बरसात से बेहाल . महावीर मंिदर के अहाते तक छू रहा पानी, गाड़ियों की रफ्तार भी थमी
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जीअब त सामान फेरो खरीद लेब जाने बचायब एखन कठिन छी
बरसात से बेहाल . महावीर मंिदर के अहाते तक छू रहा पानी, गाड़ियों की रफ्तार भी थमी मधुबनी : दिन के सात बज रहे थे. हम अपने एक संबंधी को छोड़ने के लिये स्टेशन आये थे. सरयू यमुना ट्रेन पकड़नी थी. समय से 15 मिनट विलंब से ट्रेन आयी. अपने संबंधी को ट्रेन में बैठा […]
मधुबनी : दिन के सात बज रहे थे. हम अपने एक संबंधी को छोड़ने के लिये स्टेशन आये थे. सरयू यमुना ट्रेन पकड़नी थी. समय से 15 मिनट विलंब से ट्रेन आयी. अपने संबंधी को ट्रेन में बैठा दिया. ट्रेन खुली और हम भी स्टेशन से विदा हुए. स्टेशन के बाहर ही एक महावीर मंदिर है. सावन माह में हर साल इस समय इस मंदिर में सैकड़ों की भीड़ रहा करती थी.
पर आज यहां इक्का दुक्का ही श्रद्धालु आ रहे थे. मंदिर के अहाते तक बारिश का पानी छू रहा था. इसी से होकर मालगोदाम बाइपास रोड तेरह नंबर गुमटी तक जाता है. हमेशा ही इस जगह पर दर्जनों की संख्या में ऑटो, ट्रेकर, मैक्सी लगी रहती थी. आज एक भी वाहन नहीं था. दुकानें भी बंद. पूरा इलाका जलमग्न था. हम बाइक को इसी मंदिर के समीप लगा कर आगे बढ़े, उत्सुकता थी कि देखें किस प्रकार लोग इस बारिश में हैं. मालगोदाम रोड के समीप अधिकांश घर झुग्गी झोंपड़ीनुमा हैं.
हम पैदल ही कमर भर पानी में आगे बढ़ते गये. हर घर में पानी घुसा था. घरों में बांस के बने जाफरी को सिक्कड़ के सहारे बंद किया गया था. मरघट सी वीरानी. दूर दूर तक कोई नहीं. हर झोंपड़ी का यही हाल. पर इस मुहल्ले में शायद ऐसी वीरानी पहले कभी नहीं देखी थी. बाजार का हर मुहल्ला भले ही बंद हो, इस मुहल्ले में तो हमेशा ही चहल पहल व भीड़-भाड़ रहती है. इसका कारण यह है कि एक तो मोटरवाहन चालक, खलासी व संचालक इस जगह पर अपना अड्डा जमाया करते थे.
दूसरी बात यह कि यहां कई गैराज भी हैं. मधुबनी बस स्टैंड से बेनीपट्टी, रामपट्टी, जयनगर सहित, लौकहा, लौकही आदि जगहों पर जाने वाली बसों का बाइपास रोड भी यही है. मंगलवार को न तो कहीं कोई बस का चालक या संचालक ही नजर आया और न ही इस पथ पर वाहन ही परिचालित हो रहे थे. इसी दौरान एक साइकिल पर सामान लिये एक सज्जन आते नजर आये. पूछने पर अपना नाम गणेश साह बताया. बोले किराये के मकान में रहते हैं. बताया कि रविवार की रात से हो रही बारिश के कारण घर में पानी भर गया है. खड़ा होने तक जगह नहीं है. परिवार व बच्चों को तो कल (सोमवार) ही भेज दिये थे.
सभी सामान तो घर में ही पड़ा है. दूसरों के घर में शरण लिये हैं. कुछ आवश्यक सामान ले जाना जरूरी है. वही ले जा रहे हैं. कहा कि जान बचत तहन ने सामान बचैब. एखन त जान बचेनाइये कठिन छी. कोना जान बचत सैह चिंता सबके छै. जीब त सामान फेरो खरीद लेब. यह किसी एक मुहल्ले या एक गणेश साह की बात नहीं है. इन दिनों शहर के ऐसे दर्जनों मुहल्ले हैं जहां पर ऐसे गणेश सैकडों की संख्या में मिल जायेंगे. कई ऐसे बुजुर्ग भी हैं जो अपना पूरा जीवन इस शहर में गुजार लिया. अब उम्र के अंतिम पायदान पर वह बेघर हो चुके हैं. शहर के विनोदानंद झा कॉलोनी, आदर्श नगर कॉलोनी, तिरहुत कालोनी, आफिसर कालोनी सहित अन्य सभी का हाल यही है. जल निकासी का इंतजाम नहीं. लोग बेहाल हो चुके हैं.
घर छोड़ होटल में लिया कमरा
शहर के महादेव मंदिर रोड के रहनेवाले हैं अधिवक्ता प्रमोद झा उर्फ राजा बाबू. 35 साल से इस जगह मकान बना कर रह रहे हैं. इस इलाके में आज तक बाढ़ का पानी या बारिश का पानी जमा नहीं हुआ था. बीते दो दिनों की बारिश ने इस साल इन्हें भी बेघर कर दिया. जब घर में रहने की हिम्मत जवाब दे गयी, तो एक होटल में चले गये. कमरा लिया और वहीं पर पानी कम होने का इंतजार कर रहे हैं. बताते हैं कि कई बार बारिश हुई. बाढ़ भी आयी. पर यह तो प्रलय है. अपने घर को छोड़ का आज परदेशी की तरह होटल में जीवन गुजार रहे हैं. खाना पीना भी होटल में ही हो रहा है. बताते हैं कि इसका मूल कारण है समय पूर्व कैनालों की उड़ाही नहीं होना और नाले का अतिक्रमण कर लेना. अधिकारी और आम लोग दोनों इसके जिम्मेदार हैं.
विनोदानंद कॉलोनी, आदर्श नगर कॉलोनी, तिरहुत कॉलोनी ऑफिसर कॉलोनी समेत कई मुहल्लों के लोग हुए बेघर
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