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बाढ़ से ध्वस्त पुलिया का नहीं हुआ निर्माण

झंझारपुर : अनुमंडल क्षेत्र में बहुत ऐसे सड़क आज भी हैं, जिसकी स्थित प्राय: मृत प्राय हो गयी है. ऐसी स्थित इसलिए हुई है क्योंकि वर्षों पूर्व ध्वस्त हो चुके पुलियों का आज तक पुनर्निर्माण नहीं हो सका है. सका एक उदाहरण झंझारपुर प्रखंड की काको पंचायत से पंडौल प्रखंड को जोड़ने वाली सड़क का […]

झंझारपुर : अनुमंडल क्षेत्र में बहुत ऐसे सड़क आज भी हैं, जिसकी स्थित प्राय: मृत प्राय हो गयी है. ऐसी स्थित इसलिए हुई है क्योंकि वर्षों पूर्व ध्वस्त हो चुके पुलियों का आज तक पुनर्निर्माण नहीं हो सका है.

सका एक उदाहरण झंझारपुर प्रखंड की काको पंचायत से पंडौल प्रखंड को जोड़ने वाली सड़क का है. दो प्रखंड समेत जिला मुख्यालय को जोड़ने वाली सड़क में ध्वस्त पुल के निर्माण नहीं होने से मतदाता इस विधानसभा चुनाव में नेताओं को घेरने के मूड में दिख रहे हैं.
क्या है मामला
झंझारपुर प्रखंड के काको गांव में स्थित उक्त पुल करीब दो दशक से ध्वस्त है. यह पुल वर्षों से खेबनहार को तलाश रहा है. इस ध्वस्त पुल ने शासन प्रशासन की कलई खोलकर रख दी है.
इस पुल के बनने से झंझारपुर प्रखंड के अलावे पंडौल प्रखंड के हजारों लाग काफी खुश हुए थे. इन लोगों की खुशी ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पायी. इस पुल के बनने के कुछ ही दिनों बाद आयी बाढ़ ने पुल ध्वस्त कर दिया. कोसी प्रोजेक्ट के माध्यम से बने पुल की गुणवत्ता को लेकर पहले भी सवाल उठे थे,
लेकिन इस मुद्दा को उठते देख मामला को किसी तरह दबा दिया गया. नतीजा ये हुआ कि झंझारपुर प्रखंड के संतनगर, रामखेतारी, काको, चोपता, शंकरपुर वहीं पंडौल प्रखंड के बिजय, सलेमपुर, निर्भापुर समेत दर्जनों गांव को इस सड़क से आवागमन को बंद करना पड़ा तथा करीब दस किलो मीटर दूरी तय कर सफर करना पड़ता है. इससे ग्रामीणों में आक्रोश है.
क्या कहते हैं लोग
काको के नंदीपति दास, नारायणपुर के दिलीप मंडल, सलेमपुर के अमरेंद्र कुमार व चोपता सुजित मिश्र ने बताया कि साल 2000 में कोसी प्रोजेक्ट के द्वारा नहर पर पुल का निर्माण कराया गया. 2004 में आयी बाढ़ में पुल ध्वस्त हो गया.
इससे पहले इस सड़क से आवगमन करते थे. विभाग ने इस सड़क की महत्ता देखकर खरंजाकरण भी कराया हुआ है. अब वो खरंजा भी उखरने की कगार पर पहुंच गया है. जबकि ग्रामीणों के द्वारा विभाग को कई बार इस ध्वस्त पुल के बारे में अवगत कराया गया, लेकिन विभाग के अधिकारी इस पर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझ रहे. इसका नतीजा है कि दर्जनों गांव के लोगों को भगवतीपुर, बिरौल चौक, रामपट्टी जाने के लिए दस किलो मीटर ज्यादा दूरी तय करने को मजबूर हैं.
क्या कहते हैं मुखिया
काको पंचायत के मुखिया शाकिर रैन का कहना है कि करीब डेढ़ साल पहले राजनगर स्थित कोसी प्रोजेक्ट कार्यालय में लिखित सूचना दे चुके हैं. विभाग के कोई भी अधिकारी उस पत्र का जवाब देना मुनासिब नहीं समझ रहे हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
अनुमंडल पदाधिकारी जगदीश कुमार ने बताया कि चुनाव के बाद स्थल को देखा जायेगा. संबंधित पदाधिकारी के प्रतिवेदन भेजा जायेगा. पुल के निर्माण के लिए हर संभव प्रयास किया जायेगा.

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