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जिले में टिसू कल्चर से केले की खेती हुई शुरू

मधुबनी : जिले के लोगों को अब जल्द ही अपने जिले में ही केले के उन्नत प्रभेद उपलब्ध हो सकेगा. इसके लिए किसानों ने टिसू कल्चर केला की खेती करने की पहल शुरू कर दी है. उद्यान विभाग के पहल पर जिले में किसानों को टिसू कल्चर केले के पौधे के लिए अनुदान दिया जाता […]

मधुबनी : जिले के लोगों को अब जल्द ही अपने जिले में ही केले के उन्नत प्रभेद उपलब्ध हो सकेगा. इसके लिए किसानों ने टिसू कल्चर केला की खेती करने की पहल शुरू कर दी है. उद्यान विभाग के पहल पर जिले में किसानों को टिसू कल्चर केले के पौधे के लिए अनुदान दिया जाता है.

साथ ही किसान समय से इसकी रोपाई व सही तकनीक से खेती करें इसके लिए भी विभागीय अधिकारी व विशेषज्ञ किसानों को सहायता उपलब्ध कराते हैं.

युवा किसान आये आगे
कृषि क्षेत्र के लिए सराहनीय पहल है. आने वाले दिनों में इसकी व्यापक तौर पर खेती हो सकेगी इसकी प्रबल संभावना जतायी जा रही है. दरअसल, टिसू कल्चर केले की खेती के दिशा में युवा किसानों का रुझान शुरू हो गया है. इस दिशा में रांटी बरई टोल निवासी सुखराम प्रसाद चौरसिया ने अपने एक एकड़ खेत में पहली बार टिसू कल्चर केले की खेती शुरू की है. इनके इस खेती के लिए जिला उद्यान पदाधिकारी अजीत कुमार यादव ने भी सार्थक पहल की है. बार-बार किसान को केले की खेती के लिए प्रेरित किया. इसके बाद उन्हें उन्नत किस्म के पौधे उपलब्ध कराया.
एक एकड़ में लगाये गये 12 सौ पौधे
सुखराम प्रसाद चौरसिया व जिला उद्यान पदाधिकारी अजीत कुमार यादव बताते है कि एक एकड़ खेत में केले के 12 सौ पौधे लगाये जाते हैं. फिर इसमें समय समय पर पानी व उर्वरक भी देना होता है. उद्यान पदाधिकारी बताते हैं कि यह काफी फायदे की खेती है. इसमें सही समय पर सही तरीके से खेती करने पर प्रति एकड़ लाखों रुपये का मुनाफा किसानों को होता है.
मिलता है अनुदान
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार किसान को उद्यान विभाग द्वारा टिसू कल्चर केले की खेती करने के लिये अनुदान दिया जाता है. इसमें प्रति एकड़ 25 हजार रुपये अनुदान विभाग की ओर से दिया जाता है. किसान एक पौंधे विभाग से 16 रुपये 50 पैसे की दर से खरीद करता है. फिर किसान को विभाग द्वारा अनुदान की शेष राशि दिया जाता है.
क्या कहते हैं किसान
युवा किसान सुखराम प्रसाद चौरसिया बताते हैं कि अब धान, गेहूं या अन्य परंपरागत फसल उपजाने में अधिक मुनाफा नहीं होता है. लागत और मेहनत अधिक लगता है. ऐसे में केले की खेती अधिक लाभदायक हो सकती है.
क्या कहते हैं अधिकारी
जिला उद्यान पदाधिकारी अजीत कुमार यादव बताते हैं कि जिले के किसानों के लिये टिसू कल्चर केेले की खेती एक वरदान साबित होगा.

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