मधुबनीः जिप की राजनीति इन दिनों काफी गरमायी हुई है. जिप अध्यक्ष के खिलाफ लगाये गये अविश्वास प्रस्ताव को लेकर ना सिर्फ जिप सदस्यों के बीच एक दूसरे को मनाने, रिझाने की रणनीति दोनों खेमा द्वारा की जा रही है बल्कि इसे पार्टी विशेष के सक्रिय कार्यकर्ता भी अब खुल कर तुल देने लगे हैं. राजनीतिक दलों के कई कार्यकर्ता अपने अपने स्तर से भी जिप सदस्यों की जोड़ तोड़ करने में जुटे हुए हैं. सूत्रों की मानें तो इस राजनीति में कई दिग्गज राजनेता भी अंदरूनी राजनीति करने में लगे हुए है.
विक्रम शीला, अशोक झा एंड ग्रुप हर कीमत पर जिप अध्यक्ष की कुरसी गिराने के लिये अधिक से अधिक जिप सदस्यों को अपने पक्ष में करने में जुटे हुए हैं तो दूसरी ओर जिप अध्यक्ष नसीमा खातून एवं इनके समर्थक भी जिप अध्यक्ष की कुरसी को बचाने के लिये अपना खेमा दुरुस्त करने में लगे हैं. इधर जिप अध्यक्ष नसीमा खातून ने नाराज खेमे के सदस्यों से फिर अविश्वास प्रस्ताव वापस लेने का आह्वान करते हुए कहा है कि इन मसलों से जिप कमजोर हो रहा है. जिप सदस्यों को किसी समस्या का समाधान जिप के माध्यम से ही हो सकेगा. कोई भी योजना, मुद्दा, सदस्यों के विचार विमर्श व आपसी तालमेल से ही तय की जाती रही है. हर सदस्यों को प्राप्त राशि के आधार पर एक समान योजना दी जाने की कोशिश की गयी. इसके बावजूद भी यदि किसी सदस्य को किसी प्रकार की असंतुष्टि हुई तो उसे जिप में रख कर निदान किया जा सकता है. इसके लिये इस प्रकार बिखराव व राजनीति आवश्यक नहीं है. वहीं इनके खेमे के समर्थक जिप सदस्य विजय कुमार झा भोला, अजीत नाथ यादव, राजेश यादव, भारत भूषण, पूनम गोईत सहित अन्य सदस्यों ने जिप की कुरसी को सशक्त रूप से बचने और जिप के राजनीति में एक नयी इतिहास रचने की प्रतिबद्धता जतायी है.
जिप की वर्तमान लड़ाई तीन दिन और चलेगी. आगामी चार जनवरी को इस अविश्वास प्रस्ताव को लेकर बैठक आयोजित की गयी है. जिसमें जिप अध्यक्ष के अपने पद पर बने रहने अथवा हट जाने का फैसला होना है. इस बैठक के लिये जहां जिप के दोनों खेमा अंतिम जोर आजमाइश में जुटी हुई है. वहीं प्रशासन भी पूरी तैयारी कर रही है. विगत दिनों उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर कथित तौर पर काफी हो हंगामा किया गया था. जिस कारण इस बार जिला पदाधिकारी लोकेश कुमार सिंह के निर्देश पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये जा रहे हैं. सैकड़ों की संख्या में ना सिर्फ सुरक्षा बल उपस्थित रहेंगे बल्कि कई दंडाधिकारी को भी प्रतिनियुक्त किया जायेगा. सूत्रों के अनुसार किसी भी सदस्यों को मोबाइल लेकर अंदर जाने पर मनाही होगी. अविश्वास प्रस्ताव पर शांति पूर्वक बैठक अथवा मतदान कराने के लिये जिला प्रशासन पूरी तरह तैयार है.