मधुबनीः संसाधन की कमी से महिला थाना जूझ रहा है. थाने में लगातार मामले बढ़ रहे हैं लेकिन एक भी महिला पुलिस यहां नहीं हैं. ऐसे में इसका उद्देश्य विफल साबित हो रही है.
महिला सुरक्षा एवं दर्ज मामले की जांच में भारी परेशानी हो रही है. दरअसल, सरकार के निर्देश के आलोक में प्रत्येक जिला में महिला संबंधित विभिन्न तरह के मामलों के अनुसंधान के लिए महिला थाना का गठन करने की प्रक्रिया शुरू हुई. इसके तहत 22 फरवरी 2012 को जिला मुख्यालय में नगर थाना कैंपस में महिला थाना खुला. महिला सब इंस्पेक्टर नुसरत जहां को पहली महिला थानाध्यक्ष के रूप में प्रतिनियुक्त की गई. इन दो वर्षो में 2012 में महिला थाना में 43 केस पंजीकृत किये गये वहीं वर्ष 2013 में 104 मुकदमे दर्ज हुए.
महिला पुलिस नहीं है थाने में
जिले की 22 लाख महिला आबादी पर एक महिला थाना संसाधन विहीन होने के कारण अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहा है. महिला थाना में वर्तमान में एक भी महिला पुलिस बल नहीं है. कुल मिला कर महिला थाना में चार पुलिस कर्मी पदस्थापित है. इनमें एक थानाध्यक्ष, एक एएसआइ, एक मुंशी एवं एक चालक सह हवलदार. ऐसे में महिला थाना में दर्ज मामलों का अनुसंधान में कितना समय लगेगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
दो कमरों से चलता है थाना
महिला थाना में न सिर्फ पुलिस बलों व पुलिस अधिकारियों की कमी है यहां संसाधनों की भी भारी कमी है. नगर थाना कैंपस के पीछे अवस्थित महिला थाना में मात्र दो कमरे हैं. संसाधन के नाम पर एक पुरानी जिप्सी दिया गया है जिससे जिले के पांच अनुमंडल को कवर किया जाता है. उस जिप्सी का भी जब तक पुलिस केंद्र में ही कार्य लिया जाता है. 26 जनवरी अथवा 15 अगस्त के राष्ट्रीय कार्यक्रम में परेड की सलामी के लिए इसी जिप्सी का व्यवहार किया जाता है.