मधुबनी : सिविल सर्जन डाॅ नरेंद्र भूषण ने सदर अस्पताल परिसर में चल रहे डायलिसिस सेंटर का औचक निरीक्षण किया. वहां डाॅक्टर अनुपस्थित थे. सिविल सर्जन ने वहां उपस्थित तकनीसियनों से केंद्र के संबंध में पूछताछ की. बायोमेट्रिक सिस्टम से बनाई जा रही हाजिरी की जानकारी ली. सिविल सर्जन के निरीक्षण के दौरान तीन मरीजों को डायलिसिस पर रखा गया था. इनका डायलिसिस तकनीसियन कर रहे थे.
तकनीसियनों ने बताया कि ये एक्यूट डायलिसिस के मरीज नहीं हैं, इसलिये डाॅक्टर नहीं है. उन्होंने कहा कि सिर्फ एक्यूट केस रहने पर ही डॉक्टर की जरूरत होती है. यहांं नर्स भी नहीं है पर नर्स कक्ष बना हुआ है. अन्य डायलिसिस कराने वालों का डायलिसिस तकनीसियन ही करते हैं. पिछले कई दिनों से यहां डाॅक्टर के नहीं आने की जानकारी दी गयी.
डायलिसिस केंद्र में बिजली का मीटर नहीं लगा देख सिविल सर्जन हैरान रह गये. जबकि सदर अस्पताल में लगे ट्रांसफॉर्मर से ही विद्युत आपूर्ति केंद्र को हो रही है. यहां बिजली की काफी खपत होती है. सिविल सर्जन डाॅ भूषण ने केंद्र में लगे सीसीटीवी, फायर अलार्म और आरओ रूम का भी निरीक्षण किया. आरओ रूम काफी आधुनिक है व यहीं से केंद्र को जलापूर्ति की जाती है
नर्स रूम का भी सीएस ने निरीक्षण किया. पॉवर मॉनिटर जहां से बिजली की आपूर्ति की जाती है उसका भी निरीक्षण किया. केंद्र के कर्मचारियों से पूछताछ के दौरान सिविल सर्जन ने एग्रीमेंट पेपर की जानकारी भी ली. डायलिसिस केंद्र से बाहर निकल रहे पानी की जगह नाला बनाने का सीएस ने आदेश दिया. ताकि किसी तरह का इंफेक्सन नहीं हो.
मरीजों से ली जाने वाली दर के संबंध में भी सिविल सर्जन ने पूछताछ की. केंद्र पर उपस्थित कर्मी ने कहा कि मरीजों से 1452 रुपये लिये जाते हैं. इसमें चार घंटे का समय लगता है. सिविल सर्जन के साथ औचक निरीक्षण के दौरान जिला मलेरिया पदाधिकारी डॉ विवेका नंद झा भी उपस्थित थे.