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टास्क पूरा नहीं कर पाया प्रशासन

विभागीय उदासीनता . मुख्यमंत्री का सिंहेश्वर महोत्सव उद्घाटन कार्यक्रम खटाई में मुख्यमंत्री का सिंहेश्वर में शिवरात्रि के मौके पर आयोजित सिंहेश्वर महोत्सव का शुभारंभ कार्यक्रम खटाई में पड़ गया है. उन्होंने अपने आने के लिए जिन योजनाओं को पूरा करने की शर्त रखी थी, उनमें से अधिकतर योजनाएं विभागीय प्रक्रिया में उलझ कर रह गयी […]

विभागीय उदासीनता . मुख्यमंत्री का सिंहेश्वर महोत्सव उद्घाटन कार्यक्रम खटाई में

मुख्यमंत्री का सिंहेश्वर में शिवरात्रि के मौके पर आयोजित सिंहेश्वर महोत्सव का शुभारंभ कार्यक्रम खटाई में पड़ गया है. उन्होंने अपने आने के लिए जिन योजनाओं को पूरा करने की शर्त रखी थी, उनमें से अधिकतर योजनाएं विभागीय प्रक्रिया में उलझ कर रह गयी हैं.
मधेपुरा : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जिले की धार्मिक नगरी सिंहेश्वर में शिवरात्रि के मौके पर आयोजित सिंहेश्वर महोत्सव का शुभारंभ कार्यक्रम खटाई में पड़ गया है. उन्होंने अपने आने के लिए जिन योजनाओं को पूरा करने की शर्त रखी थी, उनमें से अधिकतर योजनाएं विभागीय प्रक्रिया में उलझ कर रह गयी हैं. जबकि सीएम ने इन योजनाओं को पूरा करने के लिये 20 फरवरी की तिथि तय की थी. अब हाल यह है कि मधेपुरा के डीएम मो सोहैल ने
पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिख कर योजनाओं की वस्तुस्थिति से अवगत करा दिया है. अपने पत्र में डीएम ने उन्हें लिखा है कि वर्तमान वस्तुस्थिति में अगर पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव चाहें तो माननीय मुख्यमंत्री जी को आमंत्रित करने पर विचार करें या अन्य किसी मंत्री को आमंत्रित करने की कार्यवाही करें. संकेत साफ है कि स्थिति संतोषजनक नहीं है और कहीं सिंहेश्वरवासियों की यह तमन्ना इस साल पूरी न हो सके.
17 दिसंबर को सीएम ने दिया था निर्देश : डीएम ने अपने पत्र ज्ञापांक 202 दिनांक 16 फरवरी 2017 में स्पष्ट लिखा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने मधेपुरा निश्चय यात्रा के दौरान सिंहेश्वर पहुंचे थे. 17 दिसंबर को सिंहेश्वर मंदिर स्थित शिवगंगा घाट के निरीक्षण के समय पंडा समाज, युवा संघ सहित अन्य स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री से सिंहेश्वर महोत्सव का उद्घाटन का अनुरोध किया था. निरीक्षण के समय मुख्यमंत्री ने कहा था कि अगर शिवगंगा के पूरब घाट का निर्माण, स्वच्छ जल के लिये पंप, ड्रैनेज की व्यवस्था, सोलर लाइट की मरम्मत एवं धर्मशाला के निर्माण आदि योजनाएं 20 फरवरी तक पूर्ण हो जाते हैं तो ही वे उद्घाटन करने पर विचार करेंगे.
इन योजनाओं को करना था पूरा
पर्यटन विभाग द्वारा निर्मित कैलेंडर के अनुसार मधेपुरा में सिंहेश्वर महोत्सव का आयोजन 25 फरवरी से 27 फरवरी को निर्धारित किया गया है. मुख्यमंत्री के 17 दिसंबर को सिंहेश्वर मंदिर स्थित शिवगंगा घाट के निरीक्षण के समय स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री से सिंहेश्वर महोत्सव का उद्घाटन का अनुरोध किया था. निरीक्षण के समय मुख्यमंत्री ने शिवगंगा के पूरब घाट का निर्माण, स्वच्छ जल के लिये तीन एचपी का दो सोलर पंप के अतिरिक्त जल निकासी हेतु ड्रैनेज की व्यवस्था, सोलर लाइट की मरम्मति एवं धर्मशाला के निर्माण का प्रस्ताव रखा था. सीएम ने पर्यटन विभाग के प्रबंधन निदेशक को इसके क्रियान्वयन का निर्देश दिया गया था. इसके साथ ही यह भी कहा गया था कि उक्त कार्य अगर 20 फरवरी तक हो जाता है तो ही उनके द्वारा उद्घाटन पर विचार किया जायेगा.
ये है इन योजनाओं की वस्तु स्थिति: इन योजनाओं को पूरा करने के लिये डीएम ने पूरा जोर लगा दिया. उनके स्तर से पत्रांक 3060 दिनांक 20-12-16 एवं पत्रांक 3098 दिनांक 24-12-16 को उपरोक्त सभी कार्य का प्राक्कलन पर्यटन विभाग के प्रबंधन निदेशक को हस्तगत करा दिया गया. इसमें तीन कार्य जैसे- घाट का निर्माण, स्वच्छ जल के लिये तीन एचपी का दो सोलर पंप के अतिरिक्त जल निकासी हेतु ड्रैनेज की व्यवस्था, सोलर लाइट की मरम्मत की प्रशासनिक स्वीकृति पर्यटन विभाग के पत्रांक 147, 148 एवं 149 दिनांक 25 जनवरी 2017 को प्राप्त हुई. डीएम ने अपने पत्र में लिखा है
कि समय बचत करने के लिये प्रशासनिक स्वीकृति के पूर्व ही 09 जनवरी 2017 को सोलर अधिष्ठापन की निविदा जिला स्तर से भवन प्रमंडल मधेपुरा के कार्यपालक अभियंता एवं पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता द्वारा निकाल दिया गया. इसमें से घाट निर्माण के लिये तकनीकी स्वीकृति का प्रस्ताव भवन प्रमंडल मधेपुरा द्वारा 28 जनवरी 2017 को भवन के मुख्य अभियंता को भेजा गया. अभियंता प्रमुख भवन निर्माण के प्रभार में थे एवं उनकी सेवानिवृत्ति 31 जनवरी 2017 को हो गयी. इसके उपरांत इस पद पर अब तक पदस्थापन नहीं हो सका है. इस हेतु भवन निर्माण के प्रधान सचिव से दूरभाष पर बात भी की गयी.
धर्मशाला निर्माण के संबंध में पर्यटन विभाग से अब तक प्रशासनिक स्वीकृति प्राप्त नहीं हुई है. हालांकि डीएम ने प्रधान सचिव को यह भी लिखा है कि शेष कार्य प्रगति में है और यह कार्य समारोह से पूर्व पूर्ण करा लिया जायेगा. उपरोक्त के आलोक में विभागीय स्तर से समारोह के उद्घाटन हेतु माननीय मुख्यमंत्री को आमंत्रित करने पर विचार करना चाहेंगी अथवा किसी अन्य मंत्री को आमंत्रित करने पर कार्रवाई की जा सकती है. हालांकि अपने पत्र में डीएम ने प्रधान सचिव को लिखे अपने पत्र में स्पष्ट संकेत दे दिया है कि विभाग अन्य विकल्पों पर विचार कर सकता है.
मंदिर में सादे लिबास में तैनात होंगे पुलिसकर्मी: बैठक में जेबकतरों और चेन खींचने वालों पर चिंता जाहिर करने पर डीएम ने कहा कि मंदिर के भीतर लगातार रहने वाले कर्मियों को इस पर लगातार नजर रखनी होगी. मंदिर के भीतर की सुरक्षा को लेकर उन्होंने पुख्ता रणनीति तैयार करने की बात कही. मुख्य सड़क पर सिंहेंश्वर में ऑटो परिचालन भी बंद रहेगा. डीएम ने कहा कि विगत वर्ष जिस प्रकार के इंतजामात किये गये थे, इस साल भी ठीक उसी प्रकार सारी व्यवस्था चुस्त -दुरूस्त रहेगी. मंदिर में श्रद्धालुओं में भगदड़ न मचे इसके लिये मजबूत घेराबंदी की जायेगा. वहीं एसपी विकास कुमार ने कहा कि मंदिर के भीतर शिवरात्रि एवं जलढरी के अलावा भीड़ वाले दिन सादे लिबास में पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे ताकि जेबकतरे और चेन छीनने वाले पकड़े जा सकें.
मेला से पहले मंदिर बाइपास का चौड़ीकरण : डीएम ने बैठक में मौजूद गौरीपुर मुखिया प्रतिनिधि राजेश कुमार झा को निर्देश दिया कि मेला से पहले वे मंदिर बाइपास के चौड़ीकरण योजना को पूर्ण करें ताकि महाशिवरात्रि मेले के दौरान श्रद्धालुओं को असुविधा न हो. वहीं मेले में बिजली, पेयजल, स्वास्थ्य आदि विभाग को पूरी तैयारी करने का निर्देश दिया. बैठक में डीडीसी सह सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति के सचिव मिथिलेश कुमार, सामान्य शाखा से विजय झा, नाजीर अनिल कुमार, न्यास समिति के सदस्य डा भूपेंद्र नारायण मधेपुरी, सरोज सिंह, कन्हैया ठाकुर, बीडीओ अजीत कुमार, सीओ कृष्ण कुमार सिंह, थानाध्यक्ष बीडी पंडित
, पीएचसी प्रभारी डा आनंद भगत, राजद नेता सियाराम यादव व जयप्रकाश यादव, बिजली विभाग के जेई, न्यास समिति व्यवस्थापक उदयकांत झा, वस्त्र व्यापार संघ अध्यक्ष अरविंद प्राणसुखका, व्यापार संघ महासचिव अशोक भगत, विधायक प्रतिनिधि मुन्ना कुमार, पी यदुवंशी, सरपंच राजीव भगत, पंसस मुकेश कुमार, भाजपा नेता विजय भगत, मनोज दास, युवा संघ अध्यक्ष पंकज भगत, जदयू नेता प्रभाष मल्लिक, दीपक यादव, न्यास कर्मी मनोज ठाकुर, बालेश्वरजी, लालबाबा सहित पंडा समाज एवं सैकड़ों की संख्या में स्थानीय लोग मौजूद थे.

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