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मरीजों को नहीं मिल रहा शुद्ध पानी

परेशानी. 39 लाख की लागत से बना है सदर अस्पताल का पंप हाउस कई जगह पाइप लाइन से बहता है पानी अस्पताल में पीने लायक नहीं है पानी जलमीनार की सफाई एक साल से नहीं हुई मधुबनी : सदर अस्पताल में आने वाले मरीजों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल रहा है. बाहर दुकान में बिकने […]

परेशानी. 39 लाख की लागत से बना है सदर अस्पताल का पंप हाउस

कई जगह पाइप लाइन से बहता है पानी
अस्पताल में पीने लायक नहीं है पानी
जलमीनार की सफाई एक साल से नहीं हुई
मधुबनी : सदर अस्पताल में आने वाले मरीजों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल रहा है. बाहर दुकान में बिकने वाली सीलबंद बोतल पर ही मरीज निर्भर हैं. जलमीनार पर हर साल कर्मचारी के वेतन व अन्य मद में लाखों खर्च हो रहा है. पर पेयजल की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है.
सदर अस्पताल स्थित जलापूर्ति व्यवस्था इन दिनों जुगाड़ टेक्नोलॉजी के सहारे चलाया जा रहा है. हालांकि विभाग द्वारा 24 घंटे जलापूर्ति किये जाने का दावा किया जा रहा है. पर पानी की गुणवत्ता काफी खराब है. जलमीनार से सप्लाई होने वाले पानी में बालू निकल रहा है. मीनार की विगत एक साल से सफाई तक नहीं किया गया है.
दो विभागों द्वारा होता है संधारण
सदर अस्पताल स्थित जलापूर्ति की व्यवस्था दो विभागों द्वारा संधारण कार्य किया जाता है. लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के असैनिक विभाग द्वारा पाइप लाइन, टैंक सफाई समेत अन्य कार्यों का संधारण किया जाता है. जबकि यांत्रिक विभाग द्वारा पंप ऑपरेशन, विद्युत व जलापूर्ति का कार्य किया जाता है.
तीन शिफ्टों में होता है. जलापूर्ति
जलापूर्ति प्रतिष्ठान से तीन पालियों में जलापूर्ति किया जाता है. जिसमें तीन कर्मी कार्यरत है. प्रत्येक पाली में एक एक कर्मी तैनात है. तीन में एक पाली में पंप ऑपरेटर, दूसरे पाली में चालक व तीसरे पाली में दैनिक मजदूर के द्वारा जलापूर्ति किया जाता है.
एक वर्ष से नहीं हुआ है टैंक सफाई
जलापूर्ति प्रतिष्ठान के वाटर टैंकर की क्षमता 15 हजार लीटर है. लेकिन विगत एक वर्ष से ऊपर हो गया टैंक के सफाई का. जबकि बालू व मिट्टी के अत्यधिक मात्रा होने से टैंक में गाद भी भर गया है.
विधायक के ऐच्छिक कोष से दो चापाकल: नगर विधायक समीर कुमार महासेठ के सदर अस्पताल के निरीक्षण के दौरान कई कर्मियों ने जल समस्या से रूबरू कराया. जिसके बाद विधायक ने ऐच्छिक कोष से दो चापाकल लगाने की अनुमति दी. जिसमें एक चापाकल सीएस कार्यालय के समीप व दूसरा चापाकल मेटरनिटी वार्ड के समीप लगाया गया.जिससे ओपीडी व अन्य इलाजरत मरीजों को पानी की बेहतर सुविधा उपलब्ध हो सके.
टैंक में भर गयी है गाद
39 लाख खर्च के बाद भी सुधार नहीं : पूर्व में दो एचपी पावर वाले मोटर से अस्पताल में जलापूर्ति किया जाता था. जिसके पाइप लाइन में कई जगह जल रिसाव होता है. वर्तमान में दो एचपी मोटर से ही जलापूर्ति किया जा रहा है. साल वर्ष 2013 में 39 लाख रुपये की लागत से सात एचपी पंप हाउस का निर्माण किया गया. लेकिन इसके जलापूर्ति होने पर बालू की मात्रा अत्यधिक होने के कारण उक्त पंप हाउस बंद कर दिया गया.
पाइप होगा दुरुस्त
कार्यपालक अभियंता शिवशंकर दयाल बताते हैं कि केमिकल की आपूर्ति नहीं हुआ है. लिहाजा टैंक की सफाई नहीं हो पाया है. वहीं लिकेज पाइप को जल्द ही दुरुस्त किया जायेगा. सहायक अभियंता यांत्रिक उमेश प्रसाद सिंह ने बताया कि मेरे विभाग पंप ऑपरेटिंग व विद्युतीय व्यवस्था का संधारण किया जाता है. पाइप लिकेज के बारे में कई बार पीएचइडी के सिविल विभाग को लिखा गया है. यांत्रिक विभाग द्वारा कमी को चिह्नित कर दूर किया जायेगा.

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