करोड़ों की जमीन बचने के मामले ने पकड़ा तूलफोटो – मधेपुरा 06कैप्शन – खाली पड़ा जमीन -गड़बड़झाला . सरकारी जमीन को बेच दिये जाने का लगाया आरोप — शासन-प्रशासन को ग्रामीण लालू ने दिया आवेदन — कथित भू-वामी ने कहा-बेवजह किया जा रहा है बदनाम — प्रतिनिधि, उदाकिशुनगंज अनुमंडल के चौसा प्रखंड मुख्यालय स्थित बिहार सरकार अन्न आबाद जमीन को फर्जी तरीके से एक व्यक्ति द्वारा बेच दी गयी. इससे लोगों के बीच आक्रोश पनपता जा रहा है और मामला तूल पकड़ते जा रहा है. फर्जी भू-स्वामी अपना वर्चस्व कायम करने के लिए उक्त जमीन एक एसडीपीओ व पूर्व मुखिया के हाथों बिक्री कर दी है. इसका खुलासा गांव के लालू पासवान ने शासन प्रशासन को आवेदन देकर किया है. — कितनी है जमीन — बिहार सरकार अनवाद जमीन खाता नंबर 833, 863, 1689, 1523, 827 के खेसरा संख्या 468,469, 823, 2123, 2124, 2133, 2134/2 व अन्य खाता खेसरा में 19 एकड़ जमीन है. जिस जमीन में पहले थाना करता था व पुलिस पदाधिकारी एवं आरक्षी बलों का आवास हुआ करता था. भवन पुराना होने के कारण थाना के लिए भवन का निर्माण बाद में रोड के पूरब कराया गया. जिसके कारण थाना का संचालन नया भवन में होने लगा. फलस्वरूप पूर्व में जिस जमीन पर थाना चला करता था वो लावारिस हो गया. यह जमीन रोड से पश्चिम है. — पूर्व में दूसरों की जमीन थी — पूर्व में भागलपुर जिले के भगत साह की उक्त जमीन थी. लेकिन जमीन का देख रेख उनका वंशज नहीं कर पाये. जबकि जमीन को चौसा के लिए हृदय स्थली माना जा रहा है. ऐसी स्थिति में जब 1964-65 में जमीन का सर्वे होने लगा तो यह जमीन बिहार सरकार अनवाद खतियान बना दिया गया. जिसका स्वरूप अभी भी बरकरार है. हालांकि अभी भी वर्तमान में उस 19 एकड़ जमीन में कुछ भा में नया थाना परिसर प्रखंड कार्यालय के अलावे पीएचइडी का कार्यालय संचालित है. शेष जमीन पर चौसा के ही अनिल कुमार मुनका व अन्य लोगों ने अवैध तरीका अपना कर कब्जा जमा रखा है. जिसमें से जमीन बेची ही जा रही है. — पुलिस व मुखिया के हाथों बेच दी जमीन — तथा कथित भूस्वामी अनिल कुमार मुनका अपना वर्चस्व कायम करने के ख्याल से दूसरे जिले में पद स्थापित घोषई गांव के एसडीपीओ व चौसा के पूर्व मुखिया के हाथ बेच कर लाखों रूपये की कमाई की है. यानी जमीन बिहार सरकार की कमाई कर रहे है अनिल. हालांकि इस गौरखधंधा में अकेले अनिल को जिम्मेदार नहीं माना जाना चाहिए. निश्चित तौर पर इसके पीछे अंचल कार्यालय व अन्य बड़े पदाधिकारी का सहयोग अनिल मुनका को मिलता रहा है. — ध्वस्त कर दिया सरकारी भवन — पूर्व में जिस जमीन पर पुलिस पदाधिकारी व पुलिस बलों का आवास था. उस भवन को अनिल मुनका जेसीबी मशीन से 24 दिसंबर 2015 को ध्वस्त कर दिया. अनिल मुनका द्वारा इतने बड़ा कदम उठाये जाने के बावजूद भी प्रशासन मुक दर्शक बना रहा. आखिर क्यों? कब तक प्रशासन के समक्ष इस तरह का दबंगई चलता रहेगा. — बेरोजगार हो गये कई लोग जमीन के बगल – बगल से 70 लोगों ने छोटा – छोटा झोपड़ी व अस्थायी कटघरा स्थापित कर विभिन्न तरह का रोजगार वर्षों से करते आ रहे थे. जिससे हुई आमदनी से परिवार का भरण पोषण किया करते थे. लेकिन अनिल मुनका ने ऐसे सभी दुकानदारों को खंदेर दिया और झोपडि़यां – कटघरे को क्षति पहुंचाया. इसमें क्या प्रशासन का मौन समर्थन था या नहीं. यह सवाल समाज के बीच अंतरित रह गया है. स्थानीय प्रशासन की भूमिका की भी जांच वरीय पदाधिकारी द्वारा जांच करने की आवश्यकता पड़ गयी है. ऐसा स्थानीय लोगों का विचार है. — एसडीओ व सीओ ने उलझाया मामला — तत्कालीन एसडीओ हीरालाल तांती को अपने प्रभाव में लेकर अनिल मुनका ने कागजी प्रक्रिया ठोस करने में जुट गये. एसडीओ ने तत्कालीन सीओ सह बीडीओ विजय कुमार को लिखा कि उक्त वर्णित जमीन पर अनिल मुनका का कब्जा है या नहीं. जांच प्रतिवेदन समर्पित करें. फिर अनिल मुनका ने सीओ को भी अपने प्रभाव में ले लिया. जिसके कारण सीओ ने एसडीओ को समर्पित किये गये जांच प्रतिवेदन में लिखा कि जमीन पर अनिल मुनका कब्जा है. सच्चाई यह है कि उस समय और आज से एक माह पूर्व तक अनिल मुनका या अन्य किसी का अवैध कब्जा नहीं था. इसी जांच प्रतिवेदन के आधार पर एसडीओ तांती ने जमा बंदी लगान का रसीद काटने का आदेश सीओ को दिया. सीओ ने तत्काल ही अनिल मुनका का जमा बंदी कायम कर जमीन संबंधित रसीद भी निर्गत कर दिया. यह विधि सम्मत नहीं है. — लालू ने शासन प्रशासन से मांगा इंसाफ — मुख्यालय के युवा समाज सेवी लालू पासवान ने राज्य पाल, मुख्यमंत्री, राजस्व एवं भूमि सुधार के अलावे डीएम के जनता दरबार में आवेदन देकर आग्रह किया कि उक्त जमीन बिहार सरकार की है जबकि अनिल मुनका उस जमीन को बेच रहे हैं. इस पर रोक लगाते हुए उक्त जमीन में बस स्टैंड, पार्क का निर्माण कराया जा सकता है. जिस आवेदन का नंबर 60/77 दिनांक छह जनवरी 2015 है. — डीएम ने दिया जांच का आदेश — लालू द्वारा दिये गये आवेदन के आधार पर जांच कराने का आदेश डीएम गोपाल मीणा ने लिया. जांच आदेश अपर समाहर्ता जन शिकायत कोषांग मधेपुरा को दिया गया. लेकिन वे स्वयं जांच करने स्थल पर नहीं आये. बल्कि बीडीओ चौसा को जांच कर प्रतिवेदन समर्पित करने का आदेश दिया. बीडीओ ने भी जांच का आदेश बीसीओ को दिया. — बीसीओ ने समर्पित किया जांच प्रतिवेदन — बीसीओ सुरज कुमार ने स्थल जांच अपने प्रतिवेदन में उल्लेख किया था कि उक्त जमीन यूं खाली पड़ी हुई है. जिस सरकारी जमीन पर बस पड़ाव व पार्क का निर्माण कराया जा सकता है. जांच के क्रम में स्थल पर ही बीसीओ को यह भी जानकारी मिली थी कि जमीन अनिल मुनका द्वारा बिक्री कर दी गयी है. — कहते हैं अनिल मुनका — अनिल कुमार मुनका का कहना है कि जमीन मेरी थी. इसलिए वे व अन्य लोगों ने 1987 ई में तृतीय श्रेणी जिला सव जज मधेपुरा के कोर्ट में मुकदमा दायर किया था. लंबी सुनवायी के बाद 13 जुलाई 2002 में उनके पक्ष में एक एकड़ 62 डिसमल जमीन का जजमेंट हुआ. उनके पास एक एकड़ 52 डिसमल जमीन बची. इसमें से 44 डिसमल जमीन एसडीपीओ बीके पासवान व पूर्व मुखिया सूर्य कुमार पटवे के हाथ बिक्री किया हूं. लालू पासवान उनके विरुद्ध झूठा आरोप लगा रहे हैं. — तत्कालीन सीओ ने कराया था प्रचार प्रसार — अगर अनिल मुनका का जमीन संबंधित दावा सही मान ही लिया जाय तो तत्कालीन सीओ मदन मोहन सिंह ने दो हजार तीन ई में लॉडिस्पीकर से प्रचार प्रसार कराया था कि उक्त जमीन बिहार सरकार की है. जिसे कोई बेच नहीं सकता है उसी तरह कोई खरीद भी नहीं सकता है. अगर 2002 में ही अनिल मुनका के पक्ष में आदेश पारित हुआ तो फिर किसी परिस्थिति में तत्कालीन सीओ द्वारा ध्वनि विस्तारक यंत्र से प्रचार प्रसार कराया गया.– लालू ने लगाया आरोप — लालू ने आरोप लगाया पूर्व एसडीओ हीरा लाल तांती व सीओ विजय कुमार अनिल मुनका के प्रभाव में आ कर जमीन का रसीद कर्मचारी से कटवाया. जबकि तत्कालीन सीओ मदन मोहन सिंह ने प्रचार प्रसार करवा कर लोगों को जानकारी दिया. यह जमीन बिहार सरकार की है. लालू ने कहा कि अगर प्रशासन से इंसाफ नहीं मिली तो इस मामले को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटायेंगे. — सीओ ने कहा — वर्तमान सीओ अजय कुमार ने कहा कि इस जमीन के संदर्भ में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. अगर वरीय पदाधिकारी से आदेश मिला तो निश्चित ही जांच कर उचित कारवाई की जायेगी. इस तरह बिहार सरकार की जमीन को एक व्यक्ति द्वारा बेच कर लाखों की कमाई कर रहे है. फिर भी प्रशासन मौन है. हालांकि लालू पासवान को थानाध्यक्ष सुमन कुमार सिंह ने आश्वस्त किया कि इस मामले को अपने स्तर से देंखेगे और इंसाफ जरूर दिया जायेग.
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करोड़ों की जमीन बचने के मामले ने पकड़ा तूल
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