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बिना शिक्षक चल रहे 62 हाइस्कूल
ये कैसी व्यवस्था : 11 हजार छात्र-छात्राओं का शैक्षणिक भविष्य अंधकारमय मधुबनी : जिले में 62 हाइस्कूल बिना शिक्षक के चल रहे हैं. इन स्कूलों के छात्र-छात्राओं का शैक्षणिक भविष्य अधर में है. निदेशक माध्यमिक शिक्षा ने अपने ज्ञापांक 1508 दिनांक 9.10.2013 के माध्यम से ही ये हाइस्कूल अस्तित्व में आये. इन हाइस्कूलों में कक्षा […]
ये कैसी व्यवस्था : 11 हजार छात्र-छात्राओं का शैक्षणिक भविष्य अंधकारमय
मधुबनी : जिले में 62 हाइस्कूल बिना शिक्षक के चल रहे हैं. इन स्कूलों के छात्र-छात्राओं का शैक्षणिक भविष्य अधर में है. निदेशक माध्यमिक शिक्षा ने अपने ज्ञापांक 1508 दिनांक 9.10.2013 के माध्यम से ही ये हाइस्कूल अस्तित्व में आये. इन हाइस्कूलों में कक्षा नौ व 10 के छात्र छात्राओं का नामांकन भी शुरू हो गया. हजारों की संख्या में छात्रों ने नामांकन भी कराया, लेकिन शिक्षक व सुविधाओं के अभाव में इन स्कूलों को हाइस्कूल कहने में भी छात्र परहेज कर रहे हैं. ये सभी हाइस्कूल नव उत्क्रमित हाइस्कूल के नाम से जाने जाते हैं.
न शिक्षक, न सुविधाएं
मिडिल स्कूलों के शिक्षकों ने इन हाइस्कूलों में कक्षा नौ व 10 के छात्र-छात्राओं को पढ़ाना शुरू कर दिया, लेकिन माध्यमिक शिक्षा अभियान द्वारा इन हाइस्कूलों में शिक्षक नहीं दिये जाने के कारण ये सिर्फ नाम के हाइस्कूल बने रहे.
इन विद्यालयों में नहीं हैं शिक्षक
ये हैं नव उत्क्रमित हाइस्कूल बकुआ, रही पूरब, मारड़, सुगौना, द्वालख, एकहरी, भरफोरी, कौआहा, चिकना, सिमरा, कुसमार, भगवतीपुर, कसमा मरार, सिमरी, टेंगराहा, पोखरौनी, मदनपटटी, अमौजा, बरहारा, सिरखरिया, बलिया, चंदन कसेरा, गौसनगर, नहरी, बिहारी, मधवापुर, छपराढ़ी, रामपुर, केवोटना, नरेंद्रपुर, घोड़बंकी, महथौर, अंधारवन, महथौर खुर्द, औरा, करियौत, परवलपुर, नवहथ, जहरमोहरा, सिकटियाही, कुवाढ़, केरवा, अड़रियासंग्राम, इजरा, जरैल, कुमरखत, कुल्हरिया, नरही, राघोपुर, सिद्धप परसाही, रसिदपुर, बेलही कचनरवा, नीमा, विक्रमशेर, कूरीबन, थरुआही, बसुआरी, इनरवा, सिजाैलिया, बलानशेर, भवानीपुर.
ये सभी हाइस्कूल रहिका, पंडौल, बाबूबरही, बासोपटटी, लौकही, खुटौना, खजौली, लदनियां, मधवापुर, राजनगर, फुलपरास, घोघरडीहा सहित जिले के अन्य प्रखंडों में हैं.
नहीं बन सके भवन
निदेशक ने प्रत्येक हाइस्कूलों में आठ वर्ग कक्ष, तीन प्रयोगशाला, एक हेडमास्टर कक्ष, एक बालिका कॉमन रूम, एक कंप्यूटर कक्ष, एक बालक शौचालय व एक बालिका शौचालय का निर्माण इन हाइस्कूलों में कराने का भी आदेश दिया था, लेकिन यह नहीं बन सका है. इससे नामांकित छात्र-छात्राओं को काफी परेशानी हो रही है.
2014-15 से शुरू हुई पढ़ाई
इन हाइस्कूलों में 2014-15 में पढ़ाई शुरू हुई थी. उच्च विद्यालय विहीन पंचायतों में हाइस्कूल देने के निर्णय के आलोक में डीएम की अध्यक्षता में गठित समिति से प्राप्त प्रस्ताव का निदेशालय स्तर पर गठित समिति की ओर से अनुमोदन देने के बाद इन सभी मध्य विद्यालय को हाइस्कूल बनाया गया. इन हाइस्कूलों में शैक्षणिक सत्र 2014-15 से शैक्षिक गतिविधि प्रारंभ हुई. विभागीय संकल्प संख्या 1021 दिनांक 5.7.2013 के माध्यम से आदेश जारी किया गया था.
पढ़ाई के नाम पर खानापूरी
इन हाइस्कूलों में पढ़ाई के नाम पर महज खानापूरी हो रही है. कक्षा नौ व 10 में नामांकित छात्र-छात्राओं की पढ़ाई माखौल बनकर रह गयी है. लगभग ग्यारह हजार से अधिक छात्र छात्राएं इन स्कूलों में नामांकित हैं. कक्षा नौ में लगभग सात हजार व कक्षा 10 में लगभग चार हजार छात्र छात्राएं हैं.
56 प्लस टू स्कूलों का भी यही हाल
जिले में 56 प्लस टू स्कूलों में अभी तक पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी है. इन प्लस टू स्कूलों में छात्रों का नामांकन नहीं हो सका है. भवन भी बन कर तैयार नहीं हो सका है. इससे छात्रों में रोष व्याप्त है.
क्या कहते हैं अधिकारी
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के जिला संभाग प्रभारी पंकज कुमार चौधरी ने बताया कि इन स्कूलों में आधारभूत संरचना पूरा करने के लिए आदेश जारी किया जा चुका है. इन स्कूलों में शिक्षक सहित सभी आधारभूत संरचना प्रदान करने की भी हर संभव कोशिश की जा रही है. श्री चौधरी ने बताया कि जिन 56 प्लस टू स्कूलों में पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी है या भवन नहीं बन सका है इसकी जांच की जा रही है.
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