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इस साल परिवार के साथ गांव आनेवाला था प्रद्युम्न

मधुबनी : प्रदुम्न के गांव के लोगों ने उसे चार साल पहले तब देखा था, जब वह अपने परिवार के साथ मुंडन के िलए आया था. उसी समय की याद गांव के लोगों में ताजा है. तब उसकी बोली तोतली थी. वह स्कूल भी नहीं जाता था. उसके बाद से ही उसने स्कूल जाना शुरू […]

मधुबनी : प्रदुम्न के गांव के लोगों ने उसे चार साल पहले तब देखा था, जब वह अपने परिवार के साथ मुंडन के िलए आया था. उसी समय की याद गांव के लोगों में ताजा है. तब उसकी बोली तोतली थी. वह स्कूल भी नहीं जाता था. उसके बाद से ही उसने स्कूल जाना शुरू िकया. जब वह तोतली बोली में ताता- ताता (दादा-दादा ) करता था, तो लगता था कि पूरी दुनिया की खुशी मिल गयी हैं. इसके बाद से उसकी फोन पर ही बोली परिवार के सदस्यों ने सुनी ती. मुंडन के बाद गांव नहीं आया था. इस बार जब गांव में घर बनना शुरू हुआ, तो सोचा था कि घर बास में पूरा परिवार जुटेगा तो फिर से जी भर कर प्रद्दुम्न को अपनी गोद में खिलायेंगे. यह कहते ही दादा कृष्णचंद्र ठाकुर की आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगा था. गला रुंध गया. कंधे पर रखे गमछे से कभी मूंह को बंद करते तो कभी आंसू पोछते.

पर इसका क्या करते की आंखें पानी निकालना बंद ही नही कर रहा था. दो बोल बोलते फिर फफक पड़ते हैं. आस पास के लोग जितने ही ढांढस बंधाता उतना ही अधिक रोते. रोते हुए ही बोले. उसकी सूरत आंखों के आगे से नहीं हट रही है. आखिर किसी का उस मासूम ने क्या बिगाड़ा था. उसकी तो सूरत ही ऐसी थी कि कोई भी इसके मासूमियत पर अपने गुस्से व क्रोध को भूल जाता था, लेकिन उस हत्यारे को इस मासूम की मासूमियत क्यों नहीं दिखी. क्यों नहीं उसका कलेजा पसीजा?

उनके दो पुत्र दिल्ली में काम करते हैं. बड़ा लड़का वरुण व छोटा लड़का तरुण.
पूरा परिवार इस मासूम के किलकारी व बोली से खुश रहा करता था. अब कहां से इस परिवार में खुशी लौटेगी. हत्यारे ने ऐसा दर्द दिया है कि जिंदगी भर इसकी टीस कलेजे मे चुभती रहेगी. शुक्रवार से लेकर शनिवार तक बाड़ागांव में लोगों के आने का सिलसिला जारी था. लोग सांत्वना देने आते पर खुद अपनी आखों के आंसू को नहीं रोक पाते. आखिर इस गांव के हर किसी ने तो उस मासूम को देखा था. क्यों उसकी हत्या कर दिया.
दादा ने भी सीबीआइ जांच की मांग की
श्री ठाकुर बताते हैं कि इसमें पूरे तौर पर विद्यालय प्रबंधन ही दोषी है. जब तक इस कांड की सीबीआई से जांच नहीं होगी मामले की सच्चाई सामने नहीं आयेगी. कहा कि सरकार को तो तत्काल ही विद्यालय को सील कर इस कांड की सीबीआई से जांच कराने के आदेश जारी करने थे. पर जैसे जैसे समय बीतता जा रहा है अपराधी को साक्ष्य समाप्त करने का मौका मिलेगा और दोषी बच जायेगा.
गांव के लोगों में बन रही आंदोलन की रणनीति
बच्चे की हत्या से न सिर्फ परिवार आहत है, बल्कि पूरे क्षेत्र में मासूम की मौत का दर्द है. लोग आहत हैं पर इस आहत के बीच लोगों में पुलिस प्रशासन व विद्यालय प्रबंधन के खिलाफ आक्रोश भी है. लोग सीबीआई से इस घटना की पूरी तरह निष्पक्ष जांच कराने की मांग कर रहे हैं, तो दूसरी ओर जांच का आदेश नहीं दिये जाने पर पूरे राज्य भर में आंदोलन की बात भी कर रहे हैं. घटना के बाद से ही पूरे गांव व आस पास के लोगों का आना जाना प्रद्युम्न के घर पर लगा है. लोग उसके दादा को सांत्वना भी दे रहे हैं. इस विपदा के बाद मासूम के हत्यारे को पकड़ने के लिये अभियान चलाने के लिए भी एक जुटता दिखायी है. शनिवार को दिन में गांव के करीब एक दर्जन से अधिक लोगों की बैठक की गयी. इसमें हत्या के विरोध में आगे की रणनीति पर विचार विमर्श किया गया. हर किसी के चेहरे पर उदासी छायी हुई थी. गांव के मुखिया अरविंद कुमार उर्फ मुन्ना सिंह ने कहा कि इस हत्याकांड की निष्पक्ष जांच सीबीआई से सरकार कराये. सीबीआई जांच की मांग यदि नहीं मानी गयी, तो संपूर्ण जिले में आंदोलन किया जायेगा.

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