अफसोस. लाखों खर्च के बावजूद स्वच्छ मधेपुरा का सपना नहीं हो रहा साकार
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शहर की सुंदरता पर कचरों का दाग
अफसोस. लाखों खर्च के बावजूद स्वच्छ मधेपुरा का सपना नहीं हो रहा साकार अभी सुंदर मधेपुरा का सपना सकार होता नहीं दिख रहा है. शहर के लगभग सभी वार्डों में साफ-सफाई का अभाव है. मुख्य बाजार सहित रिहायशी इलाकों में भी कूड़े की भरमार है. हालांकि, प्रशासनिक स्तर पर सफाई के दावे जोर शोर से […]
अभी सुंदर मधेपुरा का सपना सकार होता नहीं दिख रहा है. शहर के लगभग सभी वार्डों में साफ-सफाई का अभाव है. मुख्य बाजार सहित रिहायशी इलाकों में भी कूड़े की भरमार है. हालांकि, प्रशासनिक स्तर पर सफाई के दावे जोर शोर से हो रहे हैं. लेकिन, समस्या जस की तस
बनी हुई है.
मधेपुरा : सफाई के मद में लाखों रुपये प्रतिमाह खर्च करने के बावजूद स्वच्छ और सुंदर मधेपुरा का सपना सकार होता नहीं दिख रहा है. शहर के लगभग सभी वार्डों में साफ-सफाई का घोर अभाव है. मुख्य बाजार सहित रिहायसी इलाकों में भी कूड़ा का अंबार लगा हुआ है. हालांकि प्रशासनिक स्तर पर सफाई के दावे जोर शोर से हो रही है. लेकिन मुख्य बाजार और शहर के मुख्य पथों के किनारे पसरा कचरा उन दावों की पोल पट्टी खोल रहा है. ज्ञात हो कि साफ सफाई के प्रति गंभीरता दिखाते हुए नगर परिषद ने शहर के 15 वार्ड की साफ सफाई का जिम्मा एक स्वयं सेवी संस्था को दे दिया है. लेकिन विगत डेढ महीनें से अस्थायी सफाई कर्मियों की हड़ताल की वजह से संपूर्ण व्यवस्था चरमरा गयी. इस दौरान प्रशासनिक स्तर पर सफाई कर्मियों की मांगों पर विचार करते हुए उनके नियमितिकरण की योजना बन रही है.
कचरों का शहर बन गया मधेपुरा. सोमवार को जब शहर में साफ सफाई की पड़ताल की गयी तो शहर के मुख्य बाजार में पूर्णिया गोला चौक से लेकर सुभाष चौक तक कई जगह पर कचरे का ढेर लगा था. खास कर मधेपुरा होटल के समीप बीते दो दिनों से कचरे का उठाव नहीं किया गया था. वहीं बैंक रोड की स्थिति काफी जर्जर है. इस रोड में नियमित रूप से सफाई नहीं होने के कारण कई जगहों पर कूड़े का ढेर बना हुआ है. इन ढेरों के पास विचरते सुअरों का झुंड स्वच्छ मधेपुरा का बखान कर रहा था. इस रोड में कूड़े की ढेर से उठती बदबू के कारण स्थानीय निवासी परेशान है. राहगीर नाक पर रूमाल रख कर आवागमन कर रहे थे. बायपास रोड में हिरो हौंडा शोरूम से लेकर डॉक्टर अजय कुमार के क्लिनिक तक सड़क के दोनों तरफ कचरे का अंबार लगा हुआ है. शायद महीनों से यहां सफाई कर्मी नहीं पहुंचे है. शहर के महत्वपूर्ण स्थल सर्किट हाउस के आगे की स्थिति और भी बदतर है. सर्किट हाउस के ठीक सामने स्थानीय लोग अपने घरों का कचरा फेंकते है. उठाव नहीं होने के कारण कचरे का ढेर रोज बढ़ता जा रहा है. आने वाले समय में सर्किट हाउस में रूकने वाले अतिथि इस कचरे की बदबू से परेशान होंगे.
दवा करते गये, मर्ज बढ़ता गया. शहर को साफ सुथरा बनाये रखने की कवायद में यह कहावत पूरी तरह सटीक बैठती है. नगर परिषद सफाई के प्रति जितना गंभीरता दिखाता रहा, शहर में कचड़ों का ढेर भी उसी हिसाब से बढ़ता चला गया. हाल के वर्षों में नगर परिषद ने 15 वार्डों के साफ सफाई का जिम्मा स्वयं सेवी संस्था, जीवन ज्योति सोताडीह बांका को सौंप दिया. प्रत्येक वार्ड के सफाई के एवज में नगर परिषद ने संस्था को कमोबेश भुगतान भी कर रही है. शुरूआत के कुछ दिनों में संस्था सफाई के प्रति गंभीर नजर आ रही थी. लेकिन समय के साथ संस्था के संचालक भी सफाई के प्रति एक्टित होते चले गये.
गुलजार बाग मुहल्ले में फैला है कचरा
शहर के पुराने मुहल्लों में शुमार गुलजार बाग मुहल्ला काफी विकसित है. लेकिन कूड़ा कचरा के दुर्गंध से मुहल्ले वासियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मुहल्ले में कचरे का ढेर लगा हुआ है. जो लोगों की परेशानी का सबब बना हुआ है. वहीं स्थानीय लोग बताते है कि जब यह कचरा सड़ जाता है तो मुहल्ले वासियों का जीना मुहाल हो जाता है. मुहल्ला में प्राइवेट स्कूल भी है. जहां प्रतिदिन सैकड़ों बच्चे स्कूल में पढ़ाई करते है. इस कूड़े कचरे के अंबार एवं उसके दुर्गंध से बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना बनी रहती है. इस समस्या को लेकर स्थानीय लोगों ने बताया कि इस संबंध में कई बार संबंधित कार्यालय को सूचित किया गया. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. जनप्रतिनिधि एवं अधिकारियों के द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता है.
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