगा ही नहीं कि यह गिलेशन बाजार है. ना तो सब्जी बाजार में खरीदार थे और ना ही किराना मंडी में. इस बाजार से हर दिन लाखों का कारोबार होता है. सुरेश साह बताते हैं कि नोटबंदी से बाजार में 70 से 80 फीसदी तक कारोबार में गिरावट हो गया है.
पर जब से नोटबंदी हुई है. व्यवसाय चौपट हो गया है. गिलेशन किराना मंडी व्यापारी संघ के अध्यक्ष सुरेश प्रसाद बताते हैं कि कई दुकानदारों को तो इन दिनों बोहनी भी नहीं होती है. जिनका कारोबार हजारों लाखों में था और दुकान पर ग्राहकों में भीड़ लगी रहती थी. आज उनका कारोबार सैकड़ों में सिमट गया है.
नोटबंदी से कारोबार में आयी 60 से 70 फीसदी गिरावट, नहीं मिल रहे खुदरा नोट
वंशी साह की दुकान में ग्राहक नहीं एवं गिलेशन बाजार की बंद दुकानें.
न बैंक खुला, न एटीएम से निकले पैसे
नोटबंदी के बाद पहली बार रविवार को बैंक बंद था. रुपये के लेन देन व अन्य कारोबार नहीं हो रहा था. उम्मीद थी कि रविवार को बैंक बंद रहने के कारण शहर के एटीएम से पैसे निकलेंगे. पर ऐसा नहीं हुआ. रविवार को अन्य दिनों की अपेक्षा कम एटीएम खुले थे. शहर भर में मात्र तीन एटीएम ही थे जहां से नोट निकल रहा था. शहर के एसबीआइ के मुख्य शाखा, एचडीएफसी एवं आइडीबीआइ बैंक के एटीएम से ही पैसे निकल रहे थे. आइडीबीआइ बैंक के एटीएम से दोपहर में नोट निकासी बंद हो गया था. एटीएम पर लोगों की लंबी कतारें थी. जरूरतमंद लोग घंटो लाइन में लगकर नोट निकासी के लिये जमे हुए थे.
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