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नहीं करायेंगे रजिस्ट्रेशन, चाहे क्लिनिक हो बंद

चिकित्सकों ने क्लनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट को बताया जनविरोधी क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट (रजिस्ट्रेशन एंड रेग्युलेशन) 2010 के आलोक में राज्य में लागू बिहार नैदानिक स्थापन (रजिस्ट्रीकरण-विनियमन) नियमावली 2013 के विरोध में शुक्रवार को जिले के दर्जनों डॉक्टरों ने बैठक कर एक्ट विरोध में रणनीति पर गहन विचार-विमर्श किया. मधेपुरा : डॉक्टरों की बैठक में आइएमए के […]

चिकित्सकों ने क्लनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट को बताया जनविरोधी
क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट (रजिस्ट्रेशन एंड रेग्युलेशन) 2010 के आलोक में राज्य में लागू बिहार नैदानिक स्थापन (रजिस्ट्रीकरण-विनियमन) नियमावली 2013 के विरोध में शुक्रवार को जिले के दर्जनों डॉक्टरों ने बैठक कर एक्ट विरोध में रणनीति पर गहन विचार-विमर्श किया.
मधेपुरा : डॉक्टरों की बैठक में आइएमए के सदस्यों ने कहा कि कुछ चिकित्सकों के द्वारा दो वर्ष पूर्व रजिस्ट्रेशन के लिए फॉर्म भरा गया था. जिसकी वैद्यता अवधि महज 12 महीने थी. विगत 12 मई को डॉक्टरों ने सिविल सर्जन के समक्ष उपस्थित होकर आवेदन फॉर्म लौटाने के लिए आवेदन दिया.
इसके बावजूद इस पत्र को नजर अंदाज करते हुए औपबंधिक रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन अग्रसारित करने की साजिश की जा रही है. यदि किसी भी तरह का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट दिया जायेगा तो डॉक्टर उसे नहीं लेंगे और वापस सिविल सर्जन कार्यालय में जमा कर दिया जायेगा.
आइएम मधेपुरा द्वारा जमूई में महिला चिकित्सक डा निभा सिन्हा की गिरफ्तारी की कड़ी भर्तसना की गयी. आक्रोशित सदस्यों ने कहा कि चिकित्सक के साथ किसी भी किस्म की गलत हरकत को बर्दास्त नहीं किया जायेगा. आइएमए के सदस्यों ने इस एक्ट को संविधान, चिकित्सक व जनविरोधी बताते हुए इसके विरोध में संघर्ष को धारदार बनाते इस कानून के वर्तमान स्वरूप में अपेक्षित संशोधन हुए बिना इसे स्वीकार करने को राज्य के चिकित्सक तैयार नहीं हैं.
आईएमए और भाषा ने यहां तक कह दिया कि चिकित्सक अपने क्लीनिक बंद करदेंगे लेकिन इस एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन नहीं कराएंगे. चिकित्सकों ने कहा कि वे क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के रजिस्ट्रेशन एवं रेगुलेशन के विरोधी नहीं हैं लेकिन कानून के वर्तमान स्वरूप में अपेक्षित संशोधन के बिना इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
केंद्र सरकार से भी वार्ता . बैठक में डॉक्टरों ने घोषणा की, जब तक सरकार एक्ट के मानकों में संशोधन नहीं करती कोई भी डॉक्टर पंजीयन नहीं करायेगा. इसके लिए हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है, जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट तक जायेंगे. आइएमए के राष्ट्रीय नेता केंद्र सरकार से भी संशोधन के लिए वार्ता कर रहे हैं.
मानकों का विरोध . इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के डा अरूण कुमार मंडल ने कहा कि चिकित्सकीय संस्थानों के पंजीयन से आइएमए का कोई विरोध नहीं है. लेकिन, एक्ट में जिन मानकों का हवाला है, उससे इलाज खर्च कई गुना बढ़ जायेगा. इससे छोटे व मंझोले चिकित्सा संस्थान बंद हो जायेगे.
डीएम नहीं चाहिए चिकित्सा ब्यूरोक्रेट . आइएम के जिला सचिव डा दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि जिला पंजीयन प्राधिकार में जिलाधिकारी की जगह किसी चिकित्सा क्षेत्र के नौकरशाह को उसका अध्यक्ष बनाया जाये. एक चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ा व्यक्ति ही डॉक्टर की परेशानी को समझ सकता है. वहीं मरीज के हित में डॉक्टर द्वारा लिये निर्णय की समीक्षा कर सकता है.
केंद्र के मानक मानना मजबूरी . आइएमए के प्रवक्ता डा अमित आनंद ने कहा कि केंद्र के मानक मानना अब सरकार की मजबूरी है. यदि चिकित्सकीय संस्थानों में ये मानक लागू किए गए तो प्रदेश में सिर्फ कॉरपोरेट हॉस्पिटल ही बचेंगेे.
पहले सरकार अपने संस्थानों का कराए पंजीयन . इएमए के जिला उपाध्यक्ष डा उजित कुमार राजा के अनुसार सरकार पहले अपने अस्पतालों को मजबूत करे. मानक के अनुरूप संसाधन बढ़ा उनका पंजीयन कराये. खुद के पास दवा, ओटी, ड्रेसर, आइसीयू नहीं हैं. अपनी कमियों से जनता का ध्यान हटाने को डॉक्टरों को उकसा रही है.
प्रमंडलीय सचिव डा सच्चिदानंद यादव, डा यूएस मल्लिक, डा नृपेंद्र नारायण सिंह, डा पीके मधुकर, डा अमित आनंद, डा बीएन भारती, डा डीके यादव, डा आलोक निरंजन, डा बी राणा, डा सरोज सिंह, डा पी प्रियदर्शनी, डा एनएन सिंह, डा ओम नारायण, डा गोपाल, डा विपुल सहित अन्य डॉक्टर उपस्थित थे

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