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लोगों की लापरवाही से पर्यावरण पर संकट

मधुबनी : पर्यावरण के प्रति लोगों की बढ़ती लापरवाही के कारण पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है. वाहनों की प्रतिदिन बढ़ती संख्या और लोगों द्वारा पॉलीथिन के बढ़ते प्रयोग के कारण पर्यावरण असंतुलन की स्थित बनती जा रही है. पर्यावरण को बचाने के लिये भूमि, वायु, जल व ध्वनि प्रदूषण को रोकना नितांत आवश्यक है. पर्यावरण […]

मधुबनी : पर्यावरण के प्रति लोगों की बढ़ती लापरवाही के कारण पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है. वाहनों की प्रतिदिन बढ़ती संख्या और लोगों द्वारा पॉलीथिन के बढ़ते प्रयोग के कारण पर्यावरण असंतुलन की स्थित बनती जा रही है. पर्यावरण को बचाने के लिये भूमि, वायु, जल व ध्वनि प्रदूषण को रोकना नितांत आवश्यक है. पर्यावरण के असंतुलन होने से लोगों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर होता है और लोग बीमार हो जाते हैं.
पर्यावरण संतुलन के लिए भूमि प्रदूषण को रोकना निहायत जरूरी है. वनों के कटाव, रासायनिक खादों का ज्यादा प्रयोग, कीटनाशक दवाओं के प्रयोग की वजह से भूमि प्रदूषण फैलता है.
इस कारण हम जो खाद्य पदार्थ खाते हैं वह प्रदूषित होता है. इस कारण पेट से जुड़ी कई बीमारियां हो सकती है. वहीं घरों व फैक्ट्रियां का गंदगी, कचरा सीधे शहर के नहर व नदी में छोड़ा जाता है. इस वजह से आज कई नदियां प्रदूषित हो रही हैं. कई जगह गंदे पानी का जमावड़ा दिखता हे. इस वजह से प्रदूषण का खतरा सतत बना रहता है. अगर मनुष्य समय पर न चेता तो कई संक्रमित बीमारियों के चंगुल में फंसना लाजिमी है.
पौधा संरक्षण के लिए निकाला नायाब तरीका
पर्यावरण में हो रहे असंतुलन ने चिंता की लकीर खींच दी है. ऐसे में कुछ लोगों ने पर्यावरण संतुलन के लिए बीड़ा उठाया है. ग्राम विकास परिषद के षष्ठी नाथ झा ने अब तक ग्लोबल वॉर्मिग के खतरे को देखते हुए वृक्षों को बचाने के लिए अलग ही तरीका अपनाया है.
उनकी संस्था पुराने पेड़ों की जड़ में चूना का लेप लगाकर पेड़ की रक्षा कर रहे हैं. चुना लगने से पेड़ में कीड़ा नहीं लगता जिससे उसकी आयु बढ़ जाती है. पेड़ को कटने से बचाने के लिये चूना के बाद उस पर मिथिला पेंटिग के जरिये देवी देवता का चित्र बनाया जाता है.
वहीं भूमि प्रदूषण को रोकने के लिये किसानों के बीच रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं करने व जैविक खेती करने की भी प्रशिक्षण दी जा रही है. वहीं लोगों के बीच पौधरोपण के लिए भी प्रोत्साहित कर रहे हैं. षष्ठी नाथ झा कहते हैं कि ग्लोबल वॉर्मिग से बचने के लिये एक मात्र उपाय है वृक्षों की रक्षा करना. उन्होंने कहा कि मधुबनी बाढ़ प्रभावित जिला होने के कारण यहां बाढ़ के बाद लोग घर बनाने के लिये इंधन की कमी पूरा करने के लिये पेड़ों की कमी पूरा करने के लिये पेड़ों की कटाई अंधाधुंध करते हैं. ऐसे की कटाई अंधाधुंध करते हैं. ऐसे में पेड़ों के कटने से बचाना होगा.
पेड़ पौधे की सेवा करना ही दिनचर्चा
इलाहाबाद बैंक से सेवानिवृत्त वरीय प्रबंधक नंद नगर निवासी रघुनाथ यादव को पेड़, पौधे व बागवानी से इतना लगाव व जुनून था कि वे अवकाश के बाद खुद को रोक नहीं सके. पिछले 10 सालों से बागवानी उनकी दिनचर्या बन गई है.
वे रात दिन अभिभावक की तरह पेड़-पौधों को संवारने में लगे रहते हैं. उन्होंने चकदह स्थित नंदनगर में अपने तकरीबन छह कट्ठा आवासीय परिसर में हर तरह के फूल, पौधे, सब्जी उगा रखें हैं. उनके बगीचा को देखने के लिये लोग आते रहते हैं.
इतना ही नहीं जल संरक्षण को भी ध्यान रखते हुए अपने परिसर के एक कोने में मिट्टी खोदवा कर मछली पालन भी कर रहे हैं. उनका कहना है कि बरसात में पानी बरबाद हो जाता था, तो उसके पानी की संचय की सूझी और परिसर में ही छोटा सा तालाब बनबा डाला ताकि बरसात का पानी भी जमा हो सके और मछली पालन भी किया जा सके. आज उनके बगिया में पिटूनिया, फुटबॉल लिली, गुलाब, गेंदा कई प्रकार की सब्जियों के पौधे पर्यावरण को संतुलित करने में मदद कर रहे हैं.
श्री यादव ने बागवानी के शौक की वजह से आत्मा की तरफ से पुष्प विज्ञान अनुसंधान निदेशालाय नयी दिल्ली में प्रशिक्षण भी ले चुके हैं. उनका कहना है कि अगर समाज का हर नागरिक अपने घर में ही पेड़-पौधे को संवारने लगे तो ग्लोबल वॉर्मिग से बची जा सकती है. श्री यादव पर्यावरण को बचाने में आगे आने वाले लोगों के लिए उदाहरण हैं.

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