मधुबनीः पूरी दुनिया को नयी राह दिखाने वाले महात्मा गांधी ने कहा था कि खादी भारत की अस्मिता से जुड़ा है. स्वराज का पहला जज्बा यही पैदा करता है. यह घर, परिवार, समाज एवं राष्ट्र की सुख समृद्धि का संबल है, पर स्वतंत्रता प्राप्ति के 65 वें गणतंत्र दिवस के मौके पर देखें तो लगता है कि खादी के प्रति लोगों की रुचि घट रही है.
हालत इतनी खराब हो गयी है कि खादी के लिए मशहूर रहे मधुबनी में खादी के तिरंगे पर प्लास्टिक हावी हो गया है. विभिन्न व्यावसायिक प्रतिष्ठान के आंकड़ों के मुताबिक झंडोत्तोलन में ही केवल खादी एवं मिक्स खादी के तिरंगे का प्रयोग होता है जिसका कारोबार हर वर्ष लगातार सिमटता जा रहा है. इस वर्ष 15 अगस्त के मौके पर पूरे जिले में लगभग 6 लाख रुपये का कारोबार हुआ था. वहीं इस गणतंत्र दिवस पर 4 लाख का आंकड़ा पाने की उम्मीद ही कारोबारियों को है. वहीं प्लास्टिक तिरंगे का प्रयोग साज सज्जा व बाहर रंगीन कागज की जगह इन्हीं प्लास्टिक तिरंगे का प्रयोग सरकारी व निजी सभी स्थानों पर किये जाने लगे है. इसका कारोबार पूरे जिले में 5 लाख से अधिक रुपये होने की उम्मीद व्यवसायियों को है.
बाजार भी सुस्त
एक जमाना था जब राष्ट्रीय उत्सव में तो निश्चित रूप से लोग खादी कपड़े पहनते थे. लेकिन अब सामान्य दिनों की तरह ही इस मौके पर इसका कारोबार होता है. व्यवसायी मंजित ने बताया कि इन उत्सवों पर अतिरिक्त एक से सवा लाख की ही बिक्री हो पाती है. खादी प्रेमी अगम लाल यादव ने बताया कि अब तो गांधी टोपी पर राजनीतिक टोपी हावी हो गया है जो दुखद ही नहीं देश के लिए शुभ संकेत नहीं हैं.