अग्रिम समायोजन को ले छूट रहे अभियान के अधिकारियों के पसीने
मधुबनी : सर्वशिक्षा अभियान कार्यक्रम के लगभग 100 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं मिल पाया है. राशि कहां गयी यह पिछले कई सालों से सर्वशिक्षा अभियान कार्यालय के लिए अहम सवाल बना हुआ है. कई डीपीओ का तबादला भी हो गया, लेकिन अभी तक यह राज ही बना हुआ है कि आखिर खर्च की गयी राशि का अता पता क्यों नहीं चल रहा है. अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं.
क्या हैं मामला
मामला है अग्रिम समायोजन का. जो भी राशि सरकारी प्राइमरी और मिडिल स्कूल में छात्र-छात्राओं और शिक्षकों शिक्षिकाओं के लिए खर्च की जाती है उसका उपयोगिता प्रमाण पत्र बिहार शिक्षा परियोजना को और विभाग को देना होता है. उपयोगिता प्रमाण पत्र के साथ वाउचर सहित कई अन्य अभिश्रव देने होते हैं. इससे यह प्रमाणित हो सके कि राशि वास्तव में खर्च की गयी और इसका विचलन नहीं हुआ. सर्वशिक्षा अभियान के विभिन्न कार्यक्रमों में भारत सरकार और बिहार सरकार दोनों राशि देती है. जब तक पर्याप्त उपयोगिता नहीं मिल जाता है अगली किस्त की राशि भारत सरकार नहीं देती है.
क्या कहते हैं अधिकारी
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सर्वशिक्षा अभियान हरि नारायण झा का कहना है कि उन्होंने हाल ही में योगदान किया है. उनका कहना हैं कि प्राथमिकता के आधार पर अग्रिम समायोजन का काम किया जा रहा है. सभी संभाग प्रभारियों को समय से अग्रिम समयोजन करने को कहा गया है. उन्होंने बताया कि जब से योगदान किया है कुछ ही समय में दस करोड़ से अधिक की राशि का अग्रिम समायोजन किया गया है. डीपीओ सर्वशिक्षा अभियान ने कहा कि जहां काम नहीं हुआ है वहां से पूरी राशि वापस लौटायी जा रही है. उन्होंने कहा कि वे नयी टीम के साथ जी जान से अग्रिम समायोजन में लगे है.