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कोसी की लाइफ लाइन एनएच-106 आइसीयू में

तत्कालीन सांसद सह केंद्रीय मंत्री शरद यादव ने जिले को एनएच का तौहफा दिया था. लेकिन, एनएच-106 केवल कहने के लिए एनएच है. कोसी, मिथिलांचल के साथ-साथ पड़ोसी राष्ट्र नेपाल व झारखंड से संबंधों में प्रगाढ़ता लाए जाने के उद्देश्य से शुरू हुई यह लाइफ लाइन आज आइसीयू में है. मधेपुरा : जिले का एनएच-106 […]

तत्कालीन सांसद सह केंद्रीय मंत्री शरद यादव ने जिले को एनएच का तौहफा दिया था. लेकिन, एनएच-106 केवल कहने के लिए एनएच है. कोसी, मिथिलांचल के साथ-साथ पड़ोसी राष्ट्र नेपाल व झारखंड से संबंधों में प्रगाढ़ता लाए जाने के उद्देश्य से शुरू हुई यह लाइफ लाइन आज आइसीयू में है.

मधेपुरा : जिले का एनएच-106 केवल कहने के लिए एनएच है. एनएच के इस हाल से लोग परेशान हैं. तत्कालीन सांसद सह केंद्रीय मंत्री शरद यादव ने जिले को एनएच का तौहफा दिया था, लेकिन यह अब तक मूर्त रूप में नहीं ले सका है.
कोसी, मिथिलांचल के साथ-साथ पड़ोसी राष्ट्र नेपाल व झारखंड से संबंधों में प्रगाढ़ता लाए जाने के उद्देश्य से पूर्व वीरपुर-वीहपुर मार्ग को एनएच-106 के रूप में परिणत किया गया था.
लेकिन, शिलान्यास के 14 वर्ष बीत जाने के बावजूद एनएच का निर्माण नहीं होने से जिला सहित उदाकिशुनगंज अनुमंडल क्षेत्र उपेक्षित है. विश्व बैंक के पैसे से निर्मित होने वाले इस सड़क को लेकर विभाग के पास प्लान है, लेकिन शीघ्र क्रियान्वयन के आसार नजर नहीं आते.
विश्व बैंक की टीम ने सर्वेक्षण में दस किमी लंबे पुल की जरूरत बतायी, लेकिन विभाग के पास केवल साढ़े चार किमी पुल बनाने की योजना थी. फिलवक्त लंबे से समय से प्रतीक्षित और कोसी प्रलय के दौरान लाइफ लाइन बनी इस सड़क के पूर्णत: राष्ट्रीय राजमार्ग में तब्दील होने का इंतजार मधेपुरा, सहरसा व सुपौल जिले के हर व्यक्ति को है.

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