पावन नगरी सिंहेश्वर में सावन की अंतिम सोमवारी को केसरिया सैलाब उमड़ पड़ा. हर तरफ से श्रद्धालुओं का जत्था सिंहेश्वरनाथ के मंदिर की ओर बढ़ता जा रहा था. रविवार की शाम तक मंदिर परिसर भर गया था. रात से ही श्रद्धालु खुद से ही पंक्तिबद्ध होने लगे थे. मंदिर प्रशासन ने रात के दो बजे ही गर्भ गृह खोल दिया. लेकिन केवल आठ पुलिस बल इस भीड़ के सामने विवश थे. स्थानीय युवाओं की टोली ने स्थिति को संभाल लिया. वहीं सिंहेश्वर नगरी की मुख्य सड़क पर पूरी तरह जाम रहा.
सिंहेश्वर : पुलिसकर्मियों की कमी के कारण जब स्थिति अनियंत्रित होने लगी तब स्थानीय युवा संघ ने मोरचा संभाल लिया. रात के लगभग दो बजे ही पट खोल दिये जाने के बाद भीड़ को नियंत्रित करना जैसे नामुमकिन हो गया था. आपसी तालमेल व सूझबूझ के सहारे भीड़ को नियंत्रित कर लिया गया. सुबह पांच बजे तक लगभग 80 हजार श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना कर लिया था. मंदिर परिसर में तो पैर रखने की जगह नहीं थी. कुआं पर जल भरने के लिये श्रद्धालुओं को काफी मशक्कत करनी पड़ रही थी. युवा संघ की ओर से ग्लूकोज पानी, नींबू पानी की व्यवस्था की गयी थी.
टूटने लगी बेरिकेटिंग. सुबह छह बजे भीड़ में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हो गयी थी. सुरक्षा के घेरे के तौर पर प्रशासन के द्वारा लगाया गया बांस पर बेरिकेटिंग काफी दबाव पड़ने लगा.
एकबारगी बेरिकेटिंग जैसे टूटने लगा. करीब एक मीटर चौड़ी और दस मीटर लम्बी बेरिकेटिंग में हजारों श्रद्धालु समाये हुये थे. इसके कारण दबाव अपेक्षित था. बेरिकेटिंग जोर-जोर से हिलने लगा और जगह जगह टूटने लगा. मौजूद पुलिस बल व युवा संघ के सदस्यों ने तुरंत बेरिकेटिंग ठीक कर लिया और एक बड़ा हादसा टल गया. हालांकि अत्यधिक भीड़ होने के कारण गर्भ गृह में कई महिला श्रद्धालुओं की तबीयत बिगड़ गई और वे बेहोश हो गयीं. उन महिलाओं को युवा संघ के कार्यकर्ताओं ने मुश्किल से निकाला.
पुलिस के छूटे पसीने.
सावन के अंतिम सोमवार को अत्यधिक भीड़ होने के कारण श्रद्धालुओं की भीड़ इतनी अधिक संख्या में उमड़ पड़ी कि पुलिस बल कम पड़ गये. स्थानीय थानाध्यक्ष को पूरी स्थिति को संभालने में काफी मशक्कत का सामना करना पड़ा. लेकिन स्थानीय युवाओं के सकाकरात्मक और पूर्ण सहयोग से हालात बिगड़ नहीं पाया. युवा संघ ने कार्यकता दिन भर पूरी ताकत से श्रद्धालुओं की सेवा में लगे रहे.
महिला श्रद्धालुओं में अप्रत्याशित वृद्धि. अंतिम सोमवारी के दिन महिला श्रद्धालुओं की संख्या सर्वाधिक थी.
गांवों से रविवार की शाम से ही ट्रैक्टर का टेलर भर कर महिलाएं सिंहेश्वर मंदिर पहुंचने लगी थी. इन्हें नियंत्रित करने के लिए महिला पुलिस बल के नहीं होने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. बच्चों को गर्भ गृह में ले जाने की रही मनाही थी.
इसलिये कई महिलाएं असमंजस की स्थिति में रही कि अपने बच्चों को कहां छोड़ें. वे अपने परिजनों और परिचितों के पास किसी तरह रख कर पूजा अर्चना कर सकी.
शिवगंगा में लगभग एक लाख लोगों ने किया स्नान. सिंहेश्वर मंदिर परिसर में स्थित शिवगंगा तालाब में करीब एक लाख श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगायी. इस दौरान गोताखोर का इंतजाम भी किया गया था. मंदिर परिसर में चिकित्सा की व्यवस्था की गयी थी.
किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए चौकसी बरती जा रही थी. पूजा के दौरान भगदड़ न मचे इसके लिए एक ओर स्थानीय युवाओं की मदद से प्रशासन लगा था तो दूसरी ओर ऐसी स्थिति आने के बाद की तैयारी भी पुख्ता थी. कई बार तो श्रद्धालुओं की भीड़ में भगदड़ होते होते बची.