धान खरीद नहीं होने से जिले के किसान है परेशान प्रतिनिधि, मधेपुरा. रबी की खेती का समय आते ही जिले के किसानों की परेशानियां बढ़ती जा रही है. धान की पैदावार कम होने की वजह से यहां के किसानों की माली हालत ठीक नहीं है. कम बारिश के कारण धान के पटवन के लिए किसानों को कर्ज का सहारा लेना पड़ा, लेकिन पैदावार कम होने के कारण किसान कर्ज चुकाना तो दूर और कर्ज में डूबते जा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर पैक्स व एसएफसी द्वारा धान की खरीदारी नहीं होने से किसान बाजार में औने- पौने दाम में धान बेचने को विवश हैं. वहीं गेहूं की बुआई को लेकर भी किसान चिंतित है. जिला सहकारिता पदाधिकारी समरेश कुमार ने बताया कि किसानों का डाटा बेस तैयार किया जा रहा है. जल्द धान की खरीदारी शुरू होगी. खरीदारी में पारदर्शिता बरतने के के लिए सरकार से निर्देश प्राप्त हुए हैं. इस बार डाटा बेस में पैक्स अध्यक्ष, मुखिया, सरपंच और पैक्स अध्यक्ष के पद पर दूसरे स्थान पर रहने वाले प्रत्याशी का भी हस्ताक्षर आवश्यक है. — इनसेट — प्रतिनिधि, आलमनगर, मधेपुरा. आलमनगर दक्षिण के पैक्स अध्यक्ष चंदन चौधरी ने बताया कि अभी तक धान खरीद के लिए सिर्फ किसानों से बायोडाटा लेना है कि किसान कितना धान देंगे. पर अभी खरीद के बाबत कुछ भी निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है. किसान धान देने रोज आते हैं, लेकिन विभाग की ओर से हमें धान खरीदने हेतु आदेश नहीं रहने के कारण मजबूरन किसान को लौटा देते हैं. वहीं किसान लड्डू सिंह ने बताया कि पिछली बार जो धान खीद की गयी थी. उसका अभी तक भुगतान भी नहीं हो पाया है. वहीं खुरहान के किसान शिवशंकर सिंह, आलमनगर के किसान रमावतार चौधरी, कर्पूरी शर्मा सहित दर्जनों किसानों ने बताया कि पैक्सों के द्वारा धान खरीद नहीं होने से औने-पौने भाव में हमलोग धान बेचने को मजबूर हैं. क्योंकि हमलोगों की मुख्य फसल मक्का की खेती की रोपनी में प्रति एकड़ आठ से दस हजार रुपया खर्च आता है. इसलिए समय पर सरकार के द्वारा धान की खरीद नहीं होने से हमलोग लाभ नहीं ले पाते हैं. इनसेट– प्रतिनिधि, ग्वालपाड़ा, मधेपुरा. सरकारी स्तर से धान खरीद नहीं होने से किसान खुले बाजार मे औने-पौने भाव में धान बेचने को विवश है. प्रखंड क्षेत्र में रबी की खेती करने के लिए किसान धान को खुले बाजार में हजार रुपया प्रति क्विंटल की भाव मे बेच रहे हैं. जबकि धान का समर्थन मूल्य पंद्रह सौ रुपये से अधिक घोषित किया गया है. किसान बेदानंद ठाकुर, महाकांत झा, बुदूर सिंह बताते हैं कि पंप सेट से धान की रोपनी व पटवन कर धान की खेती की. इसमे काफी लागत आयी. वहीं सरकार के द्वारा पांच किस्तों में डीजल अनुदान भुगतान किया जाना था, जबकि प्रखंड क्षेत्र में मात्र एक बार ही अनुदान का भुगतान किया गया. खेती करने के लिए किसानों के द्वारा लिये गये कर्ज भुगतान का एक मात्र उपाय धान ही था. जिसे रबी की खेती के किसान खुले बाजार मे धान बेचने पर विवश हैं. प्रतिनिधि, शंकरपुर, मधेपुरा. प्रखंड क्षेत्र में एक तो इस बार बारिश कम होेने के कारण धान की पैदावार बहुत कम हुई है फिर भी किसान ओने पौने दाम पर धान बेच कर रबी फसल लगाने हेतु मजबूर हो रहे है. जिला प्रशासन के सुस्त रवैये के कारण अभी तक सरकारी धान क्रय केंद्र नहीं चालू होने के कारण किसानों में मायूसी छायी हुई है. वहीं किसानों को रबी फसल लगाने के लिए पटवन करना अनिवार्य हो गया है. यहां तक कि बिना पटवन खेत में बिज का अंकुरण नहीं हो पा रहा है. किसान किशोर कुमार ने बताया कि धान क्रय केंद्र चालू नहीं होने के कारण खुले बाजार में धान बेच रहे हैं. वहीं बाजार में बिक रहे रासायनिक खाद एवं बिज का कीमत आसमान छू रही है. इससे किसानों को परेशानी से गुजरना पर रहा है. प्रतिनिधि, गम्हरिया, मधेपुरा़ प्रखंड मुख्यालय में किसानों को गेंहूं की बुआई करने में परेशानी हो रही है़ प्रखंड के किसानों का कहना है कि मौसम की बेरुखी के कारण बारिश नाम मात्र होने से धान की फसल अन्य वर्षों की भांति बहुत कम उपज हुई है. इस कारण किसान की आर्थिक हालत ठीक नहीं है. रबी की खेती करने के लिए किसानों को आर्थिक तंगी के दौर से गुजरना पड़ रहा है. किसानों ने बताया कि एक तरफ धान की पैदावार कम हुई वहीं पैक्स में धान नहीं बिकने के कारण बाजार में आठ और नौ सौ रुपये प्रति क्विंटल की दर से औने पौने दाम में बेचना पर रहा है़ वहीं किसानों का कहना है डीजल अनुदान की राशि भी अभी तक नहीं मिली है. इस कारण किसान विनय शंकर यादव, जवाहर यादव, मनीष सिंह, राघवेंद्र गुप्ता, कैलाश भगत, भुवनेश्वरी यादव, शत्रुघ्न यादव, राम भजन यादव ने बताया कि जेवरात गिरवी रख कर गेहूं की बुआई करने को मजबूर हैं. प्रतिनिधि, उदाकिशुनगंज, मधेपुरा प्रखंड क्षेत्र के धान उत्पादकों की माली स्थिति ऐसी है कि निम्न व मध्यम वर्गीय किसान धान बिक्री कर रबी फसल लगाते है़ं ऐसी परंपरा रही है़ लेकिन अनुमान से कम वर्षा होने के कारण धान का उत्पादन कम हुआ है फिर भी कम कीमत पर धान बेच कर रबी फसल का उत्पादन करने के लिए किसान तैयार है़ं —धान का नहीं मिला उचित मूल्य—एक तो वर्षा कम होने के कारण धान का उत्पादन कम हुआ़ खर्च अधिक हो गया़ फिर भी उत्पादन के अनुरूप किसानों को फसल का उचित मुल्य नहीं मिल सका़ एसएफसी व पैक्स से भी धान की खरीद नहीं हो रही है़ फलस्वरूप कम कीमत पर धान बेचने पर किसान मजबूर हैं. अगर धान सरकारी दर पर खरीद होती तो बिहार सरकार के मुताबिक तीन सौ रुपये अधिक मूल्य मिलता़, पर ऐसा नहीं हो रहा है़ — कहते हैं किसान — धान उत्पादक किसान उपेंद्र सिंह, जौतेली के लक्ष्मण मेहता, लक्ष्मीपुर के किशोर यादव ने कहा कि किसान हिम्मत नहीं हरता है, लेकिन अफसोस है कि लोकल व्यापारी के हाथों कम कीमत पर धान बेच कर रबी की खेती करने जा रहे है़ं धान की खेती मुनाफे का सौदा नहीं रहा़ — सरकार खरीदती तो होता मुनाफा –अगर सरकार पैक्स या एसफसी के माध्यम से धान खरीदती, तो उससे किसानों को लाभ होता़ चूंकि बिहार सरकार ने यह तय कर दिया है कि तीन सौ रुपये प्रति क्विंटल सब्सिडी मिलता, लेकिन भारत सरकार से ऐसा आदेश नहीं मिलने के कारण किसान मायूस हैं.
BREAKING NEWS
धान खरीद नहीं होने से जिले के किसान है परेशान
धान खरीद नहीं होने से जिले के किसान है परेशान प्रतिनिधि, मधेपुरा. रबी की खेती का समय आते ही जिले के किसानों की परेशानियां बढ़ती जा रही है. धान की पैदावार कम होने की वजह से यहां के किसानों की माली हालत ठीक नहीं है. कम बारिश के कारण धान के पटवन के लिए किसानों […]
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement