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समय पर करें छिड़काव तभी बचेगा आलू

मधेपुरा : आलू की फसल पर समुचित छिड़काव नहीं किया गया तो आलू की फसल को बचाना काफी मुश्किल होगा. इसके बारे में कृषि विज्ञान केंद्र मधेपुरा के समन्वयक डा मिथिलेश राय कहते हैं कि अभी आलू की फसल पर अगेती झुलसा का प्रकोप हुआ है. इस रोग में आलू की पत्तियों पर छोटी छोटी […]

मधेपुरा : आलू की फसल पर समुचित छिड़काव नहीं किया गया तो आलू की फसल को बचाना काफी मुश्किल होगा. इसके बारे में कृषि विज्ञान केंद्र मधेपुरा के समन्वयक डा मिथिलेश राय कहते हैं कि अभी आलू की फसल पर अगेती झुलसा का प्रकोप हुआ है. इस रोग में आलू की पत्तियों पर छोटी छोटी बूंदों की निशान पड़ जाती है और पत्तियां मुड़ने लगती है.

क्या है उपचार . डा मिथिलेश राय बताते हैं कि इंडोफिल एम 45 की दो से ढाई मिग्रा दवा एक लीटर पानी में मिला कर आठ से दस दिन के अंतराल पर स्प्रे करना चाहिए. इसके अलावा क्लाइटॉक्स 50 डब्ल्यू पी का छिड़काव ढाई से तीन ग्राम एक लीटर पानी में मिला कर करना चाहिए.
जनवरी में रहता है झुलसा का खतरा . कृषि वैज्ञानिक डा मिथिलेश राय बताते हैं कि 25 दिसंबर के बाद जनवरी के प्रथम सप्ताह में आलू की फसल पर झुलसा रोग का जबरदस्त खतरा उत्पन्न हो जाता है. तापमान छह से आठ डिग्री हो जाता है और कुहासा छोटी बारीक बूंदें बन कर गिरती हैं. तीन दिनों में ही फसल पूरी तरह खराब हो जाती है. अगर अगेती झुलसा के समय किया छिड़काव पौधों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा देता है. झुलसा रोग के समय इंडोमिल एक ग्राम एक लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें. इसके आठ – दस दिन बाद सायनोक्सिल की एक से डेढ़ ग्राम दवा एक लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करने से आलू की फसल सुरक्षित रहेगी.

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