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सफाई के लिए तीन माह से पैसा नहीं

नप. कचरा उठाव व उपकरण खरीद पर एक करोड़ से ज्यादा खर्च मधुबनी : चालू वित्तीय वर्ष का तीन माह गुजर गया. पर अब तक नप प्रशासन को किसी भी मद में राशि उपलब्ध नहीं करायी गयी है. नप प्रशासन विगत तीन माह से राशि के अभाव में ही साफ सफाई व अन्य काम करा […]

नप. कचरा उठाव व उपकरण खरीद पर एक करोड़ से ज्यादा खर्च

मधुबनी : चालू वित्तीय वर्ष का तीन माह गुजर गया. पर अब तक नप प्रशासन को किसी भी मद में राशि उपलब्ध नहीं करायी गयी है. नप प्रशासन विगत तीन माह से राशि के अभाव में ही साफ सफाई व अन्य काम करा रही है. जिसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. हालांकि पिछले वित्तीय वर्ष में विभिन्न मदों मे विभाग ने नप प्रशासन को शहर के विकास मद व साफ सफाई मद में करीब ढाई करोड रुपये मिले थे. जिसे खर्च कर दिया गया है.
सफाई के काम पर असर
नप प्रशासन इन दिनों फांकाकसी में चल रहा है. कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार अब तक ना तो साफ सफाई मद में ही राशि उपलब्ध करायी गयी है और ना ही विकास के लिये संचालित योजनाओं में. इधर मुख्यमंत्री के सात निश्चय को लेकर भी कई योजनाएं आ गयी है. राशि नहीं रहने के कारण साफ सफाई कराने में नप प्रशासन और स्वयं सेवी संस्था के पसीने छूट रहे है.
बीते साल आये ढाई करोड़
जानकारी के अनुसार विगत साल विभिन्न मद में करीब ढाइ करोड़ रुपये नप प्रशासन को मिला था जिसे खर्च किया गया था. इसके तहत केवल साफ सफाई मद में ही एक करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे. जिसे विभाग ने जी खोलकर खर्च किया
जमकर किया खर्च
वित्तीय वर्ष शहर में कचरे को हटाने व साफ सफाई के लिये उपकरण एवं उपस्कर खरीद करने में नप प्रशासन ने एक करोड़ से अधिक राशि खर्च किये है. इसमें प्रति माह स्वयं सेवी संस्था को पांच लाख की दर से, कूड़ादान खरीद मद में करीब 50 लाख, कचड़ा उठाने वाली मशीन की खरीद में करीब 50 लाख रुपये खर्च किये गये है.
आमदनी को लगाया खर्च में
नप प्रशासन ने होल्डिंग टैक्स व अन्य मद से हुए आमदनी को भी साफ सफाई मद में ही खर्च कर दिया है. कार्यालय सूत्रों का कहना है कि होल्डिंग टैक्स से हुए आमदनी की कुछ राशि नप कर्मी को वेतन भुगतान के रूप में भी किया जाता है. पर नप प्रशासन ने वेतन मद में दी जाने वाली राशि को भी सफाई मद में ही खर्च कर दी है. जिस कारण करीब छह माह से नप कर्मियों को वेतन के भुगतान के लाले पड़े हैं. वही सफाई कराने वाले स्वयंसेवी संस्था को भी आये दिन अपने मजदूरों के आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है .

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